एसआईपी से जुड़ीं म्युचुअल फंड परिसंपत्तियां अप्रैल में 13.9 लाख करोड़ रुपये के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। हालांकि सक्रिय खातों की संख्या ऊंचे स्तर से 14 फीसदी तक घट गई। पिछला रिकॉर्ड 13.8 लाख करोड़ रुपये का था जो सितंबर 2024 में बना था। इसके बाद प्रबंधन के अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) लगातार पांचवें महीने तक घटती गईं और फरवरी 2025 में यह आंकड़ा 12.4 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।
फंड उद्योग के अधिकारियों के अनुसार गिरावट का मुख्य कारण इक्विटी फंडों को मार्क-टू-मार्केट नुकसान होना था। एसआईपी निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा सक्रिय इक्विटी योजनाओं में जाता है। बाजार में सितंबर 2024 के आखिरी सप्ताह में शुरू हुई गिरावट पांच महीनों तक चली थी। इस दौरान निफ्टी 50 ने हर महीने गिरावट दर्ज की। फिर मार्च और अप्रैल में इसमें वापसी हुई।
हालांकि गिरावट ने एकमुश्त निवेश को सीमित कर दिया। लेकिन जनवरी और अप्रैल 2025 के बीच 1.4 करोड़ शुद्ध खाते बंद होने के बावजूद एसआईपी निवेश मजबूत बना रहा। फंड उद्योग के संगठन एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने कहा है कि ज्यादातर खाते इसलिए बंद हुए क्योंकि फंड हाउस इन खातों के ‘मिलान’ प्रयासों के तहत निष्क्रिय खातों की सफाई पर जोर दे रहे थे।
एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि सक्रिय एसआईपी खातों में 14 फीसदी की गिरावट आने के बाद भी योगदान करने वाले खातों की संख्या अप्रैल में 8.38 करोड़ के नए ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। मासिक योगदान भी रिकॉर्ड 26,632 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।