भारत

Explained: केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पंजाब से ‘अलग’ करने के लिए विधेयक क्यों ला रही है?

केंद्र द्वारा चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत लाने और राष्ट्रपति को सीधे नियम बनाने की तैयारी ने पंजाब की सभी पार्टियों को एकजुट होकर विरोध करने पर मजबूर कर दिया है

Published by
ऋषभ शर्मा   
Last Updated- November 23, 2025 | 3:35 PM IST

चंडीगढ़ को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। संसद के शीतकालीन सत्र में एक नया संविधान संशोधन बिल पेश किया जाएगा, जिसके तहत चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के दायरे में लाया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि राष्ट्रपति अब चंडीगढ़ के लिए सीधे नियम बना सकेंगे, ठीक वैसे ही जैसे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप या दादरा-नगर हवेली के लिए बनते हैं।

पंजाब में इस खबर ने जैसे आग लगा दी है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तक, सब एक साथ सड़क पर आ गए हैं। सबका एक ही कहना है कि ये पंजाब के साथ धोखा है और चंडीगढ़ को उससे छीनने की साजिश है।

आर्टिकल 240 में क्या खास है?

आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को कुछ खास यूनियन टेरिटरी के लिए नियम बनाने की ताकत देता है। ये नियम संसद के कानून जितने ही पावरफुल होते हैं। मतलब केंद्र जो चाहे, वो कानून बदल सकता है, नया बना सकता है या पुराना हटा सकता है। अभी जिन यूटी में विधानसभा नहीं है, वहां ये पावर चलती है। चंडीगढ़ में भी कोई विधानसभा नहीं है, इसलिए ये बिल पास हुआ तो राष्ट्रपति की ये ताकत यहां भी लागू हो जाएगी।

अभी चंडीगढ़ का प्रशासक पंजाब का गवर्नर ही होता है। अगर बिल पास हो गया तो केंद्र अलग से लेफ्टिनेंट गवर्नर या कोई स्वतंत्र प्रशासक लगा सकता है। यानी पंजाब का चंडीगढ़ पर जो थोड़ा-बहुत कंट्रोल है, वो भी खत्म हो जाएगा।

पहले भी हो चुका है ऐसा प्रयास

ये पहली बार नहीं है जब केंद्र ने चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोशिश की हो। 2016 में भी केंद्र ने पूर्व आईएएस के.जे. अल्फोंस को स्वतंत्र प्रशासक बनाने की घोषणा की थी। उस वक्त राज्य में बादल सरकार थी। प्रकाश सिंह बादल ने इतना बवाल काटा कि केंद्र को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। उनका साथ उस वक्त कांग्रेस और आप ने भी दिया था।

इससे पहले 1984 में आतंकवाद के दौर में चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब गवर्नर को सौंप दिया गया था। उससे पहले यहां अलग से चीफ सेक्रेटरी होते थे। अब फिर वही पुराना खेल शुरू होता दिख रहा है।

Also Read: पराली जलाने पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट: पंजाब-हरियाणा से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, बढ़ते प्रदूषण पर जताई चिंता

भगवंत मान बोले: ये पंजाब के साथ अन्याय

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे ‘तानाशाही कदम’ बताया। उन्होंने कहा, “चंडीगढ़ पंजाब का था, है और रहेगा। जिस मां-बाप का बच्चा होता है, उसकी मर्जी के बिना कोई उसे छीन नहीं सकता। पंजाब के साथ शुरू से अन्याय हो रहा है। पहले पानी छीना, अब राजधानी छीनने की तैयारी है।”

आप नेताओं का कहना है कि नॉर्दर्न जोनल काउंसिल की मीटिंग में भगवंत मान ने गृह मंत्री अमित शाह के सामने चंडीगढ़ पर पंजाब का हक जोर-शोर से उठाया था। उसके कुछ ही दिनों बाद ये बिल का बुलेटिन आया। इसे पार्टी वाले “बिजली का करंट” बता रहे हैं।

कांग्रेस और अकाली दल भी एकजुट

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा, “ये बिल बिल्कुल गलत है। चंडीगढ़ पंजाब का है, इसे कोई छीन नहीं सकता। अगर कोशिश की गई तो गंभीर परिणाम होंगे।”

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे ‘धोखा’ करार दिया। उन्होंने कहा, “केंद्र ने कई बार वादा किया था कि चंडीगढ़ पंजाब को दे दिया जाएगा। ये बिल पंजाब के हक पर डाका है।”

बीजेपी ने भी दी सफाई

पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला। उन्होंने लिखा, “चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग है। पंजाब बीजेपी राज्य के हितों के साथ पूरी तरह खड़ी है, चाहे चंडीगढ़ का मामला हो या पानी का। जो कन्फ्यूजन पैदा हुआ है, वो सरकार से बात करके दूर कर लिया जाएगा। पंजाबी होने के नाते मैं भरोसा दिलाता हूं कि पंजाब हमारे लिए सबसे ऊपर है।”

First Published : November 23, 2025 | 3:35 PM IST