इस साल जनवरी से लेकर नवंबर तक भारत में कुल 1,022 निजी इक्विटी (पीई) सौदों के तहत 30.89 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। साल 2023 की समान अवधि में 863 सौदों के तहत 25.17 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। इस प्रकार, इस साल निजी इक्विटी निवेश में 22.7 फीसदी और सौदों की कुल संख्या में 18.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
इस अवधि के दौरान बड़े सौदों में 1.5 अरब डॉलर का वॉल्टन स्ट्रीट इंडिया इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और 1.35 अरब डॉलर का किरानाकार्ट टेक्नोलॉजिज का निवेश शामिल है। जानकारों के मुताबिक, इस साल सौदों में उछाल दर्ज किया गया है जबकि उद्योग के निकास के लिए सार्वजनिक निर्गम का सहारा लिया।
गाजा कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर गोपाल जैन ने कहा, ‘यह ऐसा साल है जिसमें आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये निवेश समेटना सुर्खियों में रहा है।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक बाजार के जरिये निकास अल्पमत हिस्सेदारी तक ही सीमित नहीं है, लेकिन यह नियंत्रण वाले पदों तक फैला था।
इन्वेस्टकॉर्प में प्रमुख (भारतीय निवेश कारोबार) गौरव शर्मा ने निवेशकों के विश्वास के लिए निकास के महत्त्वपूर्ण पर जोर देते हुए धारणा के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘यह भारत में निजी इक्विटी के लिए बेहतर संकेत है क्योंकि निवेशकों द्वारा निवेश समेटना एलपी (सीमित भागीदारों) के लिए चिंतनीय विषय रहा है, जब वे भारत में निजी इक्विटी पर विचार करते हैं। साथ ही इस साल होने वाले निकास की रिकॉर्ड संख्या देश में एक परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर पीई के लिए अच्छी है।’
भारतीय निजी इक्विटी में बदलाव आ रहा है क्योंकि घरेलू पूंजी गति हासिल करने लगी है, जो उद्योग के लिए नए युग का संकेत है। जैन ने कहा, ‘निजी इक्विटी को अब इससे मतलब नहीं है कि विदेशी निवेशक भारत को किस तरह देखते हैं। खास बात है कि यह एक भारतीय उत्पाद है और निजी इक्विटी के जरिये होने वाले निवेश की पूंजी भी भारतीय पूंजी है।’
घरेलू पूंजी के बावजूद वैश्विक वृहद आर्थिक गतिविधियां भी इस क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। अर्न्स्ट ऐंड यंग (ईवाई) के पार्टनर विवेक सोनी ने कहा, ‘अगर विदेशी फंड है तो भू राजनीति, अमेरिका में जो होता है उसका काफी असर पड़ता है क्योंकि भारत में निवेश की जाने वाली अधिकतम रकम वहीं से आ रही है।’