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भारत में हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) थोड़े समय के लिए अपने फंड को मैनेज करने के लिए सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) पर निर्भर नहीं रहते। भले ही ये उनके लिए जाना-पहचाना और सुरक्षित विकल्प हों। इसके बजाय, अमीर लोग एक सुव्यवस्थित और टैक्स-एफिशिएंट स्ट्रैटेजी अपनाते हैं, जिससे उनका फालतू पड़ा पैसा भी काम करता रहता है और लॉक-इन नहीं होता।
फाइनेंशियल प्लानर विजय माहेश्वरी ने हाल ही में लिंक्डइन पर बताया कि HNIs और अल्ट्रा-HNIs वास्तव में अपने शॉर्ट-टर्म कैश को कैसे एलोकेट करते हैं। उनकी समझ बताती है कि आम रिटेल निवेशकों को जो सुरक्षित लगता है, उससे धनी लोग कैसे अलग विकल्प अपनाते हैं ताकि बेहतर रिटर्न के साथ उनकी लिक्विडिटी भी बनी रहे। बता दें कि महेश्वरी 1,000 से ज्यादा परिवारों के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति मैनेज करते हैं।
आइए समझते हैं, भारत के धनवान लोग अपना पैसा कहां लगाते हैं और उनकी स्ट्रैटेजी क्यों काम करती है?
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HNIs का पसंदीदा विकल्प: सुरक्षा + आसान निकासी + FD से बेहतर पोस्ट-टैक्स रिटर्न
बहुत कम अवधि के निवेश के लिए, अमीर लोग सेविंग अकाउंट से दूर रहते हैं और इन विकल्पों को चुनते हैं:
लिक्विड म्युचुअल फंड्स, जो बहुत कम अवधि वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।
आर्बिट्राज फंड्स, जो कैश और फ्यूचर्स मार्केट के कीमतों में अंतर से लाभ कमाते हैं।
लिक्विड म्युचुअल फंड्स: यह डेट फंड्स की एक कैटेगरी हैं, जो बहुत कम अवधि वाले मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। आमतौर पर इन इंस्ट्रूमेंट्स का मैच्योरिटी पीरियड 91 दिनों के भीतर होती है। चूंकि ये फंड्स हाई रेटेड संस्थानों और सरकारी समर्थन वाली इकाइयों को बहुत कम अवधि के लिए धन उधार देते हैं, इसलिए इनमें जोखिम बहुत कम होता है और लगभग कोई उतार-चढ़ाव नहीं होता।
निवेशक एक दिन के भीतर पैसा निकाल सकते हैं, जिससे लिक्विड फंड्स अतिरिक्त नकदी रखने के लिए एक पसंदीदा विकल्प बन जाते हैं, वह भी बिना एक्सेसिबिलिटी से समझौता किए। कई HNIs के लिए, ये फंड्स सेविंग अकाउंट का एक स्मार्ट विकल्प हैं, क्योंकि ये थोड़ा ज्यादा रिटर्न और टैक्स के बाद बेहतर मुनाफा दे सकते हैं। खासकर हाई टैक्स ब्रैकेट वाले निवेशकों के लिए यह एक बेहतर विकल्प बन जाते है।
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आर्बिट्राज फंड्स: आर्बिट्राज फंड्स एक मार्केट-न्यूट्रल स्ट्रैटेजी अपनाते हैं, जिसमें कैश और फ्यूचर्स मार्केट के बीच मौजूद कीमतों में अंतर का लाभ उठाया जाता है। जब किसी स्टॉक की कीमत इन दोनों सेगमेंट्स में अलग होती है, तो फंड एक साथ कैश मार्केट में खरीदारी करता है और फ्यूचर्स मार्केट में बेच देता है, जिससे छोटा लेकिन अपेक्षाकृत सुनिश्चित लाभ लॉक हो जाता है।
हालांकि टैक्स के लिहाज से इस स्ट्रैटेजी को इक्विटी के रूप में बांटा गया है, लेकिन रिस्क लेवल डेट प्रोडक्ट जैसा ही होता है, क्योंकि सभी पोजीशन हेज्ड रहती हैं।
यह दोनों फंड्स क्या ऑफर करते है?
यह क्यों काम करता है?
HNIs रिटर्न से समझौता किए बिना पैसों तक पहुंच बनाए रखना चाहते हैं। लिक्विड और आर्बिट्राज फंड्स उन्हें दोनों फायदे देते हैं — जो बैंक डिपॉजिट बहुत कम ही कर पाते हैं।
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HNIs निवेशक 1 साल तक निवेश के लिए इक्विटी सेविंग फंड्स को पसंद करते हैं। इसमें उतार-चढ़ाव कम होता है, स्थिरता और टैक्स-एफिशिएंसी का लाभ मिलता है।
इक्विटी सेविंग्स फंड्स में शामिल होते हैं:
यह तीनों का मिक्स सुनिश्चित करता है:
हाई टैक्स स्लैब वाले HNIs के लिए, यह कैटेगरी पारंपरिक उत्पादों की तुलना में काफी बेहतर पोस्ट-टैक्स रिटर्न प्रदान करती है।
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HNIs की पसंद: टैक्सिकल एसेट एलोकेशन के साथ नियंत्रित जोखिम
ये डायनेमिक फंड्स बाजार की स्थिति के आधार पर इक्विटी और डेट के बीच निवेश बदलते रहते हैं, जैसे:
HNIs इन्हें एक ‘ब्रिज प्रोडक्ट’ की तरह उपयोग करते हैं, यानी 1–2 साल के लिए पैसा रखने का ऐसा विकल्प जिसमें बिना ज्यादा जोखिम लिए सुरक्षा भी बनी रहती है और ग्रोथ की संभावना भी रहती है।
उन्हें ये क्यों पसंद है?
एसेट अलोकेशन अपने आप बदलता रहता है, जिससे बाजार गिरने पर नुकसान सीमित होता है और बाजार सुधरने पर अच्छा अपसाइड कैप्चर होता है।
लॉन्ग टर्म में कंपाउंडिंग और अनुकूल टैक्सेशन के लिए HNIs की पसंद लार्ज कैप या फ्लेक्सी कैप फंड्स हैं। 3 साल से ज्यादा के लक्ष्यों के लिए, अमीर लोग पूरी तरह ग्रोथ एसेट्स की ओर शिफ्ट हो जाते हैं:
इन दोनों कैटेगरी से मिलता है:
यहां HNIs शॉर्ट-टर्म निकासी नहीं चाहते — उनका लक्ष्य अनुशासन के साथ ग्रोथ प्राप्त करना होता है।
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आम धारणा के विपरीत, ज्यादा इनकम वाले निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स कटने के बाद बहुत कमजोर रिटर्न मिलता है। उदाहरण के लिए, 30% टैक्स ब्रैकेट वाले व्यक्ति को 7% FD रिटर्न टैक्स के बाद लगभग 4.5% ही मिलता है।
दूसरी तरफ, डेट और हाइब्रिड फंड्स को इन फायदों का लाभ मिलता है:
HNIs समझते हैं कि खाली पड़ा पैसा वेल्थ को कम करता है, इसलिए वे शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट्स को भी सही तरीके से ऑप्टिमाइज करते हैं।
ज्यादातर निवेशक अपना अतिरिक्त पैसा बैंक खातों (सेविंग अकाउंट्स), FDs, कम रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट और ऐसी इमरजेंसी फंड्स में रखते है, जिन्हें कभी ऑप्टिमाइज नहीं किया जाता। लेकिन जैसा कि माहेश्वरी के विश्लेषण में दिखता है, HNIs सुनिश्चित करते हैं कि उनका कोई भी पैसा बेकार न पड़ा रहे।
आम निवेशकों के लिए सीख: