वित्त वर्ष 2024-25 में एक्टिव फंड्स (active funds) ने सभी प्रमुख श्रेणियों में बेहतर प्रदर्शन किया है और पैसिव फंड्स (passive funds) को पीछे छोड़ दिया है। यह ट्रेंड बीते कुछ वर्षों के विपरीत है, जहां निवेशक पैसिव इनवेस्टमेंट की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे थे। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) की अप्रैल 2025 की अल्फा स्ट्रैटजिस्ट रिपोर्ट में यह ट्रेंड सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्टिव स्ट्रैटजी ने न केवल बेहतर रिटर्न दिए, बल्कि उतार-चढ़ाव वाले बाजार में बेहतर रिस्क मैनेजमेंट भी दिखाया। मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि आने वाले तिमाहियों में भी एक्टिव फंड्स की यह बढ़त बनी रह सकती है।
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) ने इक्विटी को लेकर न्यूट्रल रुख अपनाने की सलाह दी है। कंपनी का मानना है कि मौजूदा मार्केट वैल्यूएशन और उतार-चढ़ाव को देखते हुए सतर्क रुख जरूरी है। हालांकि, उन्होंने पूंजी निवेश को लेकर एक रणनीतिक अप्रोच अपनाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, हाइब्रिड फंड्स में निवेश के लिए लंप-सम (एकमुश्त) निवेश की स्ट्रैटेजी को प्राथमिकता दी गई है। वहीं, लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप, मिड और स्मॉल कैप फंड्स में अगले 2–3 महीनों में धीरे-धीरे निवेश (staggered investment) करने की सलाह दी गई है।
अगर बाजार में कोई बड़ी गिरावट देखने को मिलती है, तो MOPW का सुझाव है कि बेहतर वैल्यूएशन का फायदा उठाने के लिए पूंजी निवेश की गति तेज कर दी जाए।
भारतीय इक्विटी बाजार में फिलहाल वैल्यूएशन का मिली-जुली तस्वीर देखने को मिल रहा है। निफ्टी-50 का 12 महीने का फॉरवर्ड पी/ई रेश्यो सितंबर 2024 के उच्च स्तर से 15% नीचे है और यह अपने दीर्घकालिक औसत (LPA) से करीब 3% डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा है। यह संकेत करता है कि लार्ज कैप स्टॉक्स की वैल्यूएशन अब पहले की तुलना में ज्यादा संतुलित हो गई है। इसके विपरीत, मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्स अब भी ऊंचे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं—अपने लंबे समय के औसत से क्रमशः 26% और 32% ऊपर। इस वजह से इन सेगमेंट्स में निवेश को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
मोतीलाल ओसवाल ने एक नोट में कहा, “हालिया करेक्शन को देखते हुए अगर इक्विटी में आपकी निवेश हिस्सेदारी अभी भी लक्ष्य से कम है, तो निवेशक हाइब्रिड फंड्स में लंप-सम और लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप, मिड और स्मॉल कैप फंड्स में अगले 2–3 महीनों के दौरान धीरे-धीरे निवेश बढ़ा सकते हैं। अगर बाजार में कोई बड़ी गिरावट आती है, तो पूंजी निवेश की रफ्तार को और तेज करना फायदेमंद हो सकता है।”
फिक्स्ड इनकम सेगमेंट की बात करें तो हाल ही में RBI द्वारा की गई ब्याज दरों में कटौती और लिक्विडिटी बढ़ाने के कदमों से यील्ड कर्व थोड़ा बढ़ा हुआ है। इसे देखते हुए मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) ने लॉन्ग ड्यूरेशन इंस्ट्रूमेंट्स से बाहर निकलने की सलाह दी है, क्योंकि ड्यूरेशन ट्रेड अब अपने अंत के करीब पहुंच चुका है।
इसके बजाय, ब्रोकरेज ने अक्रूअल-आधारित रणनीतियों (accrual-based strategies) पर ज्यादा फोकस करने की सिफारिश की है और फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो में एक डाइवर्सिफाइड अप्रोच अपनाने की बात कही है। प्रस्तावित आवंटन इस प्रकार है:
30%–35%: परफॉर्मिंग क्रेडिट स्ट्रैटजी, NCDs और InvITs
20%–25%: प्राइवेट क्रेडिट, जिसमें रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
25%–35%: आर्बिट्राज, फ्लोटिंग रेट और लॉन्ग/शॉर्ट अब्सोल्यूट रिटर्न स्ट्रैटजीज।
20%–25%: कंजरवेटिव इक्विटी सेविंग्स फंड्स — टैक्स एफिशिएंट रिटर्न के लिए।
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने (Gold) ने एक बार फिर पारंपरिक ‘सेफ हेवन’ एसेट के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया है। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ (MOPW) ने गोल्ड को लेकर न्यूट्रल एलोकेशन स्टांस बनाए रखा है और जोर दिया है कि उतार-चढ़ाव वाले बाजार में यह एसेट क्लास ऐतिहासिक रूप से स्थिरता प्रदान करती आई है।
हाल के आंकड़े दिखाते हैं कि गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) की मांग काफी मजबूत रही है। सिर्फ अमेरिका में मार्च के महीने में 6 अरब डॉलर (करीब 67 टन) की नेट इनफ्लो दर्ज की गई, जिसके बाद यूरोप और एशिया से भी निवेश में अच्छी रुचि देखने को मिली। यह ट्रेंड गोल्ड-बैक्ड इन्वेस्टमेंट्स में निवेशकों की लगातार रुचि को दर्शाता है।