Debt Fund Outlook: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल को रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती कर इसे 6% कर दिया। यह 7 फरवरी को हुई 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती है। इसके साथ ही, RBI ने मौद्रिक नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘उदारवादी’ (accommodative) कर दिया है।
फंड मैनेजरों को उम्मीद है कि आगे भी दो बार 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती हो सकती है। मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के फिक्स्ड इनकम चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) महेंद्र कुमार जाजू कहते हैं, “इस चक्र में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती होगी, जिससे अगले तीन से छह महीनों में अंतिम रीपो रेट 5.5% पर आ जाएगा।”
क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की फिक्स्ड इनकम फंड मैनेजर स्नेहा पांडे को उम्मीद है कि अगली कटौती जून 2025 में हो सकती है। वह कहती हैं, “अगस्त 2025 की मौद्रिक नीति में दरों में कटौती ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन पर निर्भर करेगी।”
पिछले एक साल में 10-वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड पहले ही लगभग 60 बेसिस पॉइंट गिर चुकी है। यह अब 7.10–7.15% के उच्चतम स्तर से घटकर अब लगभग 6.45% पर आ गई है। एक्सिस म्युचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम हेड देवांग शाह कहते हैं, “अगर दरों में और 25–50 बेसिस पॉइंट की कटौती होती है, तो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 10-वर्षीय बेंचमार्क यील्ड 6.25–6.40% के दायरे में रह सकती है।” जाजू को उम्मीद है कि 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड (G-Sec) की यील्ड 6% के करीब पहुंच सकती है।
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ब्याज दरों में और गिरावट की संभावना के चलते नीति घोषणा के बाद लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड अब भी आकर्षक बने हुए हैं। जाजू कहते हैं, “इस ट्रेड में अभी और बढ़त बाकी है।” हालांकि, शाह सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, “ब्याज दरों में कटौती का यह चक्र सीमित हो सकता है। जब 20–25 बेसिस पॉइंट की तेजी आ जाए और सरकारी बॉन्ड यील्ड 6.25% के स्तर को छू ले, तब निवेशकों को अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।”
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ₹7.5 लाख करोड़ की नकदी सिस्टम में डालने और भविष्य में और ज्यादा कैश उपलब्ध कराने की संभावना के चलते, शॉर्ट से मीडियम टर्म के कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को लाभ होने की उम्मीद है। शाह कहते हैं, “यह भारी लिक्विडिटी सरप्लस मीडियम टर्म के कॉरपोरेट बॉन्ड सेगमेंट के लिए सकारात्मक संकेत है।”
शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स भी अच्छे विकल्प बने हुए हैं। जाजू कहते हैं, “मनी मार्केट रेट में गिरावट आई है। शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स ने पिछले एक साल में अच्छा रिटर्न दिया है और यह ट्रेंड आगे भी जारी रहने की संभावना है। फिलहाल ये फंड्स अच्छी यील्ड भी दे रहे हैं।”
शाह अल्पकालिक निवेश के लिए लो ड्यूरेशन फंड्स की सलाह देते हैं। वहीं, पांडे उन निवेशकों को लिक्विड फंड्स चुनने का सुझाव देती हैं जिनकी जोखिम लेने की क्षमता कम है और निवेश अवधि छोटी है।
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वर्तमान समय में जब मैक्रोइकोनॉमिक अनिश्चितता बढ़ी हुई है, डायनामिक बॉन्ड फंड्स एक उपयुक्त विकल्प माने जा रहे हैं। पांडे कहती हैं, “बाजार में उतार-चढ़ाव के इस दौर में लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए डायनामिक बॉन्ड फंड्स एक अच्छा विकल्प हैं। ये फंड्स ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव के अनुसार अपनी स्ट्रैटेजी बदलते हैं, और शॉर्ट-टर्म व लॉन्ग-टर्म बॉन्ड्स के बीच संतुलन बनाते हुए सरकारी और कॉरपोरेट सिक्योरिटीज के मिक्स से जोखिम को बैलेंस करते हैं।”
शाह भी ‘इनकम एडवांटेज’ कैटेगरी को प्राथमिकता देते हैं, जो आम तौर पर 65% निवेश डेट में और 35% निवेश आर्बिट्राज में करती है।
शाह का सुझाव है कि आर्थिक विकास में जोखिम और आगे ब्याज दरों में कटौती की संभावना को देखते हुए डेट में निवेश बढ़ाया जाए। जाजू सलाह देते हैं कि फंड कैटेगरी का चयन अपनी जरूरतों के अनुसार करें। वह कहते हैं, “अपने जोखिम प्रोफाइल और निवेश अवधि के अनुसार उपयुक्त अवधि वाले फंड का चयन करें।”
पांडे फंड चयन में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर देती हैं। वह कहती हैं, “ऐसे फंड्स को प्राथमिकता दें जिनकी क्रेडिट क्वालिटी हाई हो और जिनमें सरकारी सिक्योरिटीज और AAA रेटेड इंस्ट्रूमेंट्स का संतुलित मिश्रण हो, ताकि पूंजी भी सुरक्षित बनी रहे और स्थिर रिटर्न भी मिल सके।”