Low Expense Ratio vs High Returns: निवेशकों के बीच एक आम धारणा यह है कि इक्विटी म्युचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds) में कम एक्सपेंस रेश्यो (खर्च अनुपात) का मतलब अपने आप बेहतर रिटर्न होता है। फंड हाउस एडलवाइस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निरंजन अवस्थी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि यह धारणा तब सही हो सकती है जब सभी अन्य कारक स्थिर हों – जैसे कि पैसिव फंड्स (Passive Funds) के मामले में होता है। लेकिन जब बात एक्टिव इक्विटी फंड्स (Active Equity Funds) की आती है, तो तस्वीर कहीं ज्यादा जटिल होती है। ऐसे फंड्स में फंड मैनेजर एक्टिव रूप से शेयरों का चयन कर अल्फा जनरेट करने की कोशिश करते हैं। इनमें एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर कुल रिटर्न की तुलना में एक छोटा हिस्सा होता है, इसलिए इसका प्रदर्शन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता।
पिछले तीन वर्षों में सभी एक्टिव इक्विटी फंड्स के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि कम एक्सपेंस रेश्यो ने हमेशा बेहतर रिटर्न नहीं दिए हैं। वास्तव में, विभिन्न कैटेगरी में एक्सपेंस रेश्यो और फंड प्रदर्शन के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं दिखता। एडलवाइस म्युचुअल फंड के इस विश्लेषण से निकले कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट:
लार्ज कैप फंड्स:
मिड रेंज के एक्सपेंस रेश्यो (2.00–2.25%) वाले फंड्स ने पिछले तीन वर्षों में सबसे ज्यादा औसत रिटर्न (20.27%) दिया, जो कि सबसे कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड्स (<1.75%) के औसत रिटर्न 20.02% से भी ज्यादा है।
फ्लेक्सी कैप फंड्स:
यहां भी सबसे अधिक औसत रिटर्न (24.21%) मिड रेंज के एक्सपेंस रेश्यो (2.00–2.25%) वाले फंड्स में देखने को मिला, न कि सबसे कम खर्च वाले फंड्स में। 1.75% से कम एक्सपेंस वाले फंड्स का औसत रिटर्न 21.28% रहा।
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मल्टी-कैप फंड्स:
इस कैटेगरी में सबसे कम एक्सपेंस रेशियो (<1.75%) वाले फंड्स ने सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए 29.91% का रिटर्न दिया। हालांकि, सबसे अधिक खर्च वाले फंड्स (>2.25%) ने भी 25.30% का अच्छा रिटर्न दिया, जो दर्शाता है कि प्रदर्शन और एक्सपेंस रेश्यो के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।
लार्ज एंड मिडकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स:
इन कैटेगरी में कई बार अधिक एक्सपेंस रेशियो वाले फंड्स ने बेहतर रिटर्न दिए। उदाहरण के तौर पर, मिडकैप कैटेगरी में 1.75–2.00% खर्च वाले फंड्स ने सबसे अधिक औसत रिटर्न (27.71%) दिया, जो सबसे कम खर्च वाले फंड्स से भी ज्यादा रहा।
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डेटा यह साफ संकेत देता है कि एक्टिव इक्विटी फंड्स में कम एक्सपेंस रेश्यो और ज्यादा रिटर्न के बीच कोई स्थायी या स्पष्ट संबंध नहीं है। कई मामलों में ज्यादा खर्च वाले फंड्स ने कम खर्च वाले फंड्स से बेहतर प्रदर्शन किया है। यह उस आम धारणा को चुनौती देता है कि “कम खर्च मतलब ज्यादा रिटर्न”।
अवस्थी कहते हैं कि एक्टिव फंड्स का मूल्यांकन करते समय केवल एक्सपेंस रेश्यो पर ध्यान देना काफी नहीं है। फंड मैनेजर की क्षमता, निवेश रणनीति और अल्फा जनरेट करने की योग्यता को भी गंभीरता से समझना जरूरी है। इसलिए अगली बार कोई कहे कि कम खर्च वाले फंड्स ही बेहतर रिटर्न देते हैं, तो याद रखें—आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।