Retirement Planning: रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम का स्रोत सुनिश्चित करना नौकरीपेशा लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण फाइनैंशियल टारगेट होना चाहिए। सैलरी रुकने के बाद भी खर्चें जारी रहते हैं, और बिना किसी फाइनैंशियल दबाव के अपनी जरूरतों को पूरा करना और जीवन का आनंद लेना हर किसी का सपना होता है। ऐसे में, म्युचुअल फंड के सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) और डिविडेंड प्लान (dividend plan) रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए बेहद प्रभावी विकल्प साबित हो सकते हैं। SWP के माध्यम से आप अपने म्युचुअल फंड निवेश से नियमित अंतराल पर एक तय राशि निकाल सकते हैं, जिससे आपको रेगुलर इनकम प्राप्त होती है। वहीं, डिविडेंड प्लान आपको समय-समय पर डिविडेंड के रूप में इनकम प्रदान करता है। हालांकि, इन दोनों योजनाओं में कई बुनियादी अंतर हैं। अगर आप रिटायरमेंट के बाद के लिए रेगुलर इनकम सुनिश्चित करने की योजना बना रहे हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि आपकी जरूरतों के अनुसार कौन सा विकल्प आपके लिए अधिक लाभकारी हो सकता है।
रिटायरमेंट फंड के प्रदर्शन की बात करें, तो बीते तीन साल में टॉप- 5 रिटायरमेंट फंड ने निवेशकों को औसतन 11-16 फीसदी का रिटर्न दिया है। इनमें ICICI Prudential Retirement Fund – Pure Equity स्कीम ने सबसे ज्यादा 16.32 फीसदी का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में अगर किसी ने तीन साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.57 लाख रुपये से ज्यादा है। इस तरह से निवेशक को 57,385 रुपये का फायदा हुआ।
आइए म्युचुअल फंड कैलकुलेशन के जरिए समझते हैं कि अगर किसी ने तीन साल पहले इन टॉप-5 रिटायरमेंट फंड में 1 लाख का एकमुश्त निवेश किया, तो आज वैल्यू कितनी होती…
S.NO | Retirement funds | 3 year Return | Total Value (in Lakh) |
1 | ICICI Prudential Retirement Fund – Pure Equity Plan | 16.32% | 1,57,385 |
2 | HDFC Retirement Savings Fund – Equity Plan | 16.03% | 1,56,211 |
3 | ICICI Prudential Retirement Fund – Hybrid Aggressive Plan | 13.82% | 1,47,454 |
4 | Nippon India Retirement Fund – Wealth Creation Scheme | 13.27% | 1,45,326 |
5 | HDFC Retirement Savings Fund – Hybrid Equity Plan | 11.97% | 1,40,380 |
स्त्रोत: AMFI (13-Jan-2025 के NAV पर आधारित)
जब आपके रिटायर होने की उम्र आएगी तब तक आपके पास एक बड़ा कॉर्पस होगा, जिसे आप एकमुश्त या नियमित अंतराल पर निकाल सकते हैं। आपका मकसद रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम प्राप्त करना है, ऐसे में आपके लिए कॉर्पस को नियमित अंतराल पर सिस्टेमैटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) के माध्यम से निकालना बेहतर होगा।
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सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) म्युचुअल फंड निवेश का एक ऐसा विकल्प है, जिसके माध्यम से निवेशक अपने कॉर्पस से नियमित अंतराल पर एक तय राशि निकाल सकते हैं। यह राशि मासिक, तिमाही या वार्षिक आधार पर निकाली जा सकती है, जो निवेशक की पसंद पर निर्भर करती है।
निवेशक किसी भी महीने, तिमाही या साल की एक तारीख चुन सकते हैं, जिस दिन निकासी की जाएगी और यह राशि AMC (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) द्वारा सीधे निवेशक के बैंक खाते में जमा कर दी जाती है।
निवेशक केवल अपने निवेश पर होने वाले लाभ (गेन) को भी निकालने का विकल्प चुन सकते हैं, जिससे उनकी मूल निवेशित राशि सुरक्षित रहती है। तय तिथि पर, निवेशक के पोर्टफोलियो से यूनिट्स बेचे जाते हैं और निकाली गई राशि उनके खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।
निवेशक SWP योजना का उपयोग तब तक कर सकते हैं, जब तक उनके खाते में स्कीम्स की यूनिट्स का बैलेंस बना हुआ हो।’
लेकिन बहुत सारे निवेशकों को रिटायरमेंट से पहले भी रेगुलर इनकम की जरूरत होती है, वे डिविडेंट प्लान का विकल्प भी चुन सकते हैं।
डिविडेंड प्लान म्युचुअल फंड की एक ऐसी स्कीम है, जिसमें फंड हाउस (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) फंड से होने वाले मुनाफे को निवेशकों के बीच बांटता है। यह उन निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प है, जो अपने निवेश नियमित तौर पर इनकम प्राप्त करना चाहते हैं।
डिविडेंड की राशि और भुगतान का समय पहले से तय नहीं होता। यह पूरी तरह से फंड के प्रदर्शन, बाजार की स्थिति, और उस समय उपलब्ध मुनाफे पर निर्भर करता है। यदि फंड को लाभ नहीं होता, तो डिविडेंड का भुगतान भी नहीं होता।
निवेशकों को मिलने वाला डिविडेंड उनके पास मौजूद यूनिट्स की संख्या के आधार पर तय होता है। इसका मतलब है कि जितनी अधिक यूनिट्स आपके पास होंगी, उतना ही अधिक डिविडेंड आपको मिलेगा।
मनीफ्रंट के CFA मोहित गंग बताते हैं, जब भी म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो से नियमित निकासी की आवश्यकता हो, तो निवेशकों को डिविडेंड पेआउट और सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) के बीच सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।
निवेशकों को डिविडेंड पेआउट पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। इसलिए यह विकल्प केवल उन्हीं निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो सबसे निचले टैक्स स्लैब या जीरो टैक्स स्लैब में आते हैं। डिविडेंड में निवेश की गई पूंजी की निकासी भी शामिल होती है, और पूरी निकासी राशि (पूंजी और उस पर होने वाले गेन दोनों) पर टैक्स लगाया जाता है।
सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) एक ऑटोमेटिक और नियमित निकासी की सुविधा प्रदान करता है और टैक्स के लिहाज से बेहद प्रभावी है। SWP में निकासी की राशि में केवल गेन के हिस्से पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है, जो इसे निवेशकों के लिए अधिक लाभदायक बनाता है।
उदाहरण के लिए: यदि कोई निवेशक ₹100 का डिविडेंड प्राप्त करता है, तो यह राशि उनकी आय में जुड़ जाएगी और उनके टैक्स स्लैब के अनुसार पूरी राशि पर टैक्स लगेगा। वहीं, यदि यह ₹100 SWP के माध्यम से निकाला जाता है, तो केवल उस ₹100 में शामिल गेन के हिस्से पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यह SWP को टैक्स के दृष्टिकोण से अधिक प्रभावी बनाता है।
मोलीलाल ओसवाल के ED & CBO अखिल चतुवेर्दी कहते हैं कि सिस्टमेटिक विदड्रॉअल प्लान (SWP) उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है जो टैक्स में बचत के साथ नियमित अंतराल पर नकद आय चाहते हैं।
अगर आप एक तयशुदा और नियमित आय चाहते हैं, तो SWP आपके लिए सही विकल्प है। इसमें आप निकासी की राशि और समय तय कर सकते हैं, जो आपकी जरूरतों के अनुसार बदल सकता है।
यह रिटायरमेंट के दौरान खासतौर पर फायदेमंद है, जब आपको अपने खर्चों को पूरा करने के लिए एक स्थिर आय की जरूरत होती है। SWP से आप अपने एकमुश्त निवेश को नियमित आय में बदल सकते हैं और बाजार में संभावित बढ़त का भी फायदा उठा सकते हैं।