Top-3 BSE Sensex TRI Index Funds: ब्रोकरेज हाउस शेयरखान (Sharekhan) ने म्युचुअल फंड पर अपनी दिसंबर 2025 की रिपोर्ट जारी की है। इस बार, ब्रोकरेज ने बीएसई सेंसेक्स टोटल रिटर्न इंडेक्स (BSE Sensex TRI) को ट्रैक करने वाले तीन फंड्स को Top Pick बनाया है। इनमें एचडीएफसी बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स फंड और निप्पॉन इंडिया इंडेक्स फंड – बीएसई सेंसेक्स प्लान के नाम शामिल हैं। बीते तीन साल में BSE Sensex TRI ने 12.8 फीसदी का रिटर्न दिया है। 0.02 से 0.03 फीसदी के मामूली ट्रैकिंग एरर के साथ तीनों ही फंड्स अपने बेंचमार्क इंडेक्स के परफॉर्मेंस को दोहराने में सफल रहे हैं। तीनों फंड्स ने 12 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
शेयरखान ने टॉप पिक में इस बार BSE Sensex TRI को ट्रैक करने वाले इन स्कीम्स को शामिल किया है। इन स्कीम्स ने निवेशकों को हर साल 12 फीसदी से ज्यादा का शानदार रिटर्न दिया है।
HDFC BSE Sensex Index Fund
एकमुश्त निवेश: ₹1 लाख
3 साल का रिटर्न: 12.3% CAGR
3 साल बाद फंड की वैल्यू: ₹1.41 लाख
मिनिमम निवेश: ₹100
मिनिमम SIP निवेश: ₹100
एक्सपेंस रेशियो: 0.36%
ट्रैकिंग एरर: 0.02%
AUM: ₹8,961 करोड़
ICICI Prudential BSE Sensex Index Fund
एकमुश्त निवेश: ₹1 लाख
3 साल का रिटर्न: 12.4% CAGR
3 साल बाद फंड की वैल्यू: ₹1.42 लाख
मिनिमम निवेश: ₹100
मिनिमम SIP निवेश: ₹100
एक्सपेंस रेशियो: 0.28%
ट्रैकिंग एरर: 0.02%
AUM: ₹1,964 करोड़
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Nippon India Index Fund – BSE Sensex Plan
एकमुश्त निवेश: ₹1 लाख
3 साल का रिटर्न: 12.1% CAGR
3 साल बाद फंड की वैल्यू: ₹1.40 लाख
मिनिमम निवेश: ₹5,000
मिनिमम SIP निवेश: ₹100
एक्सपेंस रेशियो: 0.49%
ट्रैकिंग एरर: 0.03%
AUM: ₹957 करोड़
नोट: स्कीम्स का रिटर्न 31 अक्टूबर 2025 तक की NAV के आधार पर।
इंडेक्स फंड एक ऐसा म्युचुअल फंड होता है जो किसी मार्केट इंडेक्स जैसे सेंसेक्स या निफ्टी-50 आदि की नकल करता है। इंडेक्स में जो शेयर होते हैं, फंड भी वही शेयर लगभग उसी अनुपात में रखता है। इसका लक्ष्य इंडेक्स के परफॉर्मेंस जितना ही रिटर्न देना होता है। उदाहरण के तौर पर, किसी एक्टिवली मैनेज्ड म्युचुअल फंड में जब आप निवेश करते हैं, तो आपका पैसा एक स्कीम में लगाया जाता है और फिर फंड मैनेजर यह तय करता है कि कौन-से शेयर खरीदने या बेचने हैं और किस कीमत पर। इस प्रक्रिया में कई बार शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इसलिए इसे एक्टिव इन्वेस्टिंग कहा जाता है।
वहीं, पैसिव इन्वेस्टिंग में फंड मैनेजर शेयरों का एक पोर्टफोलियो तैयार करता है और उसमें हर शेयर का वेटेज (हिस्सा) उसी अनुपात में रखता है जैसा कि ट्रैक किए जा रहे इंडेक्स में होता है। यानी फंड मैनेजर यह तय नहीं करता कि किन शेयरों में निवेश करना है या नहीं करना, बल्कि वह सिर्फ चुने गए इंडेक्स के पोर्टफोलियो को हूबहू दोहराता है।
(डिस्क्लेमर: ब्रोकरेज हाउस शेयरखान की रिपोर्ट के आधार पर टॉप पिक की डीटेल दी गई है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)