आने वाले साल 2009 में भारत में प्राइवेट इक्विटी (पीई) सौदों में और कमी आ सकती है क्योंकि पैसा उगाहना इस माहौल में मुश्किल होता जा रहा है और इस धंधे के छोटे खिलाड़ी धन निकासी का भारी दबाव महसूस कर रहे हैं।
वैश्विक एकाउंटेंसी फर्म ग्रांट थार्नटन के मुताबिक साल 2008 के दौरान पीई सौदों की वैल्यू में 40 फीसदी की कमी रहने के आसार हैं, इस साल जनवरी से दिसंबर 15 के बीच पीई सौदों की वैल्यू 10.42 अरब डॉलर की रही है जबकि 2007 में कुल 19.03 अरब डॉलर की पीई डील्स हुई थीं।
कोटक प्राइवेट इक्विटी ग्रुप के नितिन देशमुख के मुताबिक मार्जिनल यानी छोटे खिलाड़ी और हेज फंड पहले ही इस मंदी से प्रभावित हैं और अपने हाथ समेट रहे हैं, अगले साल पीई सौदों की संख्या और कम होगी क्योंकि इस धंधे में लोग भी कम हो जाएंगे। उनका मतलब था कि छोटे खिलाड़ी इस धंधे से निकल जाएंगे।
अमेरिका में आर्थिक संकट और उसके वैश्विक प्रभाव ने सभी शेयर बाजारों में शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट ला दी है।
इसकी वजह से कई अमीर लोगों और पीई फंड में निवेश करने वालों ने अपने पोर्टफोलियो को समय के अनुसार ठीक करना शुरू कर दिया है और यही कारण है कि केवल वही पीई निवेश फर्में पैसा उगाह पा रही हैं जो काफी बड़ी हैं और जिनका ट्रैक रिकार्ड काफी लंबा और अच्छा है।
एक पीई फर्म के अधिकारी, जो एक अरब डॉलर उगाहने की तैयारी कर रही है, ने कहा कि यह पैसा उगाहने का आसान समय नहीं है, हर कोई अपने पैसे और निवेश के भविष्य को लेकर चिंतित है।
ग्रांट थार्नटन के आंकडो के मुताबिक इस साल कुल 306 पीई सौदे हुए हैं जबकि पिछले साल यानी 2007 में कुल 405 पीई सौदे हुए थे।
एम्बिट प्राग्मा के सीईओ राजीव अग्रवाल के मुताबिक बाजार के भारी उतार चढ़ाव ने निवेशकों का जीवन मुश्किल कर दिया है। अगर अगले छह महीनों तक शेयर बाजार स्थिर रहता है और 10-15 फीसदी तक की ग्रोथ रहती है तो पीई सौदे होने फिर से शुरू हो जाएंगे क्योकि इससे प्रवर्तकों की उम्मीदें (वैल्यू के हिसाब से) बढ़ेंगीं।
इंडिया इक्विटी पार्टनर्स के एमडी सुदर्शन संपतकुमार के मुताबिक वैल्युएशंस में काफी कमी आ चुकी है और अगले साल हमें उन लोगों से और पीई सौदे होने की उम्मीद है जिनके पास पैसा है।