सरकार ने 4 माह में दूसरी बार पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के नए चेयरमैन के पद के लिए आवेदन मांगा है। यह पद पिछले साल 25 अक्टूबर को अशोक कुमार गुप्त के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली पड़ा है।
प्रतिस्पर्धा आयोग एकमात्र नियामक नहीं है, जहां चेयरमैन की तलाश हो रही है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) पिछले 2 साल से बगैर चेयरमैन के काम कर रहा है। इस पद के लिए दो बार विज्ञापन जारी किया जा चुका है और आखिरी बार पिछले साल जून में जारी किया गया था।
पीएनजीआरबी के चेयरमैन का पद 4 दिसंबर, 2020 से खाली पड़ा है, जब दिनेश के श्राफ ने 3 साल कार्यकाल पूरा किया था। सरकार चयन प्रक्रिया चला रही है, लेकिन अब तक कोई इस पद के लिए नहीं मिल पाया है।
सरकार ने कहा है कि पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय के उत्तराधिकारी की तलाश चल रही है, जिनका कार्यकाल इस साल जनवरी में खत्म हो गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन रणनीतिक आर्थिक नियामक निकायों में नेतृत्व न होने की स्थिति में अहम नीतिगत फैसले रुके हुए हैं और इससे नियामकों की निगरानी कमजोर हुई है।
वित्तीय सेवा विभाग के पूर्व सचिव डीके मित्तल ने कहा, ‘यह बेहतर प्रशासनिक गतिविधि नहीं है और कॉर्पोरेट जगत में गलत संदेश जा रहा है। पदासीन व्यक्ति के सेवानिवृत्त होने के 3 महीने पहले उत्तराधिकारी की तलाश शुरू की जाती है। नौकरशाही को इस पर गंभीर होने की जरूरत है।’
उदाहरण के लिए अपर्याप्त कोरम के कारण पिछले अक्टूबर से मिली शिकायतों के खिलाफ सीसीआई कोई कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हुआ है। तीन सदस्यों का कोरम पूरा नहीं हो पा रहा है क्योंकि चेयरमैन का पद अभी भरा जाना बाकी है।
कानूनी परामर्श के बाद प्रतिस्पर्धा की निगरानी करने वाले आयोग ने आवश्यकता के सिद्धांत का इस्तेमाल कर कोरम की उपेक्षा कर विलय के लंबित आवेदनों को निपटाने का फैसला किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आवश्यकता से ज्यादा सुविधा की नीति है और सरकार को चेयरमैन की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए।
पेट्रोलियम नियामक में चेयरमैन न होने के कारण तमाम अहम नीतिगत काम अटके पड़े हैं, जिसमें पीएनजीआरबी ऐक्ट में संशोधन शामिल है। इस संशोधन से नियामक को सिटी गैस पाइपलाइन को कॉमन कैरियर के रूप में वर्गीकृत करने की योजना को लेकर ज्यादा अधिकार मिल पाएगा।
नीति आयोग में विज्ञान और तकनीक के सदस्य वीके सारस्वत की अध्यक्षता में बनी तलाश-चयन समिति ने जून 20021 में पूर्व बिजली सचिव संजीव नंदन सहाय को इस पद के लिए चुना था। लेकिन नियुक्ति की पुष्टि कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एससीसी) से नहीं हो सकी।
सूत्रों के मुताबिक एसीसी ने सीसीआई के चेयरमैन के लिए सिफारिश किए गए अभ्यर्थी को भी मंजूरी नहीं दी।
तेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘तेल व गैस क्षेत्र में सरकार के निकाय हमेशा प्रशासन या सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम से रहे हैं। इसमें शीर्ष पद भरने को लेकर कठिनाई रही है। चयन में खासकर इस पर ध्यान दिया जाता है कि व्यक्ति 2-3 दशक तक इस क्षेत्र में काम कर चुका हो और उसे इस क्षेत्र की चुनौतियों और हकीकतों की जानकारी हो। इसमें बड़ी संख्या नहीं आ पाती।’
पीएफआरडीए के प्रमुख सुप्रतिम बंद्योपाध्याय 16 जनवरी, 2023 को सेवानिवृत्त हुए थे और नए चेयरमैन की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी वित्तीय क्षेत्र नियामक नियुक्ति तलाश समिति ने इस पद के लिए 3 नाम की सिफारिश की है, यह फाइल अभी कैबिनेट के पास लंबित है।
पीएनजीआरबी बोर्ड में चेयरमैन के अलावा 4 सदस्य होते हैं। इसमें भी पद नहीं भरे हैं। पीएफआरडीए में भी यही कहानी है, जिसके बोर्ड में पद रिक्त हैं। वहीं सीसीआई के 2 सदस्य जल्द सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिसके लिए पहले ही विज्ञापन जारी हो गया है।