मार्च में व्यक्तिगत निवेशकों ने घरेलू इक्विटी में 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की। यह वर्ष 2016 के बाद से किसी महीने में उनकी सबसे बड़ी निकासी है। मार्च को आमतौर पर खुदरा निवेश के लिहाज से कमजोर महीना माना जाता है। लेकिन महीने के शुरू में बाजार के अपने निचले स्तर पर पहुंच जाने से ज्यादातर लोगों ने ‘टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग’ पर जोर दिया। वर्ष 2020, 2021 और 2022 को छोड़कर, रिटेल निवेशक 2016 के बाद से मार्च के महीने में लगातार शुद्ध विक्रेता बने रहे हैं।
क्या है टैक्स हार्वेस्टिंग
टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग एक ऐसी रणनीति है जिसमें निवेशक अन्य निवेश से होने वाले लाभ पर कर को समायोजित करने के लिए नुकसान वाले निवेश को बेच देते हैं जिससे उनकी संपूर्ण कर देनदारी घट जाती है। यह तरीका उन निवेशकों के लिए मददगार है जिन्हें अपने पास रखे शेयरों से उम्मीद से कम रिटर्न मिला हो।
कमजोर प्रदर्शन वाली इन परिसंपत्तियों को बेचकर निवेशक अपने पोर्टफोलियो में हुए लाभ के बदले नुकसान दिखाने में सफल रहते हैं। लेकिन मार्च 2025 में ज्यादा नई निकासी से यह भी संकेत मिलता है कि सितंबर से बाजार में जारी उथल-पुथल को देखते हुए खुदरा निवेशकों को इस साल बड़ा नुकसान हुआ होगा।
हेज्ड डॉट इन के मुख्य कार्याधिकारी राहुल घोष ने कहा कि रिटेल निवेशकों ने 1.25 लाख रुपये तक के पूंजीगत लाभ पर कर नहीं चुकाने का फायदा उठाने के लिए अपने कुछ निवेश को मार्च में निकालना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘दूसरा कारण 22,500 के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर का टूटना है जो मध्यावधि के लिए अच्छा नहीं है। यह भी ध्यान देने की बात है कि पिछले दो सप्ताहों में 1,700 अंकों की जो तेजी आई है, वह मौजूदा बढ़त वाले रुझान को नहीं दर्शाती है। लेकिन मौजूदा गिरावट के दौर में यह राहत भरी तेजी है।’
इक्विनॉमिक्स के चोकालिंगम जी ने कहा कि इस मार्च में रिटेल निवेशकों की भारी निकासी की वजह हाल की गिरावट के दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में आई बड़ी कमजोरी भी थी। उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर रिटेल निवेशकों ने अपना पैसा इन्हीं श्रेणियों के शेयरों में लगाया। रिटेल निवेशक बड़े घाटे में थे। पिछले तीन हफ्तों में बाजारों ने वापसी की। आशंका थी कि यह वापसी बरकरार नहीं रह पाएगी क्योंकि अप्रैल में टैरिफ लागू हो जाएंगे। इसलिए निवेशकों ने महसूस किया कि बाद में पछताने से बेहतर है कि जो भी उछाल आई है, उसके साथ ही नुकसान बुक कर लिया जाए। निवेशक इस अवधि (मार्च) का उपयोग कम भरोसे वाले शेयरों में नुकसान बुक करने के लिए भी करते हैं ताकि अधिक भरोसे वाले शेयर खरीद सकें या खरीद से दूर बने रहें।’
सितंबर के अंत में अपने ऊंचे स्तर से निफ्टी में अब तक 11 फीसदी की गिरावट आई है। निफ्टी मिडकैप-100 सूचकांक 14.5 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप-100 सूचकांक 17.8 फीसदी कमजोर हुए हैं। मार्च के शुरू में इन तीनों सूचकांकों ने अपने सबसे निचले स्तरों (जून के बाद से) को छुआ था। भविष्य में रिटेल निवेशकों का पूंजी निवेश बेहतर हो सकता है, क्योंकि स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों का प्रदर्शन लार्जकैप से बेहतर रहने की संभावना है।
चोकालिंगम ने कहा, ‘लाखों खुदरा निवेशक अभी भी बाजार में आ रहे हैं। इसके अलावा, स्मॉलकैप और मिडकैप शेयर आपको अधिक वृद्धि और बढ़िया कीमत का पहलू बताते हैं। इंडेक्स शेयरों के मामले में ऐसा नहीं होता है, जिनका कारोबार एक अंक में बढ़ रहा है। आपको ऐसी कंपनियां मिल सकती हैं जिन पर टैरिफ बढ़ोतरी और रुपये के अवमूल्यन का असर न हुआ हो।’