म्युचुअल फंडों की तरफ से इक्विटी की खरीदारी दिसंबर में लगातार पांचवें महीने उच्चस्तर पर बनी रही और इस तरह से साल 2023 में उनकी कुल खरीद 1.7 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गई। दिसंबर में आक्रामक खरीदारी से संकेत मिलता है कि इक्विटी फंडों में पिछले महीने निवेश बाजार की तेजी से अप्रभावित बना रहा।
पिछले महीने 28 दिसंबर तक म्युचुअल फंडों ने 23,000 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी जबकि नवंबर में उनकी खरीद 18,000 करोड़ रुपये की रही थी। यह जानकारी बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों से मिली। दिसंबर में इक्विटी बाजार ने पिछले 17 महीनों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की और प्रमुख सूचकांकों निफ्टी-50 व सेंसेक्स करीब 8 फीसदी चढ़े।
अगस्त 2023 से म्युचुअल फंडों ने हर महीने 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश इक्विटी में किया है और इस तरह से उसने वित्त वर्ष 2024 के पहले चार महीने में दिखे ट्रेंड को पलट दिया, जब उनका निवेश महज 10,700 करोड़ रुपये रहा था।
म्युचुअल फंडों की तरफ से इक्विटी में निवेश मोटे तौर पर उसे इक्विटी व हाइब्रिड योजनाओं में हासिल निवेश पर निर्भर करता है। ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश अगस्त से मजबूत रहा है क्योंकि निवेश ने जोर पकड़ा और निवेश निकासी नरम हुई। अगस्त-नवंबर की अवधि में निवेशकों ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 69,830 करोड़ रुपये निवेश किया जबकि इससे पहले के चार महीनों में उनका निवेश 26,000 करोड़ रुपये रहा था। यह जानकारी उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों से मिली।
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म्युचुअल फंडों को मिले नए निवेश के अलावा फंड हाउस की इक्विटी खरीद इक्विटी योजनाओं में नकदी के स्तर में बदलाव और हाइब्रिड फंडों में डेट से इक्विटी में शिफ्टिंग पर निर्भर करती है।
साल 2023 में 1.7 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी खरीद साल 2022 की रिकॉर्ड 1.82 लाख करोड़ रुपये की खरीद से मामूली कम है। म्युचुअल फंडों ने हाल के वर्षों में इक्विटी में निवेश बढ़ाने में कामयाबी पाई है, जिसकी वजह एसआईपी के जरिए इक्विटी योजनाओं में मिला मजबूत निवेश है। एसआईपी के जरिये सकल निवेश (जो 2022 में 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा था) साल 2023 में बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
2023 में विदेशी निवेशकों ने भी शुद्ध रूप से 1.7 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी और देसी निवेश के साथ इसने इक्विटी बाजार में मजबूत तेजी सुनिश्चित की। प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स व निफ्टी में साल के आखिर तक क्रमश: 18.7 फीसदी व 20 फीसदी की तेजी दर्ज हुई। व्यापक बाजारों ने और बेहतरी दिखाई और निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 46.6 फीसदी व 55.6 फीसदी की उछाल आई।
ऐक्सिस एमएफ ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, एफपीआई हालांकि बाजार में लौट आए, लेकिन देसी संस्थागत निवेशक ही केंद्र में रहे और 22 अरब डॉलर का निवेश किया। घरेलू बचत का तेजी से इस ओर आना भी देसी संस्थागत निवेशकों के हक में गया। मासिक एसआईपी निवेश 17,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और इनमें से ज्यादातर रकम मिड व स्मॉलकैप फंडों में निवेश के तौर पर प्रतिबिंबित हुई। देसी संस्थागत निवेशकों में म्युचुअल फंड, बीमा व अन्य देसी संस्थागत निवेशक शामिल हैं।
साल 2022 में एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे क्योंकि उन्होंने 1.2 लाख करोड़ रुपये निकाले थे। इसके बावजूद बाजार ने साल 2022 की समाप्ति देसी निवेश के दम पर बढ़त के साथ की थी।
चूंकि एसआईपी निवेश स्थिर बना हुआ है, ऐसे में विशेषज्ञ म्युचुअल फंडों को एफपीआई की निकासी के समय बाजार के लिए मजबूत सहारा के तौर पर देखते हैं। साल 2024 के लिए अपने इक्विटी आउटलुक में कोटक एमएफ ने कहा है कि एसआईपी और ईपीएफओ की तरफ से संभावित निवेश को देखते हुए देसी फंड अब इक्विटी में एक साल में 3 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की स्थिति में हैं और विदेशी फंडों की तरफ से तीव्र बिकवाली की भरपाई कर सकते हैं।
3 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश में 17,000 करोड़ रुपये का मासिक एसआईपी निवेश, सक्रियता से प्रबंधित इक्विटी योजनाओं का करीब 90,000 करोड़ रुपये का नकद शेष और ईटीएफ में ईपीएफओ का 40,000 करोड़ रुपये निवेश शामिल है। इसके अलावा बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों की तरफ से इक्विटी में 64,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है, अगर गिरावट के बाद मूल्यांकन आकर्षक हो जाए।