वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हाल में हुए बदलाव की घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने विनिर्माताओं, पैकिंग करने वालों और डिब्बाबंद (प्री-पैकेज्ड) वस्तुओं के आयातकों को अनबिके स्टॉक के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को बदलने की अनुमति दे दी है। अनबिके माल के लिए ऐसा करने की अनुमति 31 दिसंबर तक होगी।
जीएसटी परिषद के निर्णय के अनुसार 22 सितंबर से ज्यादातर एफएमसीजी उत्पादों पर जीएसटी दर मौजूदा 12 या 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। इसके चलते पहले से तैयार की गई पैकेज्ड वस्तुओं की कीमतों में बदलाव करना जरूरी हो गया है और कंपनियों के लिए यह बड़ी चुनौती है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कंपनियां 31 दिसंबर, 2025 तक या पुराने स्टॉक के खत्म होने तक (जो भी पहले हो) संशोधित एमआरपी की घोषणा कर सकती हैं। बदले हुए एमआरपी की घोषणा संबंधित उत्पाद पर मुहर या स्टिकर लगाकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग के माध्यम से करनी होगी। हालांकि उत्पाद पर मूल एमआरपी भी प्रदर्शित होना चाहिए और नई कीमत इसके ऊपर नहीं छापी जानी चाहिए। अधिसूचना के अनुसार पुरानी और संशोधित कीमत के बीच का अंतर केवल जीएसटी में बदलाव के कारण हुई वास्तविक वृद्धि या कमी को दर्शाने वाला होना चाहिए।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार ने विनिर्माताओं या पैकिंग करने वालों या प्री-पैकेज्ड वस्तुओं के आयातकों को जीएसटी के संशोधन से पहले बनी/पैक/आयातित अनबिके स्टॉक पर संशोधित खुदरा बिक्री मूल्य (एमआरपी) घोषित करने की अनुमति दी है। इसमें कर में बदलाव के कारण कीमत में हुई घट-बढ़ की राशि स्पष्ट रूप से अंकित करनी होगी।’
अधिसूचना में कहा गया है कि विनिर्माताओं, पैकर्स या आयातकों को इस संबंध में एक या एक से अधिक समाचार पत्रों में कम से कम दो विज्ञापन देने होंगे। इसके साथ ही डीलरों को भी इसकी जानकारी देनी होगी और केंद्र सरकार में विधिक माप विज्ञान निदेशक तथा राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के विधिक माप विज्ञान नियंत्रकों को कीमत में बदलाव की जानकारी देनी होगी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुरानी एमआरपी के साथ छपी अप्रयुक्त पैकेजिंग सामग्री या रैपर का उपयोग 31 दिसंबर, 2025 तक किया जा सकता है, बशर्ते कि सही कीमत मुहर, स्टिकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग के माध्यम से दर्शाई जाए।
ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि विनिर्माताओं, पैकर्स और आयातकों को जीएसटी दरों में बदलाव को दर्शाने के लिए संशोधित कीमतों का स्टिकर चिपकाकर मौजूदा पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करने की अनुमति देने का निर्णय समय पर उठाया गया कदम है। इससे ग्राहकों को संशोधित कीमतों की पारदर्शी तरीके से जानकारी मिलेगी और उद्योगों को भी अप्रयुक्त पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करने की अनुमित देने से राहत मिलेगी।
अग्रवाल ने कहा, ‘31 दिसंबर, 2025 तक की मोहलत से एफएमसीजी, फार्मास्युटिकल और बड़े पैकेजिंग इन्वेंट्री वाले अन्य क्षेत्रों को बड़ी राहत मिलेगी। यह कंपनियों को मौजूदा पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करने की अनुमति देता है, जिससे अनावश्यक खर्च बचेगा और नियम का भी पालन सुनिश्चित होगा।’
एफएमसीजी कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि 31 दिसंबर तक की समयसीमा से अप्रयुक्त पैकेजिंग सामग्री बेकार नहीं होगी। आम तौर पर कंपनियों के पास दो से तीन महीने का पैकेजिंग स्टॉक होता है।