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हितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉन

व्यापारियों द्वारा बैंकों को वास्तविक समय में डिजिटल लेनदेन के प्रसंस्करण के लिए जो शुल्क दिया जाता है उसे एमडीआर कहते हैं।

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हर्ष कुमार   
Last Updated- September 09, 2025 | 11:07 PM IST

एमेजॉन पे इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी विकास बंसल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के खास बातचीत में कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन पर एक गैर मनमाना व्यापारी छूट (एमडीआर) निर्धारित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियामक और उद्योग के बीच चर्चा के बाद इसे तय किया जाना चाहिए।

बंसल ने कहा, ‘किसी भी भुगतान के तरीके को सफल बनाने के लिए व्यापारियों, ग्राहकों और भुगतान प्रदाता अथवा बैंकों जैसे प्रतिभागियों के बीच मूल्य का आदान-प्रदान होना जरूरी है। एमडीआर का कुछ स्तर उस मूल्य विनिमय को संभव बनाने में मदद करता है।’

व्यापारियों द्वारा बैंकों को वास्तविक समय में डिजिटल लेनदेन के प्रसंस्करण के लिए जो शुल्क दिया जाता है उसे एमडीआर कहते हैं। फिलहाल, यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड से भुगतान पर कोई एमडीआर नहीं लगता है। यह नीति भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के जरिये लागू की गई है।

डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के वास्ते वित्त वर्ष 2022 के बजट में घोषणा होने के बाद से यह शून्य एमडीआर लागू है। पहले, व्यापारी लेनदेन राशि के 1 फीसदी से कम शुल्क का भुगतान करते थे। खुदरा भुगतान में यूपीआई के बढ़ते उपयोग और रुपे के लोकप्रिय होने के साथ कई विशेषज्ञों का कहना है कि एमडीआर पर पूरी तरह से छूट मिलना अब टिकाऊ नहीं रह सकता है।

बंसल ने भी इस बात पर जोर दिया कि एमडीआर की संरचना और दरें मनमानी नहीं होनी चाहिए। मगर नियामक और उद्योग के बीच गहन चर्चा के जरिये इसे सावधानी से तैयार की जानी चाहिए।

First Published : September 9, 2025 | 11:02 PM IST