वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान डेट म्युचुअल योजनाओं में आई सुस्ती अब दूर होती दिख रही है क्योंकि ब्याज दरें बढ़ी हैं, खासकर छोटी अवधि की मैच्योरिटी वाली योजनाओं में। पिछले दो महीनों में अल्पावधि डेट (अल्ट्रा शॉर्ट, लो ड्यू्रेशन और मनी मार्केट) योजनाओं में 48,000 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह (नेट इनफ्लो) हुआ है, जो अप्रैल-मई 2021 के बाद से समाप्त दो महीने की अवधि की तुलना में सर्वाधिक है।
ये योजनाएं तीन महीने से लेकर एक साल तक की अल्पावधि प्रतिभूति पत्रों (shorter-maturity papers) में निवेश करती हैं। अल्पावधि के कारण, इन योजनाओं में ब्याज दर का जोखिम लंबी अवधि की ऋण योजनाओं की तुलना में कम रहती हैं। इन योजनाओं का उपयोग मुख्यतः संस्थागत और धनाढ्य लोगों (HNI) द्वारा अल्पकालिक निवेश के लिए किया जाता है।
उद्योग के वरिष्ठ अधिकारी निवेश में बढ़ोतरी का श्रेय ब्याज दरों में ठहराव, तरलता में सुधार और मुद्रास्फीति में आई नरमी से निवेशकों की धारण सुधरने को देते हैं।
Bandhan AMC के उत्पाद प्रमुख सिरशेंदु बसु ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में निवेशकों ने आकर्षक अल्पकालिक ब्याज दरें और अच्छी तरलता देखी है और बाजार को ऐसा लग रहा है कि अब हम दरों में वृद्धि के अंत के करीब हैं। इससे अल्पावधि की योजनाओं की शुद्ध बिक्री में बढ़ोतरी हुई है।’
निपॉन लाइफ इंडिया ऐसेट मैनेजमेंट के सह मुख्य कारोबारी अधिकारी अश्विन दुग्गल कहते हैं, ‘इस तिमाही में कुछ चीजें बदल गई हैं। 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने और रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में हस्तक्षेप के कारण मुख्य तरलता में भी काफी सुधार आया है। इसके अलावा, अनुकूल परिस्थितियों के कारण पहली तिमाही में संस्थागत निवेशकों की ओर से भी प्रवाह में वृद्धि देखी गई है। एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि चौथी तिमाही में ऊंची आपूर्ति देखी गई, जिससे अधिक आय हुई।’
हालांकि, उच्च लाभ दर का जोखिम लेने के लिए उच्च रिटर्न के माध्यम से किसी भी अतिरिक्त प्रोत्साहन के बिना अधिकतर मध्यम से लंबी अवधि की योजनाएं संघर्ष कर रही हैं। खासकर तब, जब से लंबी अवधि के निवेश पर कोई कर लाभ नहीं मिल रहा है।