भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विभिन्न योजनाओं में एकरूपता लाने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) द्वारा रखे गए भौतिक सोने और चांदी के मूल्यांकन की खातिर एक नई पद्धति का प्रस्ताव सामने रखा है। प्रस्ताव यह है कि सोने और चांदी का मूल्यांकन घरेलू एक्सचेंजों द्वारा निर्धारित हाजिर कीमतों के अनुसार किया जाए, न कि लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) की कीमत से मूल्यांकन का मौजूदा चलन बना रहे। मूल्यांकन का मौजूदा तरीका एलबीएमए मूल्य निर्धारण से शुरू होती है और अंतिम मूल्यांकन को अंततः घरेलू हाजिर कीमतों के अनुरूप लाया जाता है। सेबी के अनुसार, मूल्यांकन में अंतर घरेलू बेंचमार्क के विभिन्न स्रोतों के इस्तेमाल आदि के कारण उत्पन्न होता है।
सेबी ने बुधवार को जारी परामर्श पत्र में कहा, किसी भी नियामकीय निर्देश के अभाव में एएमसी अपने विवेक का इस्तेमाल करके प्रीमियम/डिस्काउंट लागू करती हैं, जिससे सोने/चांदी के मूल्यांकन में अंतर आ जाता है। उदाहरण के लिए अलग-अलग ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियां (एएमसी) अलग-अलग आवृत्तियों पर प्रीमियम/डिस्काउंट लागू करती हैं, जैसे दैनिक आधार पर/हर दूसरे दिन/मासिक आधार पर आदि। इससे सोने/चांदी के मूल्यांकन में अंतर आ जाता है। प्रीमियम और डिस्काउंट, एलबीएमए और घरेलू कीमतों के बीच का अंतर है। मूल्यांकन प्रक्रिया में भिन्नता के कारण विभिन्न एएमसी के ईटीएफ के प्रदर्शन में अंतर आ जाता है।
सेबी ने कहा कि घरेलू कमोडिटी एक्सचेंजों द्वारा प्रकाशित घरेलू हाजिर कीमतों में बदलाव से समायोजन की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। नियामक ने कहा, इस बदलाव से प्रीमियम/डिस्काउंट के समायोजन को खत्म करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि ये हाजिर कीमतें घरेलू प्रतिभागियों से ली जाती हैं और घरेलू मांग और आपूर्ति को दर्शाती हैं।
सेबी एक्सचेंजों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पोलिंग-आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली को पारदर्शी बनाने की भी योजना बना रहा है। नियामक ने एक्सचेंजों के लिए पोलिंग के निष्पक्ष संचालन हेतु नीतियों व पोलिंग प्रणाली को प्रकाशित करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है।