इक्विटी म्युचुअल फंडों द्वारा जून में लगातार चौथे महीने शुद्घ पूंजी प्रवाह दर्ज किए जाने का अनुमान है। पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले मजबूत प्रतिफल और टीकाकरण से संबंधित सकारात्मक खबरों से निवेशकों को इक्विटी फंडों के साथ जुड़े रहने का प्रोत्साहन मिला है।
हालांकि आधिकारिक आंकड़ा अभी जारी नहीं किया गया है, लेकिन बाजार कारोबारियों का कहना है कि बिकवाली दबाव घटा है और नई बिक्री जून में तेजी से बढ़ी है।
सुंदरम म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, ‘शुरू में दूसरी लहर के दौरान कुछ चिंताएं थीं। लेकिन समस्या तेजी से दूर हुई है और टीकाकरण के मोर्चे पर अब अच्छी खबर है। कुल मिलाकर, अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आने की संभावना है। अब धीरे धीरे खुदरा निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार में फिर से भरोसा लौट रहा है।’
कई इक्विटी उप-श्रेणियों, जैसे लार्ज-कैप फंडों, फ्लेक्सी-कैप फंडों, और मिड-कैप फंडों ने जून में मासिक आधार पर एयूएम में अच्छी तेजी दर्ज की है।
परिसंपत्तियों में अच्छी तेजी दर्ज करने वाली श्रेणियों में फ्लेक्सी-कैप फंड और मिड-कैप फंड मुख्य रूप से शामिल थे। म्युचुअल फंड उद्योग संगठन एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि फ्लेक्सी-कैप श्रेणी की एयूएम मई के अंत के 1.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 1.76 लाख करोड़ रुपये पर पहुुंच गई। वहीं मिड-कैप सेगमेंट में एयूएम 7,844 करोड़ रुपये तक बढ़कर जून में 1.34 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
सुब्रमण्यम ने कहा, ‘निवेशकों का भरोसा बढ़ा है, क्योंकि एसआईपी का प्रतिफल अब सकारात्मक हो गया है।’
पिछले साल के दौरान, लार्ज-कैप फंडों ने 51 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया, जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंडों ने 75.5 प्रतिशत और 104 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।
उद्योग के कारोबारियों का यह भी कहना है कि कई निवेशकों ने एसआईपी के जरिये निवेश बरकरार रखा, क्योंकि बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचा और पिछले साल जैसी मुनाफावसूली नहीं देखी गई।
महिंद्रा मैन्युलाइफ एमएफ के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशुतोष बिश्नोई ने कहा, ‘पिछले साल इस समय कई निवेशकों ने अपने एसआईपी बंद कर दिए थे। अब हम देख रहे हैं कि ये निवेशक फिर से अपना निवेश शुरू कर रहे हैं और एसआईपी के जरिये इक्विटी फंडों में पूंजी प्रवाह बढ़ रहा है। पिछले तीन महीनों में, इक्विटी फंडों ने मजबूत शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित किया अैर हमें भविष्य में भी यह सकारात्मक रुझान बरकरार रहने की संभावना है।’ जुलाई 2020 और फरवरी 2021 के बीच, इक्विटी योजनाओं ने करीब 46,700 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की, भले ही सेंसेक्स में 40 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई। हालांकि बाद के तीन महीनों में इक्विटी योजनाओं ने फिर से वापसी की और करीब 22,600 करोड़ रुपये का पूंजी प्रवाह दर्ज किया।
इक्विटी फंडों के लिए पूंजी प्रवाह में लगातार तेजी की अन्य वजह यह है कि इक्विटी ने मौजूदा हालात में डेट फंडों के मुकाबले बेहतर प्रतिफल दिया है। हालांकि भारतीय शेयर बाजारों के मूल्यांकन को देखते हुए निवेशकों को अल्पावधि लाभ के लिए फिलहाल प्रवेश करने से बचना चाहिए।
मुंबई स्थित एक एमएफ वितरक रुषभ देसाई ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में कमजोरी और तीसरी कोविड-19 लहर की आशंका को देखते हुए, बाजारों में उतार-चढ़ाव और गिरावट का जोखिम भी बना हुआ है। मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए और ज्यादा आबादी को टीका लगने तक, हम निवेशकों को फिलहाल सिर्फ एसआईपी के जरिये निवेश करने और एकमुश्त निवेश से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं।’
