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सिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओ

गुप्ते ने भारत के लिए इस अमेरिकी बैंक की योजनाओं और विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत के शेयर बाजार के बारे में अपना नजरिया भी बताया

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मनोजित साहा   
सुब्रत पांडा   
Last Updated- September 09, 2025 | 10:52 PM IST

ट्रंप शुल्क के कारण पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता के बीच सिटी के द​क्षिण ए​शिया प्रमुख अमोल गुप्ते ने मनोजित साहा और सुब्रत पांडा से बातचीत में बताया कि भारत में किए गए कर सुधार से किस प्रकार इन चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने भारत के लिए इस अमेरिकी बैंक की योजनाओं और विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत के शेयर बाजार के बारे में अपना नजरिया भी बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत पर 50 फीसदी शुल्क आ​खिरकार 25 फीसदी रह जाएगा। मुख्य अंश:

हाल में घो​षित जीएसटी सुधार को आप किस प्रकार देखते हैं?

एक मशहूर कहावत है कि किसी अच्छे संकट से मिले अवसर को बर्बाद मत करो। फिलहाल भारत में हम जो कुछ भी देख रहे हैं, वह कुछ हद तक उसी का उदाहरण है। पहले आयकर में बदलाव किया गया था और अब जीएसटी में सुधार। भारत एक ठोस बहीखाते, मजबूत वित्तीय क्षेत्र और दमदार कॉरपोरेट क्षेत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। इसलिए सुधार करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। कारोबारी सुगमता को बेहतर करने के लिए भारत को कई अन्य सुधारों पर ध्यान देना चाहिए।

क्या इससे अर्थव्यवस्था में मांग को रफ्तार मिलेगी?

नि​श्चित तौर पर इससे मांग को बढ़ावा मिलेगा। जाहिर तौर पर सरकार जो भी लागत वहन कर रही है, वह उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ ही है।

टैरिफ का आर्थिक प्रभाव क्या होगा?

उसका वास्तविक प्रभाव दिखने में थोड़ा वक्त लगेगा। मगर मुझे नहीं लगता है कि टैरिफ 50 फीसदी पर बरकरार रहेगा। मैं समझता हूं कि वित्त वर्ष 2027 तक वह 50 फीसदी नहीं रहेगा ब​ल्कि 25 फीसदी पर स्थिर हो जाएगा जो दक्षिण एशिया के अन्य पड़ोसियों के मकाबले बहुत अलग नहीं होगा।

भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों का रुख कैसा रहेगा?

अमेरिका में हम सितंबर चक्र में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। टैरिफ के कारण अमेरिका में मुद्रास्फीति कुछ अस्थिर दिख सकती है। इससे अमेरिकी उपभोक्ता विश्वास प्रभावित हो सकता है। ऐसे में निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्थाओं पर इसका प्रभाव पड़ेगा। मगर भारत पर उतना प्रभाव नहीं दिखेगा क्योंकि यह निर्यात केंद्रित अर्थव्यवस्था नहीं है।

क्या भारत में कारोबार करने वाले आपके दक्षिण एशियाई क्लाइंट यहां सूचीबद्ध होने के लिए उत्साहित हैं?

मुझे लगता है कि ऐसा होता रहेगा। ह्युंडै ने जो मूल्य सृजित किया है वह काफी बड़ा है। यह उन कोरियाई कंपनियों में शामिल है जिसने भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की है। मगर सवाल यह है कि क्या वे भारतीय बाजार में अपना वर्चस्व स्थापित कर पाएंगी? मुझे ऐसा नहीं लगता है। हमने 2024 और 2025 में कई बड़े आईपीओ पेश किए हैं। अगली 2 से 3 तिमाहियों में भी काफी संभावित आईपीओ दिख रहे हैं। अगले साल की पहली तिमाही तक 10 से 12 अरब डॉलर के आईपीओ आ सकते हैं।

दक्षिण एशिया में सिटीबैंक के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्र कौन सा है?

भारत हमारा एक प्रमुख फ्रैंचाइजी है। निस्संदेह, यह हमारे घरेलू बाजार के बाहर शीर्ष तीन फ्रैंचाइजी में शामिल है। भारत में अपार अवसर मौजूद हैं। हम यहां आने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कारोबार करने के तरीके समझाने और व्यापक पूंजी समाधान प्रदान करने में मदद करते हैं। साथ ही हम बड़ी भारतीय कंपनियों को विदेश में विस्तार करने में भी सक्षम बनाते हैं। हम भारत में 3,000 से अधिक वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बैंकिंग भागीदार हैं और भारत के 250 से अधिक बड़े समूहों की वैश्विक जरूरतों को पूरा करते हैं।

भारत में उपभोक्ता कारोबार से बाहर निकलने के बाद सिटी की ​स्थिति कैसी है?

मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि भारतीय टीम ने 25 से 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। आज भारत में हमारा संस्थागत कारोबार हमारे पहले के उपभोक्ता कारोबार से कहीं बड़ा है। पिछले साल राजस्व में 25 फीसदी और मुनाफे में 34 फीसदी की वृद्धि हुई।

टैरिफ का सिटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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फिलहाल यह बताना जल्दबाजी होगा कि क्या प्रभाव पड़ेगा। हमार कारोबार इतना बड़ा और विविध है कि किसी एक इंजन का प्रदर्शन उतना अच्छा न होने पर भी कोई नुकसान नहीं होगा। इसलिए कोई गहरा असर पड़ने वाला नहीं है।

नए नेतृत्व पर सिटी की रणनीति क्या है?

हमारी रणनीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हमारी रणनीति एक ऐसे बैंक होने पर आधारित है जो ग्राहकों को सक्षम बनाता है और सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देता है। हम बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में लाते हैं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को सुगम बनाते हैं और उन्हें यहां निवेश एवं संचालन में मदद करते हैं। इस प्रकार हम भारत में कारोबार करने की अपनी गहरी समझ का फायदा उठाते हैं जो अनोखी है। दूसरी ओर, हम विदेश में विस्तार करने की इच्छुक बड़ी एवं मझोली भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करते हैं। हमारी रणनीति के ये दो प्रमुख इंजन हैं जो हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते रहेंगे।

भारत में एफडीआई क्यों घट रहा है?

शुद्ध एफडीआई की बात करें तो वह काफी दमदार है। सकल एफडीआई करीब 80 अरब डॉलर है। केवल पहली तिमाही के दौरान ही 25 अरब डॉलर का रिकॉर्ड एफडीआई आया है।

First Published : September 9, 2025 | 10:46 PM IST