कंपनियां

AGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

कंपनी का तर्क है कि विभाग की नई मांग अदालत के पिछले फैसले के दायरे से बाहर है

Published by
भाविनी मिश्रा   
Last Updated- September 09, 2025 | 11:04 PM IST

कर्ज में डूबी निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया (वी) ने दूरसंचार विभाग द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की नई गणना के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी ने तर्क दिया है कि दूरसंचार विभाग द्वारा बकाये पर की गई नई मांग न्यायालय के पिछले फैसले के दायरे से बाहर है। सर्वोच्च न्यायालय आने वाले हफ्तों में वोडाफोन आइडिया की याचिका पर सुनवाई कर सकता है।

इसके अलावा, कंपनी ने 2016-17 तक की अवधि के लिए की गई अतिरिक्त मांगों को रद्द करने और देनदारियों की पुनर्गणना करने की भी मांग की है। याचिका में कहा गया है, ‘इसलिए, या तो वित्त वर्ष 2016-17 तक की मांगों को पूरी तरह स्पष्ट माना जाए जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने किया है, या फिर न्यायसंगत और निष्पक्ष समाधान किया जाना चाहिए।’

दूरसंचार विभाग ने हाल ही में आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन आइडिया के वित्त वर्ष 2019 तक के लाइसेंस शुल्क दायित्वों में बदलाव किया है, जिसमें वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 2,774 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग भी शामिल है।

वोडाफोन आइडिया ने इसी गणना को चुनौती है और कुछ राशियों के दोहराव का भी आरोप लगाया है तथा इसके समाधान की मांग की है। इससे पहले, विभाग ने पहले से ही आर्थिक संकटों का सामना कर रही है दूरसंचार कंपनी से 5,960 करोड़ रुपये की मांग की थी। कंपनी का तर्क है कि नई मांग से उसकी स्थिति पर और अधिक दबाव पड़ेगा। वह भी तब जब कंपनी अपने 4जी कवरेज रो बढ़ाने और 5जी पेशकश में तेजी लाने के वास्ते रकम जुटाने का प्रयास कर रही है।

याचिका में कहा गया है, ‘प्रतिवादी (दूरसंचार विभाग) पहले से उठाई गई मांगों में मौजूद स्पष्ट गणितीय अथवा लिपिकीय गलतियों को ठीक किए बगैर एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकता है और वित्त वर्ष 2016-17 तक अतिरिक्त एजीआर मांग नहीं बढ़ा सकता है।’

यह नई मांग एजीआर भुगतान पर सरकार की चार साल की रोक के दायरे में आती है, जो अगले साल मार्च में खत्म हो रही है। रोक की अवधि समाप्त होने के बाद वोडाफोन आइडिया को मार्च 2026 तक एजीआर बकाया के तौर पर 16,428 करोड़ रुपये की किस्तों का भुगतान शुरू करना होगा। इसके अलावा कंपनी को जून तक 2,641 करोड़ रुपये की स्पेक्ट्रम किस्तें भी चुकानी होंगी। कंपनी पर करीब 2 लाख करोड़ रुपये की कुल सरकारी देनदारियां हैं, जिसमें एजीआर बकाया और वित्त वर्ष 2044 तक के लिए स्थगित स्पेक्ट्रम भुगतान शामिल है। इस कारण कंपनी पर आर्थिक संकट बरकरार है।

निजी क्षेत्र की इस दूरसंचार कंपनी ने आगाह किया है कि तत्काल राहत के बगैर इस वित्त वर्ष के बाद उसका अस्तित्व संभव नहीं है। कंपनी ने मई में दूरसंचार विभाग को बताया था कि वह एजीआर बकाया पर सरकारी समर्थन के बगैर वित्त वर्ष 2026 के बाद परिचालन बरकरार नहीं रख पाएगी।

कंपनी की स्थिति तब और खराब हो गई जब सर्वोच्च न्यायालय ने 83,400 करोड़ रुपये के लंबित एजीआर बकाया पर 45,000 करोड़ रुपये का ब्याज और जुर्माना माफ करने से इनकार कर दिया। वोडाफोन आइडिया ने अदालत को बताया कि एजीआर विवाद का समाधान उसके अस्तित्व के लिए महत्त्वपूर्ण है।

First Published : September 9, 2025 | 10:57 PM IST