इस हफ्ते यानी 5 मार्च को वियना में होने वाली ओपेक देशों की बैठक से पहले कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ा बदलाव देखा गया और यह 102 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। तेल उत्पादक देशों के समूह (ओपेक) की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि तेल के उत्पादन में कटौती की जाए या फिर उत्पादन के वर्तमान लक्ष्य को बरकरार रखा जाएगा। लीबिया के नैशनल ऑयल कॉरपोरेशन के अध्यक्ष शोकरी घानेम ने बताया कि 5 मार्च की ओपेक की बैठक में उत्पाद नीति पर चर्चा होगी, जिसमें इस पर सहमति बन सकती है कि उन्हें तेल उत्पादन में कटौती करने की फिलहाल जरूरत नहीं है। वेनेजुएला के ऊर्जा और तेल मंत्री राफीज रामिरेज ने बताया कि वेनेजुएला वर्तमान उत्पादन को बरकरार रखने या फिर उसमें
कटौती करने के फैसले में तेल उत्पादक देशों का साथ देगी।
नैशनल ऑस्ट्रेलिया बैंक लिमिटेड के खनिज व ऊर्जा विशेषज्ञ ने मेलबर्न में बताया कि ओपेक के ज्यादातर सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि तेल की कीमत 101 डॉलर प्रति बैरल के आसपास होनी चाहिए। ऐसे में तेल के उत्पादन में कटौती की संभावना बरकरार है।
उधर, न्यू यॉर्क मकर्रन्टाइल एक्सचेंज में सुबह के सत्र में अप्रैल माह के लिए आपूर्ति की जाने वाली कच्चे तेल की कीमत में 16 सेंट की गिरावट दर्ज की गई और यह 101.68 डॉलर प्रति बैरल रहा। 29 फरवरी को भी शुरू में कच्चे तेल की कीमत में 75 सेंट की गिरावट देखी गई थी और यह 101.84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। हालांकि बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ यह 103.05 डॉलर प्रति बैरल पर टिका, जो 1983 (जब से तेल की ट्रेडिंग शुरू हुई) के बाद सबसे अधिक है। तेल की कीमतों में इस यह तेजी यूरो के मुकाबले डॉलर के कमजोर पड़ने से आई है। कच्चे तेल की कीमत में उछाल की बात करें, तो पिछले हफ्ते इसमें 3.1 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जबकि साल भर में इसमें 69 फीसदी उछाल दर्ज किया गया।
लंदन स्थित आईसीई फ्यूचर यूरोप एक्सचेंज में सुबह के सत्र में अप्रैल माह में आपूर्ति की जाने वाली ब्रेंट कू्रड की कीमत 1 सेंट के उछाल के साथ 100.11 डॉलर प्रति बैरल दर्ज किया गया, जो बाद में 101.27 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। ओपेक देशों की बैठक में भाग लेने ऑस्ट्रिया पहुंचे घानेम ने संवाददाताओं को बताया कि उम्मीद है कि सब कुछ पहले की तरह ही सामान्य रहेगा। हालांकि नाइजीरिया के तेल मंत्री ओडिन अजुमोगोबिया ने बताया कि बढ़ती कीमतों को देखते हुए हम तेल के उत्पादन में कटौती का विरोध कर सकते हैं। सुमिटो कॉरपोरेशन के कमोडिटी डेरिवेटिव्स के ग्लोबल हेड बॉब टकाई ने बताया कि अमेरिका में तेल की बढ़ती मांग को देखते हुए ओपेक देश तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने को सहमत हो सकते हैं। टीवी पर साक्षात्कार के दौरान बॉब ने बताया कि वर्तमान में तेल की कीमत में जो उछाल आया है, उसे ठीक नहीं कहा जा सकता है। मेरे विचार से ओपेक देश तेल की कीमत को एक निश्चित स्तर पर कायम नहीं करना चाहते हैं, बल्कि वे मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए कीमत तय करना
चाहते हैं।उधर, ब्लूमबर्ग की ओर से पिछले हफ्ते कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि अमेरिका में तेल की मांग घटने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट आने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। 34 विश्लेषकों में से 21 लोगों का मानना है कि मार्च 7 तक तेल की कीमत में गिरावट आ सकती है।
