अगस्त में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात (एडीआर) छह महीने के निचले स्तर पर चला गया जो भारतीय शेयरों में व्यापक कमजोरी दर्शाता है। करीब 2,300 शेयरों में गिरावट के साथ अगस्त में एडीआर 0.94 रहा। यह फरवरी के बाद का सबसे कमजोर आंकड़ा है। इसके अलावा लाल निशान में रहे शेयरों की संख्या फरवरी में हुई बिकवाली के बाद का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। तब 2,509 शेयरों में गिरावट आई थी और एडीआर 0.77 को छू गया था जो मार्च 2020 में महामारी के कारण हुई बिकवाली के बाद का सबसे कमजोर आंकड़ा था। मार्च 2020 में बिकवाली के दौरान एडीआर घटकर 0.72 पर चला गया था।
फरवरी और अगस्त में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तीव्र निकासी, निवेशकों का सतर्क रुख और मुख्य सूचकांकों के मुकाबले व्यापक बाजार में ज्यादा तेज गिरावट देखने को मिली। अगस्त में निफ्टी मिडकैप 100 में 2.9 फीसदी की गिरावट आई जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 4.1 फीसदी की नरमी दर्ज हुई। बाजार के एक दायरे में टिके रहने पर नजर रखने वालों का इशारा है कि फरवरी की तरह अगस्त में भी अमेरिकी व्यापार शुल्क, सुस्त आय और ऊंचे मूल्यांकन के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई।
विदेशी निवेशकों ने भारत में निवेश घटाना जारी रखा और बेहतर प्रदर्शन करने वाले एशियाई बाजारों जैसे चीन और दक्षिण कोरिया में निवेश बढ़ाया। भारत के सूचकांक इस साल जनवरी से अब तक के लिहाज से स्थिर रहे जबकि दक्षिण कोरिया में 40 फीसदी और चीन में 27 फीसदी की वृद्धि हुई। कमजोर रिटर्न के बावजूद निफ्टी अग्रिम आय के 22 गुना पर कारोबार कर रहा है जो चीन के 13 गुना से कम मूल्यांकन की तुलना में महंगा है।