मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट आई। सिलिकन वैली बैंक (SVB) संकट की वजह से वैश्विक जोखिम से बचने की प्रवृत्ति गहराने से उभरते बाजार (ईएम) की मुद्राओं और शेयर बाजारों पर भी प्रभाव पड़ा।
डॉलर के मुकाबले रुपया 82.49 पर बंद हुआ, जबकि इसका पूर्ववर्ती बंद भाव 82.13 था। वर्ष 2023 में डॉलर की तुलना में अब तक रुपया 0.3 प्रतिशत कमजोर हुआ है। डॉलर सूचकांक में तेजी का रुपया समेत एशियाई मुद्राओं पर असर पड़ा है।
अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र में अनिश्चितता के बाद फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि की रफ्तार धीमी रखने की अटकलों और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में कमजोरी के बाद सोमवार के शुरुआती कारोबार में डॉलर सूचकांक में बड़ी गिरावट आई थी।
हालांकि SVB घटनाक्रम का प्रभाव अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली पर महसूस किया गया और अन्य ऋणदाता सिग्नेचर बैंक का नियंत्रण भी नियामकों ने अपने हाथ में ले लिया। इससे कारोबारियों में जोखिम उठाने की क्षमता कमजोर हुई है, जिससे डॉलर को मजबूती मिली, जो दुनिया की रिजर्व मुद्रा है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़े के अनुसार, डॉलर सूचकांक 3.30 बजे 103.74 पर था, जबकि इसका पूर्ववर्ती बंद भाव 103.59 था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘SVB संकट का असर एक अन्य बैंक तक पहुंचने तथा फेड द्वारा दर वृद्धि को लेकर बाजार की अनिश्चितता के बीच रुपया कमजोरी के साथ खुला। जोखिम बढ़ने का असर भारतीय इक्विटी बाजारों में भी देखा गया और इनमें 0.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई।’
उन्होंने कहा, ‘रुपये में कमजोरी बनी रहेगी, क्योंकि बाजार में जोखिम से बचने की धारणा बरकरार है।’
भले ही मार्च को आमतौर पर ऐसा महीना माना जाता है जिसमें निर्यातकों द्वारा डॉलर की बिकवाली से रुपये को मदद मिलती है और कुछ कंपनियां वर्ष के अंत में अपने अकाउंट बंद करने पर जोर देती हैं, लेकिन विश्लेषक घरेलू मुद्रा पर दबाव पड़ने की आशंका जता रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि जोखिमपूर्ण ईएम मुद्राओं से बचने के अलावा अमेरिकी दर वृद्धि को लेकर भी परिदृश्य अनिश्चित बना हुआ है, देश में मुद्रास्फीति फेड के 4 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, और इन सबका असर रुपये पर बना हुआ है।
एचडीएफसी बैंक ट्रेजरी रिसर्च ने लिखा है, ‘पिछले कुछ सप्ताहों से ईएम क्षेत्र में रुपया मजबूत रहा, लेकिन हमारा मानना है कि मार्च महीने का असर कमजोर पड़ने पर रुपये में तेजी का रुझान भी फीका पड़ेगा।’