मशहूर विमानन कंपनी एयर इंडिया की सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल हिस्सा, नई दिल्ली के लाल किले में अब स्थायी रूप से मौजूद है। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) ने लाल किले में दो नई कला दीर्घाओं का उद्घाटन किया है, जो विमानन कंपनी के 80 वर्षों से संजोए गए ऐतिहासिक कला संग्रह को प्रदर्शित करेंगे।
यूनेस्को की 5 दिसंबर को एक बैठक के दौरान इन कला दीर्घाओं का अनावरण हुआ। यह बैठक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़ी थी। अब 23 दिसंबर से ये कला दीर्घाएं आम जनता के लिए खुल जाएंगी। लेकिन इससे पहले सोमवार को जब लाल किला आगंतुकों के लिए बंद रहता है, उस दिन एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें उन जीवित कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा जिनकी रचनाएं एयर इंडिया महाराजा संग्रह का हिस्सा हैं।
ये कला दीर्घाएं ब्रिटिश काल की दो संरक्षित बैरकों में बनाई गई हैं जिन्हें ए1 और ए2 नाम दिया गया है। इनमें उन कलाकृतियों को एक साथ लाया गया है, जिन्हें जनवरी 2022 में एयर इंडिया के आधिकारिक रूप से टाटा समूह से फिर जुड़ने के बाद वर्ष 2023 में औपचारिक रूप से राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय को हस्तांतरित कर दिया गया था। इनमें से एक प्रदर्शनी का शीर्षक ‘आधुनिकता के पंख’ है, जो 20वीं सदी के मध्य से आगे भारतीय कला का एक व्यापक दृष्टिकोण पेश करती है।
इस चयन में 184 कलाकृतियां शामिल हैं, जिनमें चित्रकला, मूर्तिकला, ग्राफिक प्रिंट, मिट्टी के बर्तन और डिजाइन वाली वस्तुएं शामिल हैं। यह एयर इंडिया के व्यापक संरक्षण को दर्शाता है। वी.एस. गायतोंडे, एम.एफ. हुसैन, एस.एच. रजा, के.एच. आरा, बी. प्रभा, एन.एस. बेंद्रे, अपर्णा कौर और मनु पारेख जैसे प्रमुख आधुनिक कलाकारों की कृतियों के अलावा जेराम पटेल, जी.आर. संतोष, शांति दवे, एस.जी. वासुदेव, अंजोली इला मेनन और जितिश कल्लात जैसे कलाकारों की रचनाएं भी प्रदर्शित की गई हैं।
एनजीएमए के महानिदेशक संजीव किशोर गौतम कहते हैं, ‘आधुनिक और समकालीन भारतीय कला से परे, इस संग्रह में कुछ क्लासिकल रचनाएं, वस्त्र, मिनिएचर और लोक कला भी हैं। ये कला दीर्घाएं एनजीएमए का ही विस्तार हैं। लाल किले में इस संग्रह को रखने का उद्देश्य इसे आम जनता के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना और अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचाना था क्योंकि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में लाल किले में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।’ शाहजहां के दौर का यह किला घरेलू पर्यटकों के बीच चौथा सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है और विदेशियों के बीच नौवां पर्यटन स्थल। दिल्ली के भीतर, यह दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला स्थल है (कुतुब मीनार पहला है)।
‘आधुनिकता के पंख’ प्रदर्शनी में कुछ कलाकृतियां अमूर्त हैं जिनमें वास्तविक चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है जबकि कुछ कलाकृतियों में वास्तविक चीजों को पहचाना जा सकता है। प्रदर्शनी इन दोनों शैलियों के बीच बदलती रहती है जिनमें गायतोंडे के चिंतनशील शीर्षकहीन कैनवस से लेकर हुसैन के विशाल घोड़ों और बी. प्रभा द्वारा ग्रामीण और कामकाजी महिलाओं के चित्रण शामिल हैं। परिदृश्य, पौराणिक संदर्भ, और गति की खोज पूरी कलादीर्घा में बार-बार दिखाई देती है जो यात्रा और परिवर्तन के उन विषयों को दर्शाते हैं जिन्होंने एयर इंडिया को परिभाषित किया।
मूर्तिकला और त्रि-आयामी रचनाएं प्रदर्शनी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनमें पिल्लू पोचखानवाला, पी.वी. जानकीराम और एस. नंदगोपाल जैसे कलाकारों द्वारा धातु और पत्थर की आकृतियों से लेकर लकड़ी और स्क्रैप लोहे में लोककलाओं से लेकर कुछ गुमनाम कृतियां शामिल हैं।
कला दीर्घा में दूसरी प्रदर्शनी ‘अंत ही नया आरंभ है’ शीर्षक से है और इसमें विमानन कंपनी के विजुअल इतिहास से जुड़े संग्रहणीय चीजें शामिल हैं जैसे कि बेहद मशहूर महाराजा शुभंकर, सजावटी वस्तुएं और विमानों के मॉडल, जिनमें से एक ‘शाहजहां’ भी है जो बोइंग 747 ‘जंबो जेट’था जो एयर इंडिया के ‘एंपरर’ बेड़े का हिस्सा था।
प्रिंट-मेकिंग में विशेषज्ञता हासिल करने वाले कलाकार गौतम कहते हैं, ‘इस संग्रह को नरीमन पॉइंट (जहां मुंबई में एयर इंडिया की मशहूर इमारत थी) से यहां लाने में लगभग एक वर्ष और कला दीर्घाओं को एक साथ रखने में तीन-चार महीने लगे।’ उन्होंने आगे कहा कि संरक्षित स्मारक की मूल संरचना में छेड़छाड़ किए बगैर कला दीर्घाएं बनाई गईं।
इन कला दीर्घाओं को स्थायी बताया गया है, लेकिन एनजीएमए ने संकेत दिया है कि प्रदर्शनी के कुछ हिस्सों में समय-समय पर नए बदलाव किए जा सकते हैं। एयर इंडिया की कला दीर्घाएं, लाल किले में संग्रहालय और कला दीर्घा स्थलों के एक व्यापक विस्तार का हिस्सा हैं, जहां राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा हथियारों और कवच पर एक नई स्थायी प्रदर्शनी और पुरातात्विक खोजों पर एक और प्रदर्शनी भी शुरू की गई है। इसका अनुभव लेने वाले लोगों के लिए ही परिसर में एक सॉविनियर शॉप भी खोली गई है ताकि लोग याद के तौर पर इन कलादीर्घाओं से जुड़ी चीजें ले सकें।