बजट के बाद हुए उतारचढ़ाव और उच्च मूल्यांकन की चिंता के बीच म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में जुलाई के दौरान नकदी में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई। एनएफओ में मजबूत निवेश आने से भी नकदी का स्तर ऊंचा बना रहा।
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार 26 अग्रणी फंड कंपनियों की इक्विटी योजनाओं के पास जुलाई 2024 के आखिर में करीब 80,000 करोड़ रुपये की नकदी थी जो जून के आखिर में 62,700 करोड़ रुपये थी। लिहाजा, इन योजनाओं में नकदी का सकल अनुपात बढ़कर 15 महीने के उच्चस्तर 5.4 फीसदी पर पहुंच गया। जून में नकदी पोर्टफोलियो का 4.6 फीसदी रहा था।
म्युचुअल फंड अधिकारियों के मुताबिक हालांकि अनिवार्यता पूरी तरह निवेशित रहने की है लेकिन अनिश्चितता या अत्यधिक मूल्यांकन की स्थिति में उनको अपने पास नकदी रखने की छूट है। खास तौर से मिडकैप व स्मॉलकैप में करीब एक साल से मूल्यांकन की चिंता रही है। लेकिन इक्विटी फंड योजनाओं में निरंतर आधार पर मजबूत निवेश जारी है। म्युचुअल फंडों के निवेश से बाजार में भी तेजी आई है।
जुलाई में इक्विटी बाजारों ने मजबूत प्रदर्शन किया। यह इसके बावजूद था कि आम बजट ने इक्विटी पर पूंजीगत लाभ कर में बढ़ोतरी करके झटका दिया। बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी-50 और सेंसेक्स ने उस महीने में क्रमश: 3.9 फीसदी व 3.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की।
14 अगस्त को निफ्टी-50, 12 महीने आगे के 20.2 गुना पीई पर कारोबार कर रहा था जबकि पांच साल का औसत 19.3 गुना है। निफ्टी मिडकैप 100- का पीई अनुपात 32.9 गुना रहा जबकि पांच साल का औसत 24.3 गुना है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 20.6 गुना पीई पर कारोबार कर रहा था जबकि पांच साल का औसत 17.2 गुना है।
टाटा फंड ने एक नोट में कहा कि पीई के लिहाज से निफ्टी-50 एमएससीआई ईएम इंडेक्स के मुकाबले 89 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है, जो उसके ऐतिहासिक औसत 50 फीसदी से काफी ज्यादा है। अमेरिका में मंदी की चिंता के बीच अगस्त में वैश्विक बाजारों में उतारचढ़ाव ने भी फंड मैनेजरों की चिंता बढ़ाई है। इस महीने बाजारों ने 4 जून के चुनाव नतीजों के बाद की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट दर्ज की।
एसबीआई फंड ने एक नोट में कहा कि वैश्विक बिकवाली भारतीय शेयरों के महंगे मूल्यांकन के कारण हुई। हम मध्यम अवधि के लिहाज से आय पर सकारात्मक बने हुए हैं, लेकिन जैसे-जैसे कमोडिटी की कीमतों में गिरावट कम हो रही है, निकट अवधि की चाल सुस्त हो रही है।
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक पराग पारिख फाइनैंशियल एडवाइजरी सर्विसेज फंड के पास सबसे ज्यादा 16.1 फीसदी नकदी है। इसके बाद क्वांट फंड का स्थान है जिसके पास 14 फीसदी नकदी है। पराग पारिख फंड के पास नकदी का स्तर सात महीने से ऊंचा बना हुआ है लेकिन क्वांट के पास जून में 7.2 फीसदी नकदी थी। अन्य फंडों, जिनने नकदी के स्तर में एक फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है, में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, फ्रैंकलिन टेम्पलटन, सुंदरम और मोतीलाल ओसवाल शामिल हैं।
एसबीआई और आदित्य बिड़ला कुछ ऐसे फंड हैं जिनकी नकदी के स्तर में खासी गिरावट आई है। म्युचुअल फंड नकदी निवेश करने की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, खास तौर से स्मॉलकैप में। उभरते क्षेत्रों में निवेश करने वाले कुछ फंडों के पास नया निवेश आना जारी है जबकि शेयर भावों में काफी तेजी आ चुकी है। जुलाई के दौरान एनएफओ में मजबूत संग्रह ने भी नकदी का स्तर बढ़ाया है। उनका कहना है कि अगर संग्रह ज्यादा होता है तो फंड मैनेजर टुकड़ों में निवेश करते हैं ।