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सरकारी मदद की खाद मांग रहा बुरहानपुर का केला, MSP की उठी मांग

बुरहानपुर में केले की बढ़ती खेती और उससे विकसित हो रहे उद्योगों ने एक नई पहचान दी है, लेकिन कम कीमतों से किसानों की चिंता बढ़ी है

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- November 23, 2025 | 8:41 PM IST

मध्य प्रदेश का बुरहानपुर सदियों से सूती कपड़े का बड़ा उत्पादन केंद्र रहा है मगर पिछले कुछ साल से इस जिले ने केले की खेती में भी अपनी पहचान बनाई है। अब यह देश का प्रमुख केला उत्पादक जिला बन गया है और केले की खेती से उसके उद्योगों तक की नई पहचान यह हासिल कर रहा है। बुरहानपुर में केले से कई उत्पाद बनने लगे हैं, जिनमें केले के चिप्स प्रमुख हैं।

खाने-पीने के व्यंजनों के अलावा केला घड़ी, बैग, चटाई, टोपी, राखी, चाबी के छल्ले, दीये और झाड़ू आदि बनाने में भी काम आता है। इतना ही नहीं, बुरहानपुर में केले से सैनिटरी नैपकिन, जैविक खाद, प्लाईवुड, कपड़ा और जैव ईंधन भी बन रहे हैं। मगर पिछले कुछ समय से किसानों को केले के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। इससे चिंतित उद्यमी कहते हैं कि सरकार मदद करेगी तो बुरहानपुर मे केले का बड़ा उद्योग खड़ा हो सकता है।

केले की खेती में सिरमौर

बुरहानपुर में केले की खेती की शुरुआत 1960 के दशक में मानी जाती है। अब यह जिला न केवल मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा केला उत्पादक जिला है, बल्कि देश के प्रमुख केला उत्पादक जिलों में भी शुमार है। मध्य प्रदेश के केले की कुल खेती में बुरहानपुर जिले की हिस्सेदारी करीब 72 फीसदी है। बुरहानपुर जिले के केला किसान जावेद शेख ने बताया कि केले की खेती हर साल बढ़ रही है क्योंकि यहां का केला अच्छा माना जाता है।

किसानों को भी पिछले कुछ साल में केले के अच्छे दाम मिले हैं, इसलिए खेती में उनकी दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। केला किसान अतुल पाटिल कहते हैं कि बुरहानपुर का केला अच्छी गुणवत्ता वाला और लंबा होता है। साथ ही बुरहानपुर के केले में मिठास भी अधिक रहती है। इसलिए इसकी मांग बढ़ने के साथ यहां केले की खेती खूब होने लगी और पिछले 5-6 साल में केले का रकबा बहुत तेजी से बढ़ा।

सरकारी आंकड़े भी बुरहानपुर में केले की खेती बढ़ने की बात कहते हैं। मध्य प्रदेश के बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2024 में मध्य प्रदेश में 25,589 हेक्टेयर रकबे में केले की खेती की गई और इससे 17.91 लाख टन केला उत्पादन हुआ। इससे पहले 2019 में 20,522 हेक्टेयर में 14.36 लाख टन केला हुआ था। जाहिर है कि पिछले 6 साल में बुरहानपुर में केले की खेती करीब 25 फीसदी बढ़ गई है। इस दौरान केले का उत्पादन भी उतना ही (25 फीसदी) बढ़ा है। बुरहानपुर में केले की खेती करने वाले किसानों की संख्या 18,000 से 20,000 के बीच है।

­अब विकसित हो रहा है केला उद्योग

बुरहानपुर के केले को ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना में दो साल पहले शामिल किया गया था और अब यह केले के उद्योग की शक्ल में नई पहचान बनाने के लिए बढ़ रहा है। पहले यहां असंगठित तरीके से और घरों में केले से चिप्स बनाए जाते थे मगर पिछले 3-4 साल में केले के चिप्स का उद्योग संगठित होता जा रहा है।

बुरहानपुर जिले में केले के चिप्स बनाने वाली सबसे बड़ी फर्म इच्छापुर केला चिप्स के मालिक रघुनाथ चौधरी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘दो दशक पहले हमने एक समूह के रूप में घरेलू स्तर पर केला चिप्स बनाना शुरू किया था। लेकिन कुछ साल बाद इसमें घाटा होने के पर इसे बंद कर दिया। करीब 10 साल पहले फिर से अपने स्तर पर केला चिप्स बनाना शुरू किया। शुरुआत में काफी दिक्कत आई। लेकिन 2020 के बाद से हालात सुधरने लगे। यह देखकर हमने अब बड़ा कारखाना शुरू किया और इस समय हमारे कारखानों में रोजाना करीब 5 क्विंटल चिप्स तैयार होता है।’ चौधरी ने बताया कि शुरू में केले के चिप्स बनाने वाले माल बेचने आसपास के मेलों में जाते थे मगर अब बड़े खरीदार कारखानों से ही माल उठा लेते हैं। 

समर्थ केला चिप्स के अजय महाजन कहते हैं कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन (पीएमएफएमई) योजना के बाद बुरहानपुर केला उद्योग में बड़ा बदलाव आया है। इस योजना के तहत मिलने वाले कर्ज का लाभ उठाकर कई लोग केले के चिप्स व अन्य उत्पाद बनाने लगे हैं। महाजन कहते हैं कि पहले वह दिन में 10 से 15 किलो चिप्स ही बना पाते थे, लेकिन इस योजना के तहत कर्ज लेकर 10 लाख रुपये की लागत से केला चिप्स की एक इकाई लगा ली। इस इकाई में अब वह रोजाना 1 क्विंटल से ज्यादा चिप्स बना रहे हैं।

बुरहानपुर के केला किसान सीताराम महाजन कहते हैं, ‘पहले मैं केले की सिर्फ खेती ही करता था, अब मैं केला चिप्स भी बना रहा हूं। मेरा केला चिप्स 130 से 140 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक जाता है, जबकि इसे बनाने में 90 से 95 रुपये किलो की ही लागत आती है।’ चिप्स बनाने में कमजोर गुणवत्ता के केले का उपयोग होता है, लेकिन खरीदार की मांग पर अच्छी गुणवत्ता के केले से भी चिप्स बना दिए जाते हैं। चौधरी ने कहा कि केले से न सिर्फ चिप्स बन रहे हैं, बल्कि इससे चकली, शक्कर पारे, चिवड़ा, सेव, आटा और चॉकलेट भी बनाए जाते हैं।

हैंडीक्राफ्ट से जैविक खाद तक

केले से न केवल खाने पीने की चीजें बनाई जा रही हैं, बल्कि इससे हैंडीक्राफ्ट उत्पाद के साथ जैविक खाद भी बनाई जा रही है। बुरहानपुर की मंगलम कल्पतरु इंडस्ट्रीज केले से कई हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बना रही है। मंगलम कल्पतरु इंडस्ट्रीज के निदेशक मेहुल श्रॉफ ने बताया कि केले से चिप्स तो बन ही रहे हैं, अब बुरहानपुर में बीते कुछ वर्षों में इससे हैंडीक्राफ्ट उत्पाद भी बनने शुरू हो गए हैं। इन उत्पादों में घड़ी, बैग, चटाई, टोपी, राखी, चाबी के छल्ले, दीये, झाड़ू शामिल हैं। केले का पूजा में काफी महत्व होता है। इसलिए केले के फाइबर से बैठने के लिए पूजा का आसन बनाया जाता है और सत्यनारायण कथा की किट भी तैयार की जा रही है।

श्रॉफ ने बताया कि केले से महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिन भी बन रहे हैं और उनकी कंपनी इससे जैविक खाद भी तैयार कर रही है। केले से कपड़ा भी बनाया जा सकता है और प्लाईवुड भी बनाने की कोशिश हो रही है। एमपी ट्रेड पोर्टल के एक अधिकारी ने बताया कि बुरहानपुर में केले के रेशे से कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं और पिछले कुछ साल में इनका चलन तेजी से बढ़ा है।

सरकारी मदद की दरकार

श्रॉफ ने बताया कि बुरहानपुर का केला उद्योग विकास के शुरुआती चरण में है। अगर सरकार नारियल उद्योग की तरह केला उद्योग को बढ़ावा दे तो यह उद्योग तेजी से बढ़ सकता है। उनकी मांग है कि सरकार को नारियल बोर्ड की तरह केला बोर्ड बनाना चाहिए, जिससे केले से बनने वाले उत्पादों का कारोबार संगठित होकर तेजी से विकसित हो सके। जैविक खेती का चलन बढ़ रहा है। केले से जैविक खाद बनाने में काफी संभावनाएं हैं। सरकार को इस खाद की खरीद को बढ़ावा देना चाहिए।

चौधरी ने कहा कि अभी उद्यमी ज्यादातर केले के चिप्स खुले बेच रहे हैं। सरकार अगर आर्थिक मदद करती है तो बुरहानपुर में केला उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इससे यहां केले के चिप्स की बड़ी इकाइयां लगेंगी और केले से दूसरे उत्पादन बनाने के उद्योग भी लगेंगे। ऐसा होता है तो ब्रांड के तौर पर पुख्ता पहचान मिलेगी और बड़े-बड़े खरीदार यहां आने लगेंगे। अभी तक छोटे स्तर पर कारोबार कर रहे यहां के उद्यमियों को इससे और भी कमाई हासिल होगी।

बुरहानपुर के केला उद्यमियों के मुताबिक यहां संगठित तौर पर केला चिप्स, हैंडीक्राफ्ट व अन्य उत्पादों को बनाने वाली इकाइयों की संख्या 30 से 35 है। घरेलू स्तर पर भी 800 से 1000 लोग केले के चिप्स बना रहे हैं। यह उद्योग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 1,500 से 2,000 लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है।

केले पर एमएसपी की उठी मांग

केले की खेती से मालामाल होने वाले बुरहानपुर के केला किसान इस साल मुसीबत में फंस गए हैं क्योंकि उन्हें केले की कम कीमत मिल रही है। केला किसान अतुल पाटिल ने कहा कि इस साल ज्यादातर केले का भाव 300 से 500 रुपये क्विंटल मिला है, जबकि पिछले सालों में भाव 1,000 रुपये क्विंटल से ऊपर ही रहे हैं। पिछले साल भाव 2,000 रुपये क्विंटल तक मिला था। औसत भाव 1,200 से 1,500 रुपये क्विंटल के बीच रहे। ऐसे में इस साल केला किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।

जावेद ने कहा कि इस साल केला अधिक पैदा हुआ है। इससे भाव कम मिल रहे हैं। केला कारोबारी पांडुरंग महाजन ने कहा कि बुरहानपुर से उत्तर प्रदेश, पंजाब  को बड़े पैमाने पर केला जाता है। लेकिन इस साल खरीदार कम आए क्योंकि इन राज्यों में भी इस साल केले की पैदावार अच्छी है।

बुरहानपुर में केला किसानों से संबंधित एफपीओ चलाने वाले प्रकाश तायडे ने कहा कि सरकार को केले का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करना चाहिए और यह कम से कम 1,000 रुपये क्विंटल हो। साथ ही केले को फसल बीमा योजना में शामिल किया जाए।

क्यों खास है बुरहानपुर और यहां का केला

मुगलों के दौर से मशहूर बुरहानपुर खानदेश की राजधानी था और सन 1601 में अकबर ने खानदेश को मुगल साम्राज्य में मिला लिया था। शाहजहां की प्रिय बेगम मुमताज की 1631 में यहीं मौत हुई थी। मराठों ने बुरहानपुर पर कई बार धावा बोला और इस प्रांत से चौथ वसूलने का अधिकार भी मुगलों से हासिल कर लिया। उस जमाने में दक्षिण जाने वाली फौजें बुरहानपुर से ही होकर गुजरती थीं।

बुरहानपुर से आगरा तक रुई भेजी जाती थी और प्राचीन काल से ही यह सूती कपड़े बनाने का मुख्य केंद्र रहा है। समय बदलने के साथ यह केले से जुड़े उद्योगों का अड्डा बनता जा रहा है। देश में सबसे ज्यादा केला महाराष्ट्र के जलगांव जिले में होता और उससे एकदम सटा बुरहानपुर भी लंबे आकार और मिठास से भरे केले के लिए मशहूर है। यहां के केले की देश-विदेश में अच्छी मांग रहती है और अब केले से तमाम दूसरे उत्पाद बनाने का कारोबार भी यहां चमकने लगा है। 

बुरहानपुर से विदेश भी जाता है केला

बुरहानपुर से न केवल देश के भीतर केला जाता है बल्कि यहां का केल सीमाएं लांघकर विदेश तक भेजा जाता है। बुरहानपुर से इराक, ईरान, बहरीन, तुर्किये, दुबई, यूएई आदि को केला निर्यात होता है। बुरहानपुर से केले का सालाना निर्यात 70 से 75 हजार टन के बीच है। वर्ष 2024-25 के दौरान देश से कुल 8.88 लाख टन केले का निर्यात हुआ था।

चालू वित्त वर्ष यानी 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि में 3.94 लाख टन केले का निर्यात हो चुका है। यहां का केला गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों को भी भेजा जाता है। मध्य प्रदेश छठा सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है और बुरहानपुर की राज्य के कुल केला उत्पादन में करीब 72 फीसदी हिस्सेदारी है।

First Published : November 23, 2025 | 8:40 PM IST