म्युचुअल फंड

बजट में डेट फंडों पर घटाया जाए टैक्स, एफओएफ टैक्स नियमों में हो बदलाव: AMFI

एम्फी ने कहा कि भारत में डेट मार्केट के विकास के लिए निवेशकों की ज्यादा भागीदारी अहम है और डेट फंडों पर बेहतर कर दक्षता से खुदरा निवेश में इजाफा हो सकता है।

Published by
अभिजित कुमार   
खुशबू तिवारी   
Last Updated- July 11, 2024 | 10:29 PM IST

म्युचुअल फंड उद्योग ने आगामी बजट को लेकर दिए अपने प्रस्तावों में डेट फंडों पर कर कम करने की मांग की है। उद्योग ने कहा कि डेट फंडों और डिबेंचरों पर समान कर व्यवहार लागू किया जाए।

उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने बजट पर अपने मांगपत्र में कहा है कि हमने तीन साल से ज्यादा समय तक निवेशित डेट केंद्रित फंडों के रीडम्पशन पर हुए पूंजीगत लाभ पर बिना इंडेक्सेशन के डिबेंचरों की तरह ही 10 फीसदी की दर से कर लगाने की मांग की है।

यह प्रस्ताव एक साल बाद आया है। 2023 के बजट में डेट फंडों से इंडेक्सेशन का फायदा हटा लिया गया था, जिससे निवेशकों पर कर का बोझ बढ़ गया था। कराधान में बदलाव के कारण मध्यम से लंबी अवधि वाली डेट योजनाओं में निवेश करीब-करीब बंद हो गया।

एम्फी ने कहा कि भारत में डेट मार्केट के विकास के लिए निवेशकों की ज्यादा भागीदारी अहम है और डेट फंडों पर बेहतर कर दक्षता से खुदरा निवेश में इजाफा हो सकता है।

उद्योग संगठन ने कहा कि ऐक्टिव बॉन्ड मार्केट कई मकसद पूरे कर सकता है। उधार लेने वालों को बैंक क्रेडिट का विकल्प मुहैया कराने के साथ कॉरपोरेट बॉन्ड से लंबी अवधि के वित्त की लागत कम हो सकती है। हमें इन बाजारों में खुदरा निवेशकों की सक्रिय भागीदारी की दरकार है जो न सिर्फ उनके निवेश को विशाखित करने में मदद करेगा बल्कि महंगाई समायोजित रिटर्न सृजित करने में भी सहायक होगा।

कर संबंधी एक अन्य प्रस्ताव में उद्योग ने इक्विटी ओरिएंटेड सभी फंड ऑफ फंड्स (FOF) में निवेश पर कराधान में बदलाव की मांग की है। अभी एफओएफ को इक्विटी कराधान की पात्रता के लिए दो शर्तें पूरी करनी होती है।

पहली, उनको अपने कोष का कम से कम 90 फीसदी इक्विटी योजनाओं में लगाना होगा। दूसरी, जिस योजना में वे निवेश करते हों, वह कम से कम 90 फीसदी घरेलू इक्विटी में निवेश करे।

एम्फी के मुताबिक ज्यादातर एफओएफ दूसरी शर्त के कारण इक्विटी कराधान की पात्रता हासिल करने में नाकाम रहते हैं। चूंकि इक्विटी योजनाओं को इक्विटी में 65 फीसदी से 100 फीसदी के बीच निवेश करने की आजादी है, इसलिए दूसरी शर्त में यही बाधा है।

एम्फी की मांग है कि इक्विटी ओरिएंटेड फंड की परिभाषा को संशोधित कर एफओएफ योजनाओं में निवेश को भी शामिल किया जाए जो अपने कोष का न्यूनतम 90 फीसदी इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड योजनाओं की यूनिट में निवेश करते हैं जो इसके बाद न्यूनतम 65 फीसदी निवेश देसी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में करते हैं।

एम्फी ने कहा है कि सरकार सभी म्युचुअल फंडों को समान कर व्यवहार के साथ पेंशन ओरिएंटेड योजनाएं पेश करने की इजाजत दे जैसी राष्ट्रीय पेंशन योजना या एनपीएस को मिली हुई है। कुछ निश्चित रिटायरमेंट फंड योजनाएं धारा 80 सी के तहत कर लाभ की पात्र नहीं होतीं। फंड को सीबीडीटी की तरफ से अधिसूचित करने की प्रक्रिया में काफी समय लगता है।

एम्फी का प्रस्ताव है कि सेबी पंजीकृत सभी फंडों को पेंशन ओरिएंटेड योजनाएं मसलन म्युचुअल फंड लिंक्ड रिटायरमेंट स्कीम पेश करने की इजाजत मिले और इन्हें एनपीएस की तरह कर लाभ मिले।

First Published : July 11, 2024 | 10:08 PM IST