SIP Investment Tips: सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने का एक आसान तरीका है। SIP का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप एक साथ बड़ी रकम लगाने की बजाय धीरे-धीरे छोटी-छोटी रकम लगाकर लॉन्ग टर्म में अच्छा कॉर्पस/फंड बना सकते हैं। म्युचुअल फंड एक्सपर्ट्स के मुताबिक, SIP के जरिए निवेश करना भारतीय इक्विटी बाजार में संपत्ति बनाने का एक बेहतरीन तरीका है, लेकिन कई बार निवेशक कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके रिटर्न पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। यहां पर मार्केट एक्सपर्ट्स SIP से जुड़ी कुछ सामान्य गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिसके चलते SIP निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम कहते हैं कि बाजार में गिरावट या उतार-चढ़ाव के दौरान SIP को बंद नहीं करना चाहिए। ऐसे समय में निवेश बनाए रखना लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएट करने का एक सफल तरीका है। एसआईपी का एक बड़ा फायदा यह है कि यह रुपये की औसत लागत (Rupee Cost Averaging) का लाभ देता है, जिससे बाजार गिरने पर कम NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर ज्यादा यूनिट्स खरीदने का मौका मिलता है।
मोहित गांग बताते है कि जब बाजार गिरता है तो कई निवेशक घबरा जाते हैं और अपनी SIP बंद कर देते हैं। SIP उतार-चढ़ाव वाले बाजार में सबसे बेहतर काम करती है क्योंकि कम दाम पर ज्यादा यूनिट्स जमा करने का अवसर मिलता हैं।
निगम के मुताबिक SIP करते समय अपने फाइनेंशियल टारगेट को ध्यान में रखें। अगर आपका लक्ष्य धन जुटाना, बच्चों की पढ़ाई के लिए बचत करना या रिटायरमेंट की तैयारी करना है, तो उसी के अनुसार फंड चुनें। सही फंड का चुनाव आपको बेहतर और स्थिर रिटर्न पाने में मदद करता है।
गांग कहते हैं कि इनकम बढ़ने के साथ, वेल्थ क्रिएशन को अधिकतम करने के लिए एसआईपी योगदान भी बढ़ना चाहिए। निवेश को ऑटोमेटिक रूप से बढ़ाने के लिए एसआईपी टॉप-अप का विकल्प चुनें।
अच्छा कॉपर्स या फंड बनाने के लिए SIP में लॉन्ग टर्म निवेश करने की जरूरत होती है। लॉन्ग टर्म निवेश से कंपाउंडिंग का फायदा भी मिलता है। शॉर्ट टर्म में किसी आर्थिक संकट या आपातकाल के दौरान बीच में SIP बंद करना समझदारी भरा विकल्प नहीं है। इसकी जगह पर आपको SIP Pause फीचर का इस्तेमाल करना चाहिए।
कई म्युचुअल फंड कंपनियां SIP को बीच में रोकने (SIP Pause) का फीचर प्रदान करती हैं, जिससे आप अस्थाई वित्तीय समस्याओं के दौरान योजना से बाहर निकले बिना ही, अपने SIP को अस्थाई रूप से रोक सकते हैं। यह आपको अपनी निवेश योजना को बीच में बंद किए बिना अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है।
निगम बताते हैं कि SIP के माध्यम से वेल्थ क्रिएशन के लिए लॉन्ग टर्म निवेश के साथ-साथ धैर्य की भी जरूरत होती है। आप जितना अधिक समय तक निवेश करेंगे, कंपाउंडिंग का असर उतना ही ज्यादा होता है। वे निवेशकों को SIP के माध्यम से नियमित रूप से निवेश करने की सलाह देते हैं।
गांग कहते हैं कि इक्विटी निवेश में धैर्य जरूरी होता है। 1-2 साल में बड़े रिटर्न की उम्मीद करना और जल्दी SIP बंद कर देना बेहतर नतीजों से आपको दूर कर सकता है। SIP को लंबे समय (5-10 साल या उससे अधिक) में संपत्ति निर्माण के लिए ही डिजाइन किया गया है।
गांग कहते हैं कि किसी फंड के पिछले प्रदर्शन, फंड मैनेजर की विशेषज्ञता और जोखिम स्तर की सही जानकारी के बिना SIP में निवेश करना कमजोर रिटर्न का कारण बन सकता है। सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स में तभी निवेश करें जब आप उन्हें अच्छे से समझते हों।
निगम बताते हैं कि SIP में निवेश करते समय कई निवेशक टैक्स से जुड़े पहलुओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में उनके रिटर्न पर असर डाल सकता है। इक्विटी म्युचुअल फंड में एक साल से पहले निकासी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगता है, जबकि एक साल से ज्यादा की अवधि के बाद होने वाले लाभ पर 1.25 लाख रुपये से ज्यादा की राशि पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लागू होता है। टैक्स की सही योजना न बनाना निवेश पर मिलने वाले शुद्ध रिटर्न को घटा सकता है। इसलिए SIP में निवेश करते समय टैक्स इंप्लिकेशन को जरूर ध्यान में रखें।
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गांग कहते हैं कि कम समय में प्रदर्शन कमजोर रहने पर SIP निवेश को बार-बार बदलना अनावश्यक एक्जिट लोड और टैक्स का कारण बन सकता है। जब तक कोई फंड लगातार अपने बेंचमार्क से कमजोर प्रदर्शन न करे, तब तक उसमें कम से कम 5 साल तक बने रहें।
म्युचुअल फंड में पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं होता है। निगम बताते हैं कि SIP निवेश में एक आम गलती यह होती है कि निवेशक सिर्फ फंड के पिछले प्रदर्शन को देखकर उसमें पैसा लगा देते हैं। हालांकि, कोई भी फंड अगर पहले अच्छा प्रदर्शन कर चुका है, तो यह जरूरी नहीं कि भविष्य में भी वह उतना ही अच्छा रिटर्न देगा। मार्केट की परिस्थितियां, फंड मैनेजर का बदलाव और आर्थिक माहौल जैसे कई वजहें फंड के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं। सिर्फ पिछली रैंकिंग या रिटर्न के आधार पर फंड चुनना जल्दबाजी हो सकती है। इसलिए फंड के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता, रिस्क प्रोफाइल और निवेश स्ट्रैटेजी को भी ध्यान से समझना जरूरी है।
निगम के मुताबिक, SIP शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके पास एक आपातकालीन फंड हो। यह फंड आपको अचानक आने वाले खर्चों से बचाता है और आपके निवेश में रुकावट नहीं आने देता है।
म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। अगर आप SIP शुरू करने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले बाजार की अच्छी तरह से रिसर्च करें और अपनी जरूरत और समझ के अनुसार SIP करने के लिए सही फंड चुनें। अगर आप पहली बार निवेश करने जा रहे है तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लेना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। ध्यान रखें, बिना रिसर्च किए और सिर्फ दूसरों की बातों पर भरोसा करके किया गया निवेश आपको नुकसान पहुंचा सकता है।