चालू सप्ताह में रुपये में दो माह की बड़ी साप्ताहिक तेजी आई है। पिछले 5 दिन में यह 1.7 प्रतिशत मजबूत हुआ है। शुक्रवार को आई तेजी अमेरिका में महंगाई दर घटने और फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि कम किए जाने की उम्मीद की वजह से है।
शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 81.34 पर बंद हुआ, जबकि इसके पहले 81.55 पर बंद हुआ था। 6 जनवरी को डॉलर के मुकाबले रुपया 82.73 पर बंद हुआ था। कारोबारियों ने कहा कि इस सप्ताह मुद्रा में आई तेजी 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के बाद सबसे बड़ी तेजी है।
गुरुवार को भारत के बाजार के घंटों के बाद जारी आंकड़ों से पता चला कि अमेरिका में सालाना आधार पर महंगाई दर दिसंबर में घटकर 6.5 प्रतिशत हो गई है, जो इसके पहले के महीने में 7.1 प्रतिशत थी।
मुद्रा के व्यापारियों ने कहा कि इन आंकड़ों की वजह से उम्मीद बनी कि अगले महीने अपने नीतिगत फैसले में फेडरल रिजर्व मौद्रिक सख्ती की मात्रा कम करेगा। उन्होंने कहा कि फेड फंड फ्यूचर्स संकेत दे रहे थे कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में 25 आधार अंक बढ़ोतरी किए जाने की उम्मीद है।
अमेरिका में ब्याज दर में कमी आने से डॉलर मजबूत हुआ
2022 में फेड ने दरों में 425 आधार अंक की भारी बढ़ोतरी की है। एक बार में ज्यादातर 75 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई है। अमेरिका में ब्याज दर में कमी आने से डॉलर मजबूत हुआ है। इससे रुपये जैसी उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव बढ़ा है।
अमेरिकी डॉलर सूचकांक हाल के महंगाई दर के आंकड़ों के बाद तेजी से गिरा है। शुक्रवार को शाम 3.30 बजे सूचकांक 102.17 अंक पर था। गुरुवार को इसी समय में सूचकांक 103.09 पर था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज रिसर्च एनॉलिस्ट दिलीप परमार ने कहा, ‘भारतीय रुपये में सप्ताह के सभी 5 दिनों में तेजी रही और 11 नवंबर के बाद इस सप्ताह में सबसे बड़ी साप्ताहिक तेजी रही है। विदेशी धन के प्रवाह और उम्मीद से बेहतर आर्थिक आंकड़ों और डॉलर में व्यापक आधार पर कमजोरी के कारण ऐसा हुआ है।’
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े उम्मीद से कम आने के बाद विश्व स्तर पर जोखिम वाली संपत्तियों में तेजी आई और डॉलर में गिरावट आई है। निकट के हिसाब से अमेरिकी डॉलर और रुपये का परिदृश्य देखें तो डॉलर कमजोर नजर आ रहा है। यह 82.10 के नीचे रहेगा। यह घटकर 81.10 और 80.70 पर आ सकता है।’
रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की खरीद न करने की वजह से भी रुपये में तेजी आई
कारोबारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की खरीद न करने की वजह से भी रुपये में तेजी आई है और इस सप्ताह तेजी रही। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि अमेरिकी डॉलर की खरीद से विदेशी मुद्रा भंडार नवंबर और दिसंबर के एक हिस्से में कम हुआ है। इसके पहले के महीने में उभरते बाजारों में रुपये का प्रदर्शन खराब रहा था।
रुपये में तेजी आई है, वहीं घरेलू सरकारी बॉन्ड व्यापक दौर पर अप्रभावित रहा है। इस पर भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर में गिरावट का कोई असर नहीं पड़ा है। शुक्रवार को 10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड का सौदा 7.29 प्रतिशत पर हुआ, जो पहले 7.30 प्रतिशत पर हुआ था। बॉन्ड की कीमत और प्रतिफल विपरीत दिशा में चले।
गुरुवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की खुदरा महंगाई दर दिसंबर में घटकर 5.72 प्रतिशत पर आ गई, जो नवंबर में 5.88 प्रतिशत थी। पिछले 2 महीने में महंगाई दर घटकर रिजर्व बैंक की 2 से 6 प्रतिशत की सीमा में आ गई है। वहीं बॉन्ड ट्रेडरों का कहना है कि आंकड़ों को लेकर बाजार की सुस्त प्रतिक्रिया रही है, जिसकी वजह प्रमुख महंगाई दर है, जिसमें खाद्य व ईंधन उतार चढ़ाव वाले हैं। प्रमुख महंगाई दर करीब 6 प्रतिशत के बढ़े स्तर पर बनी हुई है। पिछले नीतिगत बयान में रिजर्व बैंक ने बढ़ी प्रमुख महंगाई दर को मुख्य जोखिम बताया था।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप में ट्रेडिंग के प्रमुख नवीन सिंह ने कहा, ‘बॉन्ड मार्केट महंगाई दर में गिरावट के लिए व्यापक तौर पर तैयार था। मसला यह है कि प्रमुख महंगाई दर उच्च स्तर पर बनी हुई है। रिजर्व बैंक ने साफ संकेत दिया है कि प्रमुख महंगाई दर ध्यान का मुख्य केंद्र है। ऐसे में रिजर्व बैंक की फरवरी में दरों की कार्रवाई का अनुमान लगाना कठिन है।’
उन्होंने कहा कि फरवरी में आने वाले बजट को लेकर बॉन्ड मार्केट सावधान रहेगा। सकल उधारी अगले साल उच्च स्तर पर रहने की संभावना है, इसलिए बॉन्ड आपूर्ति का दबाव जारी रहेगा। 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल मौजूदा स्तर के आसपास बना रह सकता है।
2022 में रिजर्व बैंक ने रीपो रेट में 225 आधार अंक की बढ़ोतरी की है, जिससे उच्च घरेलू महंगाई दर पर काबू पाया जा सके।