करीब 13 साल के लंबे अंतराल के बाद नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (NCDEX) मूंगफली वायदा शुरू करने जा रहा है।
मूंगफली वायदा अनुबंध 20 जून को शुरू होगा और यह जुलाई से सितंबर 2023 तक के तीन महीने की ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होगा। अनुबंध के दस्तावेजों के मुताबिक, यह मानव के सीधे उपभोग के लिए नहीं है।
पिछली बार NCDEX ने मूंगफली वायदा 2006 में शुरू किया था, जिसे दिसंबर 2009 में वापस ले लिया गया था। इसकी वजह कारोबार से जुड़े मामले थे।
सूत्रों ने कहा कि राजस्थान का बीकानेर मूंगफली का पारंपरिक ट्रेडिंग सेंटर है और यह NCDEX के लिए डिलिवरी सेंटर होगा। गुजरात के गोंडल को अतिरिक्त डिलिवरी सेंटर के तौर पर पहचाना गया है।
सूत्रों ने कहा कि आने वाले समय में एक्सचेंज और नए अनुबंध जोड़ने की योजना बना रहा है।
मूंगफली डेरिवेटिव मसलन मूंगफली तेल, ग्राउंडनट खली और ग्राउंडनट बटर अपनी प्रकृति, पोषक से जुड़े फायदे और व्यापक उपभोक्ता मांग के कारण आवश्यक जिंस के तौर पर उभरे हैं।
मूंगफली वायदा का लेनदेन शुल्क 3 लाख रुपये प्रति ट्रेड होगा। ट्रेडिंग की यूनिट (लॉट साइज) और डिलिवरी यूनिट 5 टन का होगा और इसमें एक-एक टन की बढ़ोतरी की जा सकेगी। शुरुआती मार्जिन 12 फीसदी रखी गई है।
यह अनिवार्य डिलिवरी वाला अनुबंध होगा, जिसका मतलब यह है कि ट्रेड का निपटान एक्सपायरी पर डिलिवरी के रूप में होगा।
मूंगफली देश में मुख्य तिलहनों में से एक है, जो ज्यादातर गुजरात में होता है। 2022-23 में देश में 1.028 करोड़ टन मूंगफली का उत्पादन खरीफ व रबी सीजन में हुआ। यह जानकारी तीसरे अग्रिम अनुमान से मिली। इसकी पैदावार 45-46 एकड़ जमीन में हुई।
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मूंगफली वायदा की दोबारा पेशकश का स्वागत करते हुए इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने कहा कि यह कदम मूंगफली उद्योग के लिए अहम है और इससे हितधारकों को काफी फायदे मिलेंगे।
एसोसिएशन ने कहा, इससे सुधरी हुई कीमत स्थिरता मिलेगी और हेजिंग के मौके भी होंगे। साथ ही किसान, प्रसंस्करण करने वालों, ट्रेडरों आदि समेत भागीदारों के लिए यह मूल्यवान होगा।
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कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि इसके विभिन्न प्रयोग व उच्च मांग के कारण मूंगफली वायदा कमोडिटी ट्रेडरों को काफी वैल्यू व मौके उपलब्ध कराता है।
भारत में मूंगफली की फसल न सिर्फ तेल के लिए प्रासंगिक है बल्कि फूड उद्योग की बढ़ती जरूरतों के लिए अहम है।