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ज्यादा विदेशी मुद्रा बाहर ले जाने के लिए नियम बनेंगे सरल

Last Updated- December 05, 2022 | 11:42 PM IST

ऐसा लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पूंजी के अंतर्प्रवाह और महंगाई पर पड़ने वाले इसके प्रभावों से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा बहिर्प्रवाह की सीमा में छूट देने के लिए संतुलित कदम उठाने वाला है।


इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अपनी मौद्रिक नीति में आरबीआई कॉर्पोरेट द्वारा देश में किए जाने वाले निवेश और विदेश में व्यक्तिगत विप्रेषण की उच्चतम सीमा की सीमा बढ़ाने वाली थी। चरणबध्द तरीके से आरबीआई ने कंपनियों द्वारा विदेश में किए जाने वाले निवेश की सीमा उनकी नेटवर्थ की 200 प्रतिशत से बढ़ा कर 400 प्रतिशत कर दी है।


सूत्रों ने बताया कि कई भारतीय कंपनियां अब बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण कर रही हैं और यह नियंत्रण को और अधिक आसान बनाने का मामला था।सूत्रों के मुताबिक इस तरह का उदारीकरण तभी से प्रस्तावित था जब से भारत की परिस्थितियां विदेशी मुद्रा के मामले में संतोषजनक थीं। 11 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 312 अरब डॉलर आकलित था।


उसी प्रकार, व्यक्तिगत तौर पर विदेश में फंड के विप्रेषण में और अधिक छूट दिए जाने का मसला है। चरणबध्द तरीके से आरबीआई ने इसकी सीमा भी 25,000 डॉलर से बढ़ा कर दो लाख डॉलर कर दी है।हालांकि, उपहारों और अनुदानों को इस दायरे से बाहर रखा गया है। पूंजी खाता उदारीकरण की योजना में भी उच्चतम सीमा को क्रमश: बढ़ाया जाना शामिल है।


हाल ही में आरबीआई ने म्युचुअल फंडों द्वारा विदेश में निवेश की सीमा पांच अरब डॉलर से बढ़ा कर सात अरब डॉलर कर दी है। इसके साथ-साथ आरबीआई निर्यातकों के लिए कई नियमों को आसान करने की योजना बना रही है। शुरुआत में बैंकिंग नियामक शिपमेंट से पहले और बाद के ऋण के लिए स्प्रेड को बढ़ा सकती है। यह वर्तमान में लाईबोर से 250 आधार अंक कम है। स्प्रेड बढ़ाए जाने से बैंकों को सुविधा होगी।


उसी प्रकार सरकार बैंको द्वारा निर्यात के लिए रुपये में दिए जाने वाले ऋण पर रियायत देना जारी रखेगी। निर्यातकों को विभिन्न कमोडिटीज के लिए प्रधान उदारी दर से कम दरों पर ऋण मिलता है और यह प्रधान उधारी दर से 250 आधार अंक से 650 आधार अंक नीचे होता है। एक आधार अंक प्रतिशत अंक का सौवां हिस्सा होता है।


शिपमेंट से पहले और बाद के ऋण अल्पावधि के होते हैं  और निर्यातकों को विदेशी मुद्राओं में उपलब्ध कराए जाते हैं। विदेशी बाजार में डॉलर संकट के उत्पन्न होने से बैंकों द्वारा उधार लेने की दरों में वृध्दि हुई है। पहले यह लाईबोर से 50-60 आधार अंक अधिक हुआ करता था, अब लाईबोर से 100-150 आधार अंक अधिक है। बैंकों के उधार लेने के लिए लंदन इंटर-बैंक ऑफर्ड रेट (लाईबोर) अंतरराष्ट्रीय ब्याज दर बेंचमार्क है।

First Published - April 24, 2008 | 11:09 PM IST

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