विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के स्थिर निवेश के कारण शेयर कीमतों में बढ़ोतरी के बीच म्युचुअल फंड अप्रैल में इक्विटी के शुद्ध बिकवाल बन गए। बेंचमार्क सूचकांकों सेंसेक्स व निफ्टी ने पिछले साल नवंबर के बाद सबसे अच्छी मासिक बढ़ोतरी दर्ज की और पिछले महीने उनमें क्रमश: 3.6 फीसदी व 4.1 फीसदी की उछाल आई। स्मॉलकैप शेयरों के प्रदर्शन की माप करने वाले सूचकांक में जुलाई 2022 के बाद सबसे ज्यादा करीब 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों से पता चलता है कि म्युचुअल फंडों ने 5,100 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे, जो फरवरी 2021 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। पिछले दो साल में यह दूसरा महीना है जब म्युचुअल फंड मासिक आधार पर शुद्ध बिकवाल बने हैं। अप्रैल से पहले म्युचुअल फंड इक्विटी की खरीद कर रहे थे और जनवरी-मार्च 2023 में उन्होंने शुद्ध रूप से 55,000 करोड़ रुपये का निवेश किया।
यह आंकड़ा अक्टूबर-दिसंबर 2022 के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है। लगातार खरीदारी के कारण कुछ फंड हाउस के पास नकदी का स्तर मार्च में घटा। यह खरीदारी सुधरे मूल्यांकन और अनुकूल आर्थिक संकेतकों की पृष्ठभूमि में हुई। निफ्टी-50 का पिछले 12 महीने का आय अनुपात (पीई अनुपात) मार्च में घटकर 21 पर आ गया, जो सितंबर 2021 के आखिर में 32 के उच्चस्तर पर था।
म्युचुअल फंडों ने ऐसे समय में बिकवाली की जब विदेशी निवेशक कैलेंडर वर्ष 2022 के ज्यादातर महीनों में शुद्ध बिकवाल रहने के बाद अपने रुख में बदलाव का संकेत दे रहे हैं। अप्रैल में उन्होंने लगातार दूसरे महीने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया क्योंकि जोखिम को लेकर अवधारणा सुधरी क्योंकि नियामकों ने विकसित दुनिया में बैंकिंग संकट को रोक दिया।
विदेशी निवेशकों की तरफ से मजबूत निवेश से अप्रैल में भारत को अहम वैश्विक बाजारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली और निफ्टी-50 में 4.1 फीसदी की उछाल आई। ब्रिटेन और जापान के प्रमुख सूचकांकों में क्रमश: 3.1 फीसदी व 2.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ताइवान व हॉन्गकॉन्ग के बाजारों में 1.8 फीसदी व 2.5 फीसदी की गिरावट आई।