बीएसई 500 के दो-तिहाई से अधिक शेयरों ने अगस्त में अभी तक ऋणात्मक प्रतिफल दिया है और 108 शेयर इस महीने 10 से 31 फीसदी तक लुढ़के हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि बीएसई 500 शेयरों में गिरावट मिड और स्मॉल कैप श्रेणी में बिकवाली के दबाव को दर्शाती है। हालांकि सूचकांक अपने अब तक के सर्वोच्च स्तरों के आसपास बने हुए हैं, लेकिन व्यापक बाजार में पिछले कुछ सप्ताह के दौरान बिकवाली का दबाव रहा है।
इस महीने अभी तक बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.6 फीसदी और स्मॉलकैप सूचकांक 3.1 फीसदी लुढ़के हैं, जबकि सेंसेक्स में 6.3 फीसदी उछाल रही है। बीएसई मिडकैप सूचकांक मार्च, 2020 के निचले स्तरों से अब तक 140 फीसदी चढ़ा है, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक में 201 फीसदी उछाल रही है।
व्यापक बाजारों में बिकवाली के दबाव को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ निवेशकों को सतर्कता बरतने को लेकर आगाह कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे मिड और स्मॉल कैप शेयरों में भारी तेजी के बाद कुछ देर की गिरावट बता रहे हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा अनुसंधान प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘आम तौर पर स्मॉल और मिडकैप शेयर बेंचमार्क सूचकांकों में अच्छी खासी तेजी के बाद चढऩा शुरू होते हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों के लिए मार्च और जून तिमाहियां बहुत अच्छी रही थीं। निफ्टी के लिए जुलाई सपाट रहा और अगस्त में महीने के आखिर में कुछ तेजी आने के आसार हैं। निफ्टी के लिए जुलाई सपाट रहने के बाद मिड और स्मॉलकैप सूचकांकों में गिरावट आ रही है। संस्थागत निवेशकों की तुलना में खुदरा और एचएनआई निवेशकों की शेयरों को बनाए रखने की क्षमता सीमित होती है। संस्थागत निवेशकों का ज्यादातर निवेश निफ्टी के शेयरों में है।’
कुछ विश्लेषकों ने कहा कि मिड और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट की रफ्तार तेज है। उन्होंने कहा कि नए निवेशकों की आक्रामक खरीद से व्यापक बाजारों में भारी तेजी आई है। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोक्कालिंगम ने कहा, ‘घाटे में चल रहे ऊंचे मूल्यांकन वाले शेयरों में गिरावट आई है। यह गिरावट होनी ही थी। नए निवेशकों की वजह से मिड और स्मॉलकैप में भारी तेजी आई है। इस महीने भी कम से कम एक लाख निवेशक रोजाना बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। निवेशकों की यह तादाद पिछले दो साल में दोगुनी से अधिक हो गई है। नए निवेशक मिड और स्मॉलकैप को तरजीह देते हैं क्योंकि आम तौर पर लार्ज कैप महज कुछ दिनों में दो अंकों में प्रतिफल नहीं देते हैं। अगर इस तरह की बढ़ोतरी होती भी है तो संस्थागत निवेशक अपने शेयरों की बिकवाली कर देते हैं। संस्थागत निवेशक मिड और स्मॉलकैप में मौजूद नहीं हैं। इनमें धारणा से ही घट बढ़ होती है।’
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि बीएसई 500 शेयरों में गिरावट सिकुड़ती बाजार की बढ़त का संकेत है। उन्होंने कहा, ‘इस पैटर्न को बाजार की शब्दावली में वितरण कहा जाता है, जिसमें मुख्य सूचकांक ऊंचे बने रहते हैं और यह मिथ्या धारणा पैदा करते हैं कि सब कुछ ठीक चल रहा है।
ऐसे में संस्थागत और समझदार निवेशक निकलते हैं और खुदरा निवेशक खरीदारी करते हैं। पिछले 18 महीनों के दौरान जब कभी खुदरा निवेशकों ने गिरावट में खरीदारी की तो उन्हें कमाई हुई। मुझे नहीं लगता कि जल्द ही यह पैटर्न दोहराएगा। पिछले कुछ सप्ताह से खुदरा निवेशकों में घबराहट पैदा होने लगी है। आम तौर पर नए निवेशक पैसा गंवाने के बाद खरीदारी बंद कर देते हैं और अगर कोई ताजा पैसा नहीं आया तो इसके दबाव में बाजार गिर सकता है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि आने वाले समय में मिड और स्मॉलकैप उबर सकते हैं। हालांकि यह सुधार आंख मूंदकर खरीदारी के बजाय फंडामेंटल से आएगी और पूरे बाजार में अच्छे शेयरों की ही खरीदारी होगी। चोक्कालिंगम ने कहा, ‘इसमें अपने असल मूल्य से कम पर बने शेयरों की खरीदारी से सुधार आएगा।’