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चार महीने की बढ़त के बाद बाजारों में फिर अस्थिरता, सेंसेक्स-निफ्टी 3% गिरे, ₹11.5 लाख करोड़ डूबे

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में करीब 20,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। 

Last Updated- July 31, 2025 | 10:06 PM IST
Stock market

देश के शेयर बाजारों को जुलाई में अस्थिरता का सामना करना पड़ा और मार्च से जून तक लगातार चार महीने से हो रही बढ़त का सिलसिला टूट गया। इस अवधि में बेंचमार्क सूचकांकों में करीब 15 फीसदी की उछाल दर्ज हुई। जुलाई में निफ्टी और सेंसेक्स करीब 3 फीसदी गिरकर बंद हुए। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांकों में क्रमश: 6.7 फीसदी व 4 फीसदी की फिसलन हुई। पिछले चार महीनों में दोनों सूचकांकों में क्रमश: 20-20 फीसदी की उछाल आई थी।

कंपनियों की आय में सुस्ती, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अमेरिकी व्यापार वार्ताओं को लेकर नई अनिश्चितताओं के कारण यह तेजी अचानक थम गई। इस महीने भारत का कुल बाजार पूंजीकरण 11.5 लाख करोड़ रुपये घटकर 450 लाख करोड़ रुपये (5.14 लाख करोड़ डॉलर) रह गया। जुलाई में भारतीय शेयर बाजार ज्यादातर वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ गए क्योंकि आय की सुस्त रफ्तार ने अन्य उभरते बाजारों की तुलना में उनके पहले से ही महंगे मूल्यांकन पर और भी ज्यादा असर डाला।

एफएमसीजी और फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टर सूचकांक महीने के अंत में लाल निशान में रहे। इनमें आईटी सेक्टर सबसे ज्यादा करीब 10 फीसदी तक गिरा। निफ्टी में शामिल शेयरों में खासी गिरावट वालों में इटरनल शामिल था जो 17 फीसदी गिरा जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर 10 फीसदी तक चढ़ा।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई में करीब 20,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

First Published - July 31, 2025 | 10:02 PM IST

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