हाल की तिमाहियों में भारत की मुख्य आर्थिक वृद्धि दर मजबूत रही है। लेकिन इसके बावजूद इससे कॉरपोरेट जगत को तेजी से बढ़ने में मदद नहीं मिली है। कंपनियों का राजस्व भारत की जीडीपी वृद्धि से लगातार कम ही बना हुआ है। सूचीबद्ध कंपनियों – गैर-बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (गैर-बीएफएसआई)- की संयुक्त शुद्ध बिक्री 2025-26 की पहली तिमाही के दौरान लगातार नौवीं तिमाही में भारत की नॉमिनल जीडीपी की तुलना में धीमी रही।
बीएफएसआई को छोड़ दें तो शेष सूचीबद्ध कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 5.3 प्रतिशत बढ़ी जबकि इसी तिमाही में भारत की नॉमिनल जीडीपी में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसकी तुलना में कॉरपोरेट राजस्व वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि इसी तिमाही में भारत के नॉमिनल जीडीपी में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
पिछली नौ तिमाहियों में भारत का नॉमिनल जीडीपी गैर-वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों द्वारा दर्ज वृद्धि दर से दोगुनी से भी अधिक दर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही से नॉमिनल जीडीपी में औसतन 9.6 प्रतिशत सालाना दर से इजाफा हुआ है जबकि इस दौरान गैर-बीएफएसआई कंपनियों की शुद्ध बिक्री में औसतन 4.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि हुई है।
बीएफएसआई क्षेत्र भी अब भारत के जीडीपी से कम प्रदर्शन कर रहा है। पिछली तीन तिमाहियों में शुद्ध बिक्री भारत के नॉमिनल जीडीपी की तुलना में धीमी गति से बढ़ी है। इस क्षेत्र की संयुक्त शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 8.4 प्रतिशत बढ़ी जो एक साल पहले की 16.6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि से काफी कम है।