घरेलू ऋण बाजार को विकसित करने की दिशा में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए म्युचुअल फंडों (एमएफ) को प्राथमिक ऋण विक्रेताओं, बैंकों और देश की विभिन्न बीमा कंपनियों के समकक्ष ला दिया है।
मुंबई में सेबी बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में म्युचुअल फंडों को यह अनुमति दी गई कि गर्वमेंट सिक्युरिटीज (जी-सेक) को डीवीपी-3 विधि के तहत ही बेचा जा सकेगा।उल्लेखनीय है कि डीवीपी-3 विधि के तहत सरकारी प्रतिभूतियों को बिना डिलिवरी के भी बेचा जाता है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले सेंट्रल काउंटर-पार्टी, मुख्य रूप से क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, से स्वीकृति लेनी होती है।
डीवीपी-3 के वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकारी प्रतिभूतियों को उसी आधार पर बेचा जा सकेगा जब म्युचुअल फंडों के पोर्टफोलियो में वास्तव में प्रतिभूतियां मौजूद हों।फंड प्रबंधकों का मानना है कि मौजूदा दिशा-निर्देशों में सुधार लाने से सरकारी प्रतिभूतियों में अच्छी तरलता की उम्मीद की जा सकेगी।