डॉलर के मुकाबले रुपये में शुक्रवार को गिरावट देखी गई और दिन के कारोबार के दौरान यह 83.76 के नए स्तर पर पहुंच गया। डीलरों का कहना है कि शेयर बाजार में बिकवाली और आयातकों की तरफ से डॉलर की घरेलू मांग की गई। रुपया गुरुवार के 83.73 रुपये के मुकाबले शुक्रवार को 83.75 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
अमेरिका के डेटा के अनुकूल होने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की टिप्पणियों के कारण डॉलर सूचकांक 0.27 प्रतिशत गिरकर 103.92 पर आ गया। डॉलर सूचकांक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है।
बाजार प्रतिभागियों का कहना है कि स्थानीय मुद्रा में और अधिक गिरावट नहीं आई क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डॉलर की बिक्री के माध्यम से विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया।
एक सरकारी बैंक में डीलर ने कहा, ‘शेयरों में बिकवाली हुई साथ ही आयातक और विदेशी बैंक भी डॉलर की खरीदारी कर रहे थे। पहले आरबीआई 3-4 पैसे की गतिविधियों के बाद बाजार में हस्तक्षेप करता था लेकिन इस वक्त स्थिति यह है कि वे हर पैसे की गति के साथ हस्तक्षेप करते हैं और 10-20 करोड़ डॉलर की बिक्री कर छोड़ देते हैं और यह एक नया रुझान है।’
डीलरों का कहना है कि एशियाई मुद्राओं में बढ़ोतरी के बावजूद, रुपये को गिरने दिया गया है क्योंकि मुद्रा का वास्तविक प्रभावी विनिमय दर अधिक है। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘रुपया 83.76 रुपये प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर गिर गया क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सरकार के भुगतान करने के लिए बाजार से डॉलर खरीदता रहा जबकि आरबीआई ने आज (शुक्रवार) 83.76 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से डॉलर बेचा।’