तेल से केमिकल (ओ2सी) कारोबार में नरमी से देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के जून तिमाही के नतीजे बाजार के अनुमान के मुताबिक नहीं रहे। एक साल पहले की अवधि के मुकाबले ओ2सी सेगमेंट के परिचालन लाभ में 14 फीसदी और क्रमिक आधार पर 22 फीसदी की गिरावट ने संयुक्त आंकड़ों को नीचे खींच लिया।
ओ2सी सेगमेंट की हिस्सेदारी कुल परिचालन लाभ में एक तिहाई होती है जबकि एकीकृत लाभ में 60 फीसदी। जून तिमाही के प्रदर्शन पर निराशा कंपनी के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स में भी दिखी जो लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर 4.33 फीसदी गिरकर बंद हुआ। शुक्रवार को (1.9 फीसदी गिरा) कंपनी ने बाजार बंद होने के बाद तिमाही नतीजे घोषित किए थे। ऐसे में सोमवार को कंपनी का शेयर नीचे खुल सकता है। माह के निचले स्तर से यह शेयर करीब 8 फीसदी चढ़ा है।
पहली तिमाही में बाजार के अनुमान से नीचे रहने के बाद अब बाजार का ध्यान सितंबर तिमाही में ओ2सी कारोबार में रिकवरी पर केंद्रित होगा। ओ2सी कारोबार में कमजोरी सकल रिफाइनिंग मार्जिन में नरमी और पेट्रोकेमिकल की सुस्त वैश्विक मांग से पेट्रोकेमिकल राजस्व में कमजोरी के कारण देखने को मिली। ट्रांसपोर्टेशन फ्यूल क्रैक्स सालाना आधार पर 5 से 30 फीसदी गिरा जबकि पेट्रोकेमिकल सालाना आधार पर 1 से 17 फीसदी तक नरम हुआ।
बीओबी कैपिटल मार्केट्स के मुताबिक यह कारोबार सामान्य माहौल में अधिकतम मार्जिन के लिए सही स्थिति में है। ब्रोकरेज के कीर्तन मेहता ने कहा कि तिमाही में मार्जिन काफी कम था जिसने ओ2सी परिचालन लाभ (13,093 करोड़ रुपये) को पिछली आठ तिमाहियों के 12,000 से 20,000 करोड़ रुपये के दायरे के निचले स्तर पर पहुंचा दिया। यूनिट मार्जिन भी 14 तिमाही के निचले स्तर 89 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। हालांकि अल्पावधि की चुनौतियां हैं लेकिन आरआईएल पहले ही काफी लचीले ओ2सी ढांचे के साथ मार्जिन को अधिकतम करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुकी है।
रिटेल व ओ2सी में नरमी के कारण ब्रोकरेज वित्त वर्ष 25 में परिचालन लाभ में 9 फीसदी वृद्धि का अनुमान जता रही है। हालांकि वह वित्त वर्ष 24-27 में लाभ में सालाना 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लेकर चल रही है जिसे उपभोक्ता कारोबार के लाभ में 22 फीसदी की वृद्धि से सहारा मिलेगा। उपभोक्ता कारोबारों में डिजिटल सेवाओं ने पहली तिमाही में परिचालन लाभ में वृद्धि की अगुआई की। डिजिटल या दूरसंचार कारोबार ने संयुक्त परिचालन लाभ में सबसे ज्यादा 39 फीसदी का योगदान किया जबकि खुदरा सेगमेंट की हिस्सेदारी 13 फीसदी रही।
जियो ने 79 लाख ग्राहक जोड़े और लगातार नौवीं तिमाही मजबूत रही। बाजार को जो बात पसंद नहीं आई, वह थी 181.7 रुपये का औसत राजस्व प्रति ग्राहक यानी एआरपीयू जो तिमाही आधार पर सपाट रहा जबकि डेटा में खासी वृद्धि हुई और होम ब्रॉडबैंक कारोबार के एआरपीयू में मजबूती आई। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि एआरपीयू सुधरेगा क्योंकि 3 जुलाई से कीमत में 13 से 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
दौलत कैपिटल के हिमांशु शाह और यश विसारिया के मुताबिक डिजिटल सेगमेंट के लिए अहम संकेतक टैरिफ में बढ़ोतरी से प्रवाह, 5जी ग्राहक आधार में तेजी, कम पूंजीगत खर्च और मजबूत मुक्त नकदी प्रवाह और जियो की संभावित सूचीबद्धता होंगे। खुदरा सेवाओं के राजस्व में 8 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 19 फीसदी ज्यादा ग्राहकों के स्टोर पहुंचने से हुई।
कंपनी ने बड़े फॉर्मेट वाले स्टोर को तरजीह दी है जिससे वहां कुल क्षेत्र 15 फीसदी बढ़कर 8.1 करोड़ वर्गफुट हो गया है जबकि स्टोर जोड़ने के काम में 2.6 फीसदी का इजाफा हुआ।
परिचालनों को सुचारु करने से कंपनी के परिचालन लाभ मार्जिन में 30 आधार अंकों का इजाफा हुआ और यह 8.5 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि स्वविवेक से होने वाले खर्च में सुस्ती का फैशन व लाइफस्टाइल सेगमेंट के प्रदर्शन पर असर पड़ा। इलारा कैपिटल को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 24-26 में राजस्व व परिचालन लाभ क्रमश: 14 फीसदी व 21 फीसदी बढ़ेगा।