इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं में शुद्ध निवेश फरवरी में नौ महीने के उच्चस्तर 15,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस निवेश को नए फंड ऑफर (NFO) में मजबूत संग्रह और विभिन्न उप श्रेणियों में ज्यादा निवेश से सहारा मिला। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इक्विटी फंड में ज्यादा निवेश खुदरा निवेशकों के हालिया रुख के मुताबिक है जिसके तहत वे बाजार में गिरावट के दौरान चरणों में खरीदारी बढ़ा रहे हैं।
मॉर्निंगस्टार इंडिया की वरिष्ठ विश्लेषक कविता कृष्णन ने कहा, बाजारों में गिरावट के बावजूद निवेशक बेहतर फैसला लेते दिख रहे हैं और गिरावट में निवेश की उनकी प्राथमिकता स्पष्ट नजर हो गई है। देसी निवेशक बाजार पर भरोसा बनाए हुए हैं क्योंकि व्यापक आर्थिक संकेतक भारत की बढ़त की कहानी को लेकर अनुकूल बने हुए हैं। पिछले कुछ महीनों में FII की बिकवाली के बावजूद ऐसा देखे को मिला है।
पिछले महीने बाजार मुश्किल भरे दौर से गुजरा और मुख्य सूचकांक फरवरी के दूसरे हिस्से में लगातार छह कारोबारी सत्र में टूटे। निफ्टी-50 ने महीने की समाप्ति दो फीसदी की गिरावट के साथ की। बाजार में गिरावट ब्याज दरों में बढ़ोतरी, उच्च महंगाई, वैश्विक नरमी के संकेत और अदाणी समूह के शेयरों को लेकर चिंता के बीच आई।
हालांकि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश में मासिक आधार पर मामूली गिरावट आई, जो पिछले छह महीने में पहला मौका है और कुल निवेश फरवरी में 13,686 करोड़ रुपये रहा।
Amfi के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, फरवरी में सिर्फ 28 दिन होने के कारण SIP में होने वाले योगदान में गिरावट देखने को मिली क्योंकि महीने के पूरे 31 दिन के निवेश रिकॉर्ड नहीं किए गए।
सितंबर 2021 के बाद से ही SIP निवेश ज्यादातर समय में 10,000 से ऊपर रहे हैं, जिससे फंड मैनेजरों को इक्विटी बाजार में रिकॉर्ड रकम का निवेश करने में मदद मिली। लगातार दो वित्त वर्ष में इक्विटी में म्युचुअल फंडों का शुद्ध निवेश 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बना हुआ है।
इक्विटी में म्युचुअल फंड के लगातार निवेश ने भारतीय बाजार को एक साल में स्थिर रखा है जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने काफी बड़ी रकम की निकासी की है।
इक्विटी फंडों में क्षेत्रीय योजनाओं ने सबसे ज्यादा 3,856 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हासिल किया। इस श्रेणी में पेश दो फंड ऐक्सिस बिजनेस साइकल और कोटक बैंकिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज फंड पेश हुए और कुल मिलाकर इनमें 2,540 करोड़ रुपये एकत्रित हुए। कुल मिलाकर ऐक्टिव इक्विटी में NFO के जरिए 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए गए।
हालांकि डेट योजनाओं अपनी किस्मत में पलटाव का इंतजार कर रही हैं जबकि हालि के महीनों में प्रतिफल में खासी बढ़ोतरी हुई है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का चक्र खत्म होन के करीब है।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि निवेशकों ने फरवरी में डेट फंडों से 13,800 करोड़ रुपये निकाले और लिक्विड फंडों व अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन योजनाओं से शुद्ध निकासी क्रमश: 11,300 करोड़ रुपये व 2,430 करोड़ रुपये रही। लगातार निकासी के चलते डेट योजनाओं की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां पिछले एक साल में 10 फीसदी से ज्यादा घटकर 13 लाख करोड़ रुपये रह गई।
वेल्थटेक प्लेटफॉर्म फिस्डम के सह-संस्थापक आनंद डालमिया ने कहा, इक्विटी में हालांकि माह के दौरान शुद्धनिवेश में इजाफा हुआ, लेकिन डेट फंडों से निकासी जारी रही। इस श्रेणी से ठीक-ठाक निकासी की वजह संस्थागत निवेशकों मसलन बैंकों व कॉरपोरेट ट्रेजरी की तरफ से हुई वित्तीय प्रबंधन की कवायद है क्योंकि हम वित्त वर्ष की समाप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
बाजार में गिरावट और डेट फंड से निकासी के कारण उद्योग की मासिक शुद्धप्रबंधाधीन परिसंपत्तियां (AUM) फरवरी में घटकर 40.7 लाख करोड़ रुपये रह गई, जो जनवरी में 40.8 लाख करोड़ रुपये रही थी। इक्विटी, हाइब्रिड ओर सॉल्युशन ओरिएंटेड योजनाओं का खुदरा एयूएम 20.3 लाख करोड़ रुपये रहा। म्युचुअल फंड निवेश के खातों की संख्या फरवरी में बढ़कर 14.4 करोड़ हो गई। SIP AUM फरवरी में बढ़कर 6.74 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जनवरी में 6.73 लाख करोड़ रुपये रहा था।