बाजारों के लिए कैलेंडर वर्ष 2025 अभी तक उतारचढ़ाव भरा रहा है। एएसके हेज सॉल्यूशंस के मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी ने पुनीत वाधवा को फोन पर बताया कि भारत उन चुनिंदा देशों में से एक होगा जो वैश्विक माहौल में बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे जहां करीब-करीब सभी देश उचित वृद्धि के लिए जूझ रहे होंगे। मुख्य अंश…
क्या आपको लगता है कि अगले कुछ महीनों में बाजार इधर-उधर ही झूलते रहेंगे? दिसंबर 2025 के अंत तक निफ्टी के 20,000 अंक के करीब पहुंचने की कितनी संभावना है?
लंबी अवधि के आधार पर बाजार आमतौर पर समग्र आय वृद्धि के अनुरूप बढ़ते हैं। हालांकि, छोटी अवधि में उन पर कई वैरिएबल का असर होता है, जिनमें प्रमुख रूप से भू-राजनीतिक हालात शामिल हैं। जैसे-जैसे ये संघर्ष हल होते जाएंगे, बाजारों को भरोसा होगा कि सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी और नतीजतन वे ऊपर जा सकते हैं। हम पहले से ही आर्थिक विकास के मामले में बेहतरी देख रहे हैं। जहां तक दिसंबर 2025 तक निफ्टी के 20,000 के करीब पहुंचने की संभावना की बात है तो इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं लगती।
एक अस्थिर/सुस्त बाजार में कैसे कमाया जा सकता है?
अगर आपका निवेश परिसंपत्ति वर्ग के रूप में इक्विटी में है तो मैं निवेशकों को अल्पावधि पर ध्यान देने से बचने की सलाह दूंगा। हमारे पास दीर्घकालिक निवेश के लाभों को साबित करने वाले पर्याप्त अनुभवजन्य साक्ष्य हैं। लेकिन, अगर कोई निवेशक समग्र परिसंपत्ति आवंटन को देख रहा है तो वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर अन्य परिसंपत्ति वर्गों में विविधीकरण से मदद मिल सकती है।
अगर शेयर बाजार कमजोर रहता है तो क्या खुदरा निवेशकों को अपना ध्यान प्राथमिक बाजारों पर देना चाहिए?
बात यह नहीं है कि यह प्राथमिक बाजार है या द्वितीयक (सेकंडरी)। आदर्श रूप से नजरिया यह होना चाहिए कि उचित मूल्यांकन पर अच्छे कारोबार वाली कंपनियों में निवेश किया जाए। प्राथमिक बाजार उचित मूल्यांकन पर आवंटन करने का अनुकूल अवसर देते हैं। जहां तक छोटे और मझोले उद्यमों या कम कीमत वाली पेशकशों की बात है तो उन्हें लेने से पहले उनके बारे में उचित तरीके से शोध करना जरूरी है।
अक्टूबर के बाद से आपकी रणनीति क्या रही है,जब बाजार सर्वोच्च स्तर पर था और फिर नीचे गिरने लगा?
हम एक लॉन्ग-शॉर्ट फंड हैं, जिसमें हमारा ध्यान जोखिम-समायोजित रिटर्न सृजित करने पर है। हमारे नजरिये से हम कुछ मायनों में बाजार की चाल को लेकर संशयवादी हैं। लिहाजा, अक्टूबर से बेहद उतार-चढ़ाव वाले बाजारों के बावजूद हमने तब से एक भी महीने में घाटा यानी नकारात्मक रिटर्न नहीं दिया है। हमारे लिए जो बात कारगर रही, वह यह है कि इस दौरान हमने शुद्ध रूप से जो जोखिम उठाया है, उस पर हमारा काफी कड़ा नियंत्रण रहा।
कुछ लोगों का अनुमान है कि 10 साल में सेंसेक्स 3,00,000 का स्तर छू लेगा। यह दूर की कौड़ी है या फिर कुछ हद तक संभव? अगर ऐसा है तो सेंसेक्स को वहां तक पहुंचने के लिए क्या करना होगा?
बेंचमार्क सूचकांकों पर हमारा दीर्घकालिक औसत रिटर्न करीब 14 फीसदी रहा है। अगर अगले 10 सालों में इसी गति से वृद्धि जारी रही तो संभव है कि सेंसेक्स तब तक 3,00,000 अंक तक पहुंच जाए। जब हम अगले दशक की ओर देखते हैं, नवाचार, आबादी और सुधारों की ताकत हमें मजबूत वृद्धि की ओर ले जाएगी। भारत उन कुछ देशों में से एक होगा, जो वैश्विक माहौल में बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे जहां करीब-करीब सभी देश उचित वृद्धि के लिए जूझ रहे होंगे।
अगले कुछ महीनों में कौन से सेक्टरों और शेयरों में बड़ी रकम निवेश हो सकती है?
यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि अगले कुछ महीनों में कौन से सेक्टर आगे बढ़ेंगे। हालांकि, 12 से 24 महीने की अवधि में कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और स्टेपल, वित्तीय सेवाएं और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है।
विदेशी निवेश के नजरिए से बात करें तो भारत को पिछले तीन वर्षों की तुलना में बहुत बेहतर निवेश हासिल होगा। यह इस तथ्य पर आधारित है कि विदेशी स्वामित्व लगभग एक दशक के निचले स्तर पर है और अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने की संभावनाओं के कारण उभरते बाजारों में आक्रामक तरीके से आवंटन हो सकता है।
क्या निवेशकों के लिए पारंपरिक तरीकों के बजाय अब क्वांट रणनीतियों और फंडों का चयन करना बेहतर होगा?
क्वांट रणनीतियां निवेश करने का शानदार तरीका है जो पूर्वग्रहों को दूर रखती हैं। हमारा अनुभव बताता है कि ट्रेंड का पीछा करने की अवधारणा की रणनीतियों में पोर्टफोलियो में बहुत अधिक मूल्य जोड़ने की क्षमता होती है। जैसे-जैसे इन रणनीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे कई लोग इन्हें अपनाएंगे।