दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज (डीएसई)ट्रेडिंग प्लैटफार्म मिलने के विदेशी एक्सचेंजों में अपने नए उत्पाद और सेवाएं शुरू करने के लिए न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मार्केट (एआईएम)से बातचीत कर रही है।
दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज के लिए ट्रेडिंग प्लैटफार्म बनाने का काम फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीस करेगी। हालांकि इस काम के लिए टीसीएस भी दौड़ में थी लेकिन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए यह काम उसे दिया गया है। अगले हफ्ते दोनों के बीच इसके लिए करार हो जाएगा और कुछ ही दिनों में एक्सचेंज का ट्रेडिंग प्लैटफार्म लांच कर दिया जाएगा। फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीस ने पहले ही डीएसई में पांच फीसदी हिस्सेदारी ले रखी है।
सूत्रों के मुताबिक विदेशी एक्सचेंजों के साथ मिलकर डीएसई नए सूचकांक शुरू कर सकता है और तकनीकी जानकारियों का भी आदान प्रदान कर सकता है। डीएसई में छोटी बड़ी मिलाकर कुल 2800 कंपनियां लिस्टेड हैं लिहाजा एआईएम जो छोटी कंपनियों का ही एक्सचेंज है डीएसई के साथ भारत में भी उसी तर्ज का एक्सचेंज लाने में साझेदारी कर सकता है।
पिछले कुछ समय में क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में निवेशकों की रुचि बिलकुल खत्म सी हो गई थी लेकिन विदेशी एक्सचेंजों को साथ जोड़ने से और उनकी रुचि बढ़ने का एक्सचेंज पर अच्छा असर पड़ सकता है।
नैस्डैक अमेरिका का सबसे बड़ा इक्विटी एक्सचेंज है और वह भी अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज के साथ साझेदारी करने पर विचार कर रहा है। इसके अलावा नैस्डैक तीन और क्षेत्रीय एक्सचेंजों से साथ भी मिलकर भारत में एक्सचेंज लाने की सोच रहा है। बीएसई ने भी हाल ही में कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज में पांच फीसदी हिस्सेदारी ली है।
सूत्रों के मुताबिक डीएसई ने सेबी से एफ ऐंड ओ यानी वायदा कारोबार का सेटलमेंट महीने के बजाए हर हफ्ते करने के लिए सेबी से मंजूरी मांगी है। डीएसई ने पिछले साल सफलतापूर्वक डीम्युचलाइजेशन भी कर लिया था। इसमें जिन चार विदेशी निवेशकों डीएसई में हिस्सेदारी ली है उनमें मॉरीशस की फर्म विलमेट होल्डिंग्स, कुवैत की नूर फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट कंपनी, कुवैत प्राइवेटाइजेशन प्रोजेक्ट्स होल्डिंग और इकारस इंडस्ट्रियल पेट्रोलियम कंपनी शामिल है।