हाल में टैरिफ लगाने की अमेरिकी घोषणाओं ने वैश्विक व्यापार को लेकर चिंता बढ़ा दी है और निवेशकों का मनोबल हिला दिया है। इस कारण भारतीय बाजार भी वैश्विक बाजारों के साथ लुढ़क गए। बेंचमार्क सेंसेक्स 586 अंक यानी 0.72 फीसदी गिरकर 80,600 पर बंद हुआ। निफ्टी 50 इंडेक्स 203 अंक यानी 0.82 फीसदी टूटकर 24,565 पर टिका। यह 3 जून के बाद का इसका सबसे निचला स्तर है।
दोनों सूचकांकों ने लगातार पांचवीं साप्ताहिक गिरावट दर्ज की। अगस्त 2023 के बाद यह उनकी गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला है। अधिकांश एशियाई बाजारों में गिरावट दर्ज की गई जिनमें दक्षिण कोरिया सबसे आगे रहा जहां लगभग 4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इसमें कई देशों पर जवाबी टैरिफ में संशोधन किया गाय है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ में और बढ़ोतरी हो सकती है।
विश्लेषक उन देशों की संभावित जवाबी प्रतिक्रिया की लेकर चेतावनी दे रहे हैं जिन पर राष्ट्रपति ट्रंप टैरिफ लगा रहे हैं। साथ ही कुछ का कहना है कि नए ढांचे में विवरण की कमी से कारोबारों के लिए आगे की योजना बनाना कठिन हो सकता है।
कॉमर्जबैंक एजी में एक विदेशी मुद्रा विश्लेषक एंटजे प्रीफके ने एक समाचार एजेंसी से कहा, यह देखना बाकी है कि टैरिफ विवाद क्या रूप लेता है और टैरिफ के कारण अमेरिका में मुद्रास्फीति कैसी रहती है। इस खबर से एक बात स्पष्ट है कि यह मुद्दा लंबे समय तक हमारे लिए चिंता का विषय रहेगा और किसी भी समय चौंकाने वाली उम्मीद की जा सकती है।
निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक को छोड़कर सभी सेक्टर सूचकांकों में गिरावट आई जो सुरक्षित निवेश की खरीदारी से 0.7 फीसदी बढ़ा। ट्रंप के मौजूदा दवाओं की कीमतों में तत्काल कमी की मांग करने और भविष्य में दवाओं की कीमत अन्य देशों के बराबर रखने की गारंटी की मांग के कारण बाद निफ्टी फार्मा सूचकांक में सबसे अधिक 3.33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख दवा निर्यातक अरबिंदो फार्मा और सन फार्मा के शेयरों में 5-5 फीसदी की गिरावट आई।
इंडिया विक्स सूचकांक करीब 4 फीसदी बढ़कर 12 पर पहुंच गया। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 1.33 फीसदी और 1.66 फीसदी की गिरावट आई। एक दिन पहले घरेलू इक्विटी बाजारों ने मार्च से जून तक की चार महीने की अपनी तेजी पर विराम लगा दिया था। उस दौरान बेंचमार्क सूचकांक करीब 15 फीसदी ऊपर चले गए थे।
जुलाई में निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में करीब 3 फीसदी की गिरावट आई। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक क्रमशः 6.7 फीसदी और 4 फीसदी नीचे आए। पिछले चार महीनों में दोनों सूचकांकों में 20-20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई थी।
जुलाई में भारतीय शेयर बाज़ार ज्यादातर वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ गए क्योंकि आय की सुस्त गति ने अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले उनके महंगे मूल्यांकन पर और भी ज्यादा असर डाला। एफएमसीजी और फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टर सूचकांक महीने के अंत में लाल निशान पर रहे, जिनमें आईटी सेक्टर सबसे ज्यादा करीब 10 फीसदी तक गिर गया।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में करीब 20,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर खरीदे। शुक्रवार को एफपीआई ने 3,366 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि देसी निवेशकों ने 3,187 करोड़ रुपये की खरीदारी की।