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Rupee vs Dollar: अगस्त में रुपया डॉलर के मुकाबले दूसरी सबसे खराब परफॉर्मेंस वाली करेंसी, भारत क्यों पड़ा कमजोर

Rupee vs Dollar in August 2024: अगस्त महीने के दौरान रुपया 0.2% गिरा। केवल दो करेंसी (रुपया और टका) ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की।

Last Updated- September 01, 2024 | 10:48 PM IST
Dollar Vs Rupee

Rupee vs. Dollar: अगस्त में भारतीय रुपया एशिया में बांग्लादेशी करेंसी टका के बाद दूसरी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी रहा। इसके पीछे की मुख्य वजह मजबूत डॉलर की मांग और घरेलू इक्विटी बाजार (शेयर मार्केट) से पूंजी का बहिर्वाह (outflows from domestic equities) रहा। अगस्त महीने के दौरान रुपया 0.2% गिरा। इसके अलावा, केवल इन दोनों करेंसी (रुपया और टका) ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की। रुपया शुक्रवार को 83.86 प्रति डॉलर के लेवल पर बंद हुआ।

बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री सोनल बधाण ने कहा, ‘अगस्त में रुपया 0.2 प्रतिशत गिरकर 83.87 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा है, जो इसके आल टाइम लो लेवल (Rupee all time low level) 83.97 प्रति डॉलर के करीब है। यह गिरावट तब हुई जब अमेरिकी डॉलर कमजोर हो रहा था। रुपया प्रभावित होने वाली वजहों में विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों यानी FPI (मुख्य रूप से इक्विटी सेगमेंट में) के निवेश (इनफ्लो) में कमी और आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ी हुई मांग शामिल है। ज्यादातर ग्लोबल करेंसी के मुकाबले डॉलर में वृद्धि देखने को मिली मगर रुपये में गिरावट आई।’

वर्तमान वित्तीय वर्ष (FY25) में अब तक रुपया 0.6 प्रतिशत गिर चुका है।

FY24 में सबसे स्टेबल करेंसी रहा रुपया

वित्तीय वर्ष 2023-2024 (FY23-24) में, हांगकांग डॉलर और सिंगापुर डॉलर के बाद रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीसरी सबसे स्थिर एशियाई मुद्रा (third most stable Asian currency )रही, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के समय पर हस्तक्षेप के कारण संभव हुआ। पूरे साल के दौरान रुपया 1.5 प्रतिशत गिरा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष (FY23) में यह गिरावट 7.8 प्रतिशत थी।

इसके अलावा, कैलेंडर वर्ष 2023 में, लोकल करेंसी ने डॉलर के मुकाबले शानदार स्टेबिलिटी दिखाई। जबकि, रुपया पिछले लगभग तीन दशकों में सबसे कम अस्थिरता (least volatility) वाली करेंसी रही।

भारत की करेंसी ने ग्रीनबैक (अमेरिकी डॉलर) के मुकाबले मामूली 0.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। पिछली बार भारतीय करेंसी ने इतनी स्थिरता 1994 में दिखाई थी, जब इसमें 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

अगस्त 2024 में, अमेरिकी डॉलर के कमजोर रहने के बावजूद, रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू लिया। बाजार में शामिल निवेशक उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में लोकल करेंसी सीमित दायरे में बनी रहेगी।

कैसे मजबूत हो सकेगा रुपया

कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी और MSCI इंडेक्स में हालिया बदलाव (जिसमें सात भारतीय स्टॉक्स को जोड़ा गया) और HDFC Bank के लिए एडजस्टमेंट फैक्टर को बढ़ाया गया है। ये FPI के भारतीय बाजार में निवेश को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे रुपये को मजबूती फिर से मिल सकती है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी (Finrex Treasury Advisors LLP) के हेड ऑफ ट्रेजरी और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘हमें लगता है कि फिलहाल RBI रुपये को 84 के हाई से ऊपर नहीं जाने देगा और ब्याज दरों पर फेड के संकेतों का इंतजार करेगा।’

First Published - September 1, 2024 | 3:23 PM IST

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