नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की योजना बैंक निफ्टी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी गुरुवार की बजाय बुधवार को करने की है। यह बदलाव 1 सितंबर से प्रभावी होगा। एक्सचेंज ने एक परिपत्र में यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, गुरुवार को एक्सपायर होने वाले सभी मौजूदा साप्ताहिक अनुबंधों की एक्सपायरी 1 सितंबर से बुधवार को होगी। पहली साप्ताहिक एक्सपायरी 6 सितंबर को होगी।
देश के सबसे बड़े एक्सचेंज की तरफ से बैंक निफ्टी डेरिवेटिव की एक्सपायरी गुरुवार की बजाय शुक्रवार को करने के कदम पर प्रतिस्पर्धी BSE ने अड़चन डाल दी थी, जो शुक्रवार का इस्तेमाल दोबारा पेश हुए सेंसेक्स व बैंकेक्स डेरिवेटिव की एक्सपायरी के लिए करता है।
NSE व BSE ने 27 जून को संयुक्त बयान में कहा था, बाजार के संतुलित विकास और बाजार में संकेंद्रित जोखिम को टालने की खातिर BSE ने NSE से बैंक निफ्टी एक्सपायरी शुक्रवार की बजाय किसी और दिन करने का अनुरोध किया है। इससे सेंसेक्स/बैंकेक्स डेरिवेटिव को वृद्धि में मदद मिलेगी।
बैंक निफ्टी कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी बुधवार को होने के बाद डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी हफ्ते में चार दिन होगी। NSE के निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज (फिननिफ्टी) के F&O अनुबंध मंगलवार को एक्सपायर होते हैं जबकि बैंक निफ्टी की एक्सपायरी बुधवार को होगी और निफ्टी की गुरुवार को और सेंसेक्स व बैंकेक्स की शुक्रवार को होगी।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि पूरे हफ्ते में एक्सपायरी दिनों के फैलाव से ट्रेडिंग की गतिविधियों को मजबूती मिलेगी। ट्रेडर एक्सपायरी के दिन ज्यादा सक्रिय होते हैं क्योंकि ज्यादा उतारचढ़ाव आदि की संभावना होती है।
ऐंजल वन की वरिष्ठ विश्लेषक स्नेहा सेठ ने कहा, इस कदम से एक्सचेंज, ब्रोकर और ट्रेड को फायदा होगा क्योंकि गतिविधियों का स्तर बढ़ेगा। हालांकि इससे खुदरा प्रतिभागियों के बीच भ्रम पैदा हो सकता है।
NSE का ताजा कदम ऐसे समय में देखने को मिल रहा है जब BSE डेरिवेटिव के क्षेत्र में उसके वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। शुक्रवार को BSE सेंसेक्स के डेरिवेटिव में रिकॉर्ड 13.6 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जो NSE के डेरिवेटिव के रोजाना औसत कारोबार 250 लाख करोड़ रुपये का अंश भर ही है।