बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के शेयरों के लिए प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश लाने वाले अमेरिकी (फ्लोरिडा) उद्यमी दिग्विजय डैनी गायकवाड़ का पत्र उन्हें लौटा दिया। एक्सचेंजों को दी सूचना में वित्तीय सेवा फर्म ने गायकवाड़ के प्रस्ताव के जवाब में सेबी के भेजे गए पत्र को साझा किया। इसमें रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की 55 फीसदी हिस्सेदारी 275 रुपये प्रति शेयर पर लेने की मंजूरी मांगी गई थी। नियामक के पत्र में कहा गया है कि दिग्विजय लक्ष्मणसिंह गायकवाड़ का पत्र लौटाया जा रहा है क्योंकि यह सेबी नियमन 2011 के नियम 11 की शर्तों के लिहाज से छूट वाला आवेदन नहीं है। सूत्रों ने कहा कि गायकवाड़ की पेशकश सेबी के सामने टिक नहीं पाई क्योंकि यह निर्धारित समयसीमा के भीतर नहीं आई और इसमें निवेश बैंकरों की नियुक्ति की सही प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया।
गायकवाड़ ने डाबर के प्रवर्तकों बर्मन की पेशकश के मुकाबले 17 फीसदी प्रीमियम पर प्रतिस्पर्धी पेशकश की थी। गायकवाड़ के पत्र में कहा गया था कि बर्मन की तरफ से 235 रुपये प्रति शेयर पर खुली पेशकश काफी कम कीमत पर है और इसमें रेलिगेयर एंटरप्राइजेज का वास्तविक मूल्यांकन कम है और आम शेयरधारकों के लिए नुकसानदायक है। इससे पहले कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों ने भी शेयरधारकों को बर्मन परिवार की कम कीमत वाली पेशकश पर ध्यान देने का अनुरोध किया था। कानूनी प्रतिभागियों ने कहा कि गायकवाड़ के पास अभी भी सेबी के आदेश को चुनौती देने का विकल्प है और वह प्रतिभूति अपील पंचाट जा सकते हैं।
बर्मन के नेतृत्व वाली इकाइयों की ओर से आरईएल की अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए खुली पेशकश सोमवार को खुल गई और यह 7 फरवरी को बंद होने वाली है। खुली पेशकश के बाद आरईएल का नियंत्रण बर्मन के पास हो सकता है। रश्मि सलूजा के नेतृत्व में कंपनी का मौजूदा प्रबंधन इस प्रस्ताव का विरोध कर रहा है।
इससे पहले, बर्मन ने सेबी को लिखे गायकवाड़ के पत्र पर आपत्ति जताई थी जिसमें कहा गया था कि प्रतिस्पर्धी पेशकश सार्वजनिक बयान की तारीख से 15 दिन के अंदर आनी चाहिए थी जो 4 अक्टूबर, 2023 थी। बर्मन समूह ने कहा था कि पत्र का कोई सार नहीं था, प्रामाणिकता नहीं थी, धन के किसी भी स्रोत का कोई संकेत नहीं दिया गया था और यह आरईएल के आम शेयरधारकों को गुमराह करने के लिए लाया गया है। इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अधिग्रहण की निगरानी की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी। इस कारण कंपनी की एजीएम पर थोड़े समय के लिए रोक लगा दी गई थी।