विश्लेषकों का कहना है कि बजट में यदि मौजूदा पूंजीगत लाभ कर ढांचे, खासकर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों की बिक्री पर कर की दर में इजाफा किया जाता है तो बाजार में गिरावट को बढ़ावा मिल सकता है। विश्लेषक चाहते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई के बजट में यथास्थिति बरकरार रखें।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस में पोर्टफोलियो प्रबंधक निशित मास्टर ने कहा, ‘लाभ को लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म में वर्गीकृत करने के लिए अवधि/होल्डिंग अवधि में वृद्धि से बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। एक या दो दिन गिरावट आ सकती है, लेकिन बाजार जल्द ही संभल जाएगा। लेकिन अगर सूचीबद्ध कंपनियों की शेयर बिक्री पर कराधान की दर बढ़ाती है तो बाजार 3 से 5 प्रतिशत तक लुढ़क सकता है और मनोबल एक महीने या ज्यादा तक सुस्त रह सकता है।’
मौजूदा समय में, सूचीबद्ध शेयरों की होल्डिंग अवधि एक साल से कम होने पर निवेशक 15 प्रतिशत अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर (STCG) चुकाते हैं।
दूसरी तरफ, यदि विक्रेता इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड की बिक्री से 1 लाख रुपये से ज्यादा का पूंजीगत लाभ (जिसमें निवेश रखने की अवधि 12 महीने से अधिक हो) कमाता है तो उसकी इस कमाई पर 10 प्रतिशत का दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर (अन्य उपकर अलग से) लगेगा।
क्लियरटैक्स में कर विश्लेषक मणिकंदन एस ने कहा, ‘मोदी 3.0 के बजट 2024 में इक्विटी निवेश के संबंध में एलटीसीजी में बदलाव की उम्मीद ज्यादा है। वर्ष 2018 में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर फिर से लागू किया गया था, लेकिन इस महीने के अंत में आने वाले बजट में इसमें बदलाव की उम्मीद की जा रही है।’
बाजार जानकारों को वायदा एवं विकल्प (F&O) सेगमेंट में सौदों से लाभ पर कराधान में भी कुछ बदलाव का अनुमान है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (SEBI) पिछले कुछ महीनों में एफऐंडओ सेगमेंट में सट्टा गतिविधियों में तेजी के खिलाफ चेताता रहा है।
मणिकंदन एस का कहना है कि आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार एफऐंडओ ट्रेडिंग से आय को गैर सट्टा बिजनेस आय के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि इसे अब स्पेक्युलेटिव एक्टीविटी यानी सट्टा गतिविधि से आय के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है और इस वजह से ऊंची दर पर कर लग सकता है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस के मास्टर ने कहा, ‘ऐसे बदलाव से एफऐंडओ सेगमेंट में कारोबार प्रभावित हो सकता है। मेरा मानना है यह बाजार की दीर्घावधि सेहत के लिहाज से अच्छा होगा।’
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के शोध प्रमुख एवं संस्थापक जी चोकालिंगम का भी मानना है कि एफऐंडओ सेगमेंट के लिए कराधान में बदलाव का अनुमान है, जो बाजार नियामक सेबी और सरकार द्वारा हाल में जताई जा रही सतर्कता के अनुरूप होगा।
पूंजीगत खर्च में इजाफा
विश्लेषकों का मानना है कि सरकार के लिए पूंजीगत खर्च में लगातार इजाफा करने की पर्याप्त गुंजाइश (जीडीपी का करीब 0.3 प्रतिशत) है और वह राजकोषीय समेकन को बाधित किए बगैर खपत को बढ़ावा दे सकती है। इससे पूंजीगत खर्च-केंद्रित कई क्षेत्रों में उत्साह देखा जा सकता है।