दस साल वाली सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड घटकर 3 साल के निचले स्तर पर जाने से बैंकिंग शेयरों में आज अच्छी लिवाली देखी गई जिससे बेंचमार्क सूचकांक 0.7 फीसदी चढ़ गए। एक दिन पहले सूचकांकों में एक महीने की सबसे बड़ी गिरावट आई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा बराबरी वाले शुल्क की आशंका से पहले दुनिया भर के बाजारों में मिलाजुला रुख रहा।
सेंसेक्स 593 अंक या 0.78 फीसदी चढ़कर 76,617 पर बंद हुआ। सेंसेक्स की बढ़त में एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक का आधे से ज्यादा योगदान रहा। निफ्टी 167 अंक या 0.72 फीसदी चढ़कर 23,332 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप में 1.6 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप में 1.1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में 80,000 करोड़ रुपये के ओपन मार्केट ऑपरेशन की घोषणा की है जिससे 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड 10 आधार अंक घटकर जनवरी 2022 के बाद के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया। इस वजह से निफ्टी बैंक इंडेक्स में 1 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ। एचडीएफसी बैंक में 1.7 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक में 1.1 फीसदी की तेजी आई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के वेल्थ मैनेजमेंट प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘अप्रैल में आरबीआई द्वारा 80,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने की घोषणा के बाद भारतीय बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई। इससे बैंकिंग शेयरों में खरीदारी को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। बाजार में आशावाद इस उम्मीद से देखने को मिली कि अमेरिकी शुल्क का घरेलू अर्थव्यवस्था पर कम से कम प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा मार्च में विनिर्माण पीएमआई 8 महीने के उच्चतम स्तर 58.1 पर रहा जिससे बाजार में सकारात्मक धारणा को बल मिला। वैश्विक स्तर पर निवेशक राष्ट्रपति ट्रंप के शुल्क पर फैसले का इंतजार कर रहे हैं। गुरुवार को देसी शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रहने की आशंका है क्योंकि वैश्विक बाजारों के शुरुआती संकेत लेते हुए वे शुल्क घोषणाओं पर प्रतिक्रिया जताएंगे।’
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2,818 शेयर लाभ में और 1,133 नुकसान में रहे। सेंसेक्स के दो-तिहाई शेयर बढ़त में रहे। आगे अमेरिकी व्यापार नीति का असर और जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों से बाजार को दिशा मिलेगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,539 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,809 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।