सबसे बड़ी सूचीबद्ध स्पेशियल्टी केमिकल निर्माता एसआरएफ के कमजोर अप्रैल-जून तिमाही परिणाम और इस क्षेत्र के लिए कई वैश्विक समस्याओं से वित्त वर्ष 2024 में भारतीय स्पेशियल्टी रसायन कंपनियों के परिदृश्य पर दबाव पड़ने का अनुमान है। इस क्षेत्र के शेयरों ने पिछले तीन महीनों में प्रमुख सूचकांकों (10 प्रतिशत तक की तेजी) के मुकाबले कमजोर (7 से 18 प्रतिशत) प्रदर्शन किया है, और कई चुनौतियों को देखते हुए यह रुझान बरकरार रहने की संभावना है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को सभी खास महत्वपूर्ण उद्योगों में कमजोर मांग, स्टॉकिंग में कमी और चीनी आपूर्तिकर्ताओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कीमतों में गिरावट की वजह से इस क्षेत्र के लिए वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही कमजोर रहने का अनुमान है। उसे राजस्व और मार्जिन दोनों पर दबाव रहने का अनुमान है।
एसआरएफ ने रसायन, पैकेजिंग और टेक्नीकल टेक्स्टाइल की तीन प्रमुख श्रेणियों में सुस्ती की वजह से राजस्व में 14 प्रतिशत गिरावट दर्ज की। घटती जिंस कीमतों से कमजोर मांग के बीच इन्वेंट्री गिरावट को बढ़ावा मिल रहा है। इससे परिचालन मुनाफा 29 प्रतिशत तक गिरा है। परिचालन मुनाफा मार्जिन भी एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले 460 आधार अंक और तिमाही आधार पर 380 आधार अंक तक घटा है।
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मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषक सुमंत कुमार का मानना है कि कमजोर मांग परिवेश और कम प्राप्तियों की वजह से केमिकल और पैकेजिंग व्यवसाय के मार्जिन पर वित्त वर्ष 2024 में दबाव बना रहेगा। ब्रोकरों ने कंपनी के लिए वित्त वर्ष 2024 का परिचालन मुनाफा अनुमान 20 प्रतिशत तक घटा दिया है।
हालांकि कई विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी के लिए अल्पावधि समस्याएं हैं, लेकिन वे उसके दीर्घावधि परिदृश्य को लेकर सकारात्मक हैं।
नुवामा रिसर्च का मानना है कि सभी व्यावसायिक सेगमेंटों में मजबूत पूंजीगत खर्च, स्पेशियल्टी ऐक्टिव इंटरमीडिएट्स, रेफ्रिजरेंट गैस और फ्लूरोपॉलिमर्स के लिए मांग में सुधार को देखते हुए दीर्घावधि परिवेश मजबूत बना हुआ है। जहां एसआरएफ ने शुद्ध लाभ में 40 प्रतिशत गिरावट दर्ज की, वहीं फिलिपकैपिटल रिसर्च को राजस्व में 12 प्रतिशत कमजोरी और तिमाही आधार पर मार्जिन दबाव की वजह से इस क्षेत्र के कुल शुद्ध लाभ में 33 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है।
जहां मुख्य उत्पादन लागत संबंधित कीमतें नीचे आई हैं, लेकिन वे रसायन कंपनियों का मार्जिन सुरक्षित रखने में सक्षम नहीं होंगी, क्योंकि रसायन उत्पादों की कीमतें तेज गति से गिरी हैं। यह कड़ी चीनी प्रतिस्पर्धा और कमजोर मांग को देखते हुए नकारात्मक परिचालन दक्षता की वजह से हुआ है।
जहां गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स, क्लीन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी और गैलेक्सी सरफैक्टैंट्स अपने परिचालन लाभ में 20 प्रतिशत तक की कमी दर्ज कर सकती हैं, वहीं अनुपम रसायन इंडिया, पीआई इंडस्ट्रीज और नवीन फ्लोराइन इंटरनैशनल जैसी कंपनियों का अनुबंध व्यवसाय इस क्षेत्र के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। मांग में कमजोरी रसायन कंपनियों के लिए मुख्य नकारात्मक बदलाव है।
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फिलिपकैपिटल रिसर्च के शोध विश्लेषक सूर्य पात्र का कहना है, ‘भारतीय औद्योगिक रसायनों के लिए सबसे बड़े बाजार यूरोप में पहले से ही आर्थिक मंदी स्पष्ट दिखाई दे रही है और कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में अमेरिका के लिए इसका अनुमान जताया गया।’
दो यूरोपीय स्पेशियल्टी रसायन कंपनियों ने अपने बिक्री एवं मुनाफा अनुमान घटाए हैं। जर्मन स्पेशियल्टी कंपनी लैनएक्सेस ने हाल में (जून में) अपनी दूसरी तिमाही के अनुमानों और सालाना मुनाफा अनुमानों में कटौती की, क्योंकि जून में मांग में सुधार नहीं देखा गया और मौजूदा स्टॉक में कमी बनी रही। निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपभोक्ता उत्पाद खंडों में मांग को लेकर हालात कमजोर रहे, जिससे मुनाफा अनुमानों में संशोधन को बढ़ावा मिला।
स्विटजरलैंड की स्पेशियल्टी रसायन कंपनी क्लेरिएंट ने भी दूसरी तिमाही और कैलेंडर वर्ष 2023 के परिदृश्य के लिए अपने बिक्री अनुमान घटाए हैं। अनुमानों में कटौती की वजह चुनौतीपूर्ण वृहद आर्थिक हालात, चीन में धीमी रिकवरी और महत्वपूर्ण उपयोगकर्ता बाजारों में स्टॉक में कमी थी।
कुछ ब्रोकरों द्वारा जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर की तिमाहियों में भी मंदी जैसे हालात बने रहने की आशंका जताई गई है, इसलिए निवेशकों को सतर्क नजरिया अपनाना चाहिए और इस क्षेत्र के शेयरों में निवेश से पहले मांग और मार्जिन में सुधार के संकेतों पर ध्यान देना चाहिए।