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ELSS: टैक्स सेविंग्स के लिए खत्म हो रहा क्रेज? बजट के बाद क्यों घटने लगा निवेशकों का रुझान

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक ऐसा म्युचुअल फंड है जो अपने फंड का अधिकांश हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

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अंशु   
Last Updated- March 28, 2025 | 11:13 AM IST

वित्त वर्ष 2024-25 समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। टैक्स बचाने को लेकर किए जाने वाले निवेश के कारण जनवरी से मार्च के बीच आमतौर पर ELSS फंड्स में निवेश बढ़ता है, लेकिन इस बार इनफ्लो सुस्त रहा। फरवरी 2025 में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड्स में ₹615 करोड़ का इनफ्लो आया। जबकि पिछले महीने जनवरी में इसमें ₹797 करोड़ का निवेश आया था। एक्सपर्ट्स ELSS निवेश में आई सुस्ती की वजह नए टैक्स रिजीम मान रहे हैं। उनका कहना है कि कई टैक्सपेयर्स के लिए सरल और बिना छूट वाली टैक्स व्यवस्था ज्यादा फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि नए टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की इनकम टैक्स-फ्री है। भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग न्यू टैक्स रिजीम को अपनाने लगे हैं, जिससे पारंपरिक रूप से टैक्स बचत के लिए लोकप्रिय ELSS में निवेश की प्रवृत्ति घट रही है।

बजट के बाद ELSS निवेश में सुस्ती

बजट के बाद से इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) सुस्ती आई है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2025 में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड्स में ₹615 करोड़ का इनफ्लो आया। यह पिछले महीने जनवरी में आए ₹797 करोड़ की तुलना में कम रहा।

मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेस, सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा जनवरी से मार्च के बीच आमतौर पर ELSS फंड्स में निवेश बढ़ता है, लेकिन इस बार इनफ्लो सुस्त रहा। उनका मानना है कि बजट में नए टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाए जाने के कारण ELSS में निवेश प्रभावित हुआ है। हालांकि, अब भी ELSS लॉन्ग टर्म निवेश के लिए एक बेहतर विकल्प हैं।

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क्या ELSS में निवेश का दौर खत्म?

एसेट मैनेजमेंट कंपनी बजाज फिनसर्व के सीनियर फंड मैनेजर सौरभ गुप्ता ने कहा, “आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 80C के तहत मिलने वाला डिडक्शन हमेशा से ELSS निवेश का एक बड़ा आकर्षण रहा हैं। हालांकि, अब ज्यादा लोग नए टैक्स रिजीम की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में, ELSS की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होती जा रही है।”

उनका मानना है कि भले ही ELSS की लोकप्रियता धीरे-धीरे कम हो रही है। इसके बावजूद, ELSS एक लॉक-इन प्रोडक्ट है, जिसमें तीन साल का अनिवार्य होल्डिंग पीरियड होता है। यह इक्विटी निवेशकों में अनुशासन विकसित करता है और लॉन्ग टर्म निवेश के दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। खासकर नए निवेशकों के लिए, जो पहली बार बाजार में गिरावट और उतार-चढ़ाव का अनुभव कर रहे हैं। ऐसे निवेशकों के लिए यह फंड एक फायदेमंद निवेश विकल्प साबित हो सकता है।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) क्या है?

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक ऐसा म्युचुअल फंड है जो अपने फंड का अधिकांश हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है। यह एकमात्र म्युचुअल फंड स्कीम है, जिसमें आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है।

अन्य म्युचुअल फंड स्कीम की तरह आप इसे जब चाहें तब रिडीम यानी बंद नहीं कर सकते हैं। ELSS का अनिवार्य लॉक-इन पीरियड 3 वर्ष है। मतलब आप तीन वर्ष से पहले इस स्कीम से बाहर नहीं निकल सकते हैं। लेकिन निवेश के उन सारे विकल्पों जिन पर पुरानी टैक्स व्यवस्था में 80C के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है की तुलना में ELSS का lock-in period सबसे कम है। इसलिए ELSS को टैक्स-सेविंग फंड भी कहा जाता है।

First Published : March 19, 2025 | 3:12 PM IST