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स्नूपिंग विवाद के बीच Sanchar Saathi ऐप की धूम: एक दिन में 6 लाख डाउनलोड, 10X उछाल

Sanchar Saathi: DoT आदेश पर बहस तेज, लेकिन सरकारी ऐप पर जनता का भरोसा बढ़ा

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 03, 2025 | 11:43 AM IST

सरकार के साइबर सुरक्षा और सेफ्टी ऐप ‘Sanchar Saathi’ की डाउनलोडिंग में मंगलवार को अचानक 10 गुना उछाल दर्ज किया गया। दूरसंचार विभाग (DoT) के सूत्रों के मुताबिक, जहां सामान्य दिनों में ऐप के लगभग 60,000 डाउनलोड होते थे, वहीं मंगलवार को यह संख्या बढ़कर करीब 6 लाख हो गई। यह बढ़ोतरी उस समय देखने को मिली जब विपक्षी नेताओं और कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने मोबाइल फोनों में Sanchar Saathi को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के सरकारी आदेश की आलोचना की थी और इसे “जासूसी” व “निजता का हनन” बताया था।

पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ DoT अधिकारी ने कहा, “Sanchar Saathi App” को जनता से अचानक बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। एक दिन में डाउनलोड 60,000 से बढ़कर लगभग 6 लाख पहुंच गए।” आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आदेश जारी होने से पहले ही 1.5 करोड़ लोग ऐप डाउनलोड कर चुके थे।

क्या है नया आदेश?

28 नवंबर को जारी आदेश में केंद्र ने सभी मोबाइल फोन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि हर नए मोबाइल फोन में Sanchar Saathi ऐप प्री-इंस्टॉल होने चाहिए। मौजूदा फोनों में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इसे शामिल किया जाए। पहली बार फोन चालू करते समय ऐप “स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए और उपलब्ध होना चाहिए। हालांकि, दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कहा कि उपभोक्ता चाहें तो ऐप को डिलीट कर सकते हैं। DoT सूत्रों ने भी बताया कि “readily visible and accessible” जैसे शब्द मैन्यूफैक्चरर्स के लिए हैं, उपभोक्ताओं को बांधने के लिए नहीं।

Sanchar Saathi: क्या ऐप डेटा चुराता है? DoT का जवाब

DoT ने कहा कि Sanchar Saathi को फोन डेटा तक बहुत सीमित एक्सेस मिलती है, वह भी केवल तभी जब कोई यूजर फ्रॉड की रिपोर्ट करते समय अनुमति देता है। ऐप किन चीजों की अनुमति मांगता है?

  • Make & manage phone calls: सक्रिय सिम की जांच के लिए, जैसा OTP वेरिफिकेशन वाली प्रक्रिया में होता है
  • Send SMS: रजिस्ट्रेशन के दौरान एक बार का वेरिफिकेशन मैसेज भेजने के लिए
  • Camera access: IMEI नंबर की फोटो लेने या फ्रॉड कॉल / SMS का स्क्रीनशॉट भेजने के लिए

DoT ने स्पष्ट किया कि ऐप में कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, ब्लूटूथ, या किसी अन्य निजी जानकारी तक पहुंच नहीं है। ऐप सिर्फ उतना डेटा इस्तेमाल करता है जितनी अनुमति यूजर खुद देता है। इसके अलावा, यूजर कभी भी कोई अनुमति वापस ले सकते हैं, मोबाइल नंबर को डीरजिस्टर कर सकते हैं, या ऐप अनइंस्टॉल कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का क्या कहना है?

CUTS International के रिसर्च डायरेक्टर अमोल कुलकर्णी ने कहा कि बिना सार्वजनिक परामर्श के ऐप प्री-इंस्टॉल करने का फैसला नागरिकों से “अंधविश्वास” की उम्मीद जैसा है। लूथरा एंड लूथरा लॉ ऑफिसेस के वरिष्ठ पार्टनर संजीव कुमार ने कहा कि आदेश का आधार गंभीर टेलीकॉम सुरक्षा संकट है।

उनके अनुसार इस ऐप का मकसद नकली या छेड़छाड़ किए गए मोबाइल की पहचान करना, चोरी के फोन की रिपोर्टिंग, धोखाधड़ी कॉल, SMS और संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत करना है। उन्होंने कहा कि “डिजिटल अरेस्ट” (digital arrest scams) जैसे बढ़ते साइबर अपराधों के चलते यह कदम आवश्यक हो गया है। सुप्रीम कोर्ट तक ने इस प्रकार के घोटालों की गंभीरता को देखते हुए CBI जांच का आदेश दिया है।

First Published : December 3, 2025 | 11:43 AM IST